ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो बर्खास्त लखनऊ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पर डीपीओ कार्यालय में एसिड हमले के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। महिला का हाथ झुलस गया है। बगल में खड़ी दो अन्य महिलाओं पर भी एसिड के छींटे पड़े हैं। तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पास महिला पुलिस को लगाया गया है। एसिड हमले के मामले में आरोपित खुद डीपीओ हैं।
इस बीच उप्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा जरीना उस्मानी ने एसिड हमले के समाचार का स्वतः संज्ञान ले लिया है। उन्होंने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधिक्षक को पत्र भेजकर अपराधियों के विरूद्ध तत्काल कार्रवाई करने तथा कृत कार्यवाही से आयोग को अवगत कराने की अपेक्षा की है।

एसिड हमले की कहानी मे क्या हुआ
कस्बा राठ निवासी गायत्री वर्ष 2010 में आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पद पर तैनात थीं। ड्यूटी में लापरवाही और अनुशासनहीनता पर हमीरपुर में तैनात तत्कालीन जिला कार्यक्रम अधिकारी रामेश्वर पाल ने इन्हें बर्खास्त कर दिया था।
वर्ष 2012 में जिला कार्यक्रम अधिकारी रामेश्वर पाल स्थानांतरित होकर महोबा आ गए। गुरुवार को रामजानकी और रेखा निवासी राठ ने आरोप लगाया कि हमीरपुर में जिला कार्यक्रम अधिकारी के पद पर रहते हुए रामेश्वर पाल ने आंगनबाड़ी के पद पर नौकरी देने के नाम पर 40-40 हजार रुपये वसूले थे। नौकरी नहीं दी। पैसे भी वापस नहीं हुए।
गायत्री ने बताया कि गुरुवार को वह बर्खास्त आंगनबाड़ी कार्यकत्री के साथ महोबा आई थीं। जिला कार्यक्रम अधिकारी रामेश्वर पाल के कार्यालय में उनसे नौकरी के लिए ली गई रिश्वत के पैसे वापस मांगे। डीपीओ ने पैसा देने के बजाए उनके ऊपर एसिड फेंक दिया। इससे गायत्री का हाथ झुलस गया।
उन दोनों (रामजानकी और रेखा) के हाथों पर तेजाब के छींटे पड़ने से जगह-जगह त्वचा झुलस गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जांच अधिकारी सीओ सदर ने पड़ताल के बाद प्रथम दृष्टया डीपीओ को क्लीन चिट दे दी है।
पुलिस के मुताबिक मामले की जांच की गई है। कोई भी अधिकारी अॅफिस में एसिड लेकर नहीं जाता है। आसपास के कार्यालय के कर्मचारियों और अन्य लोगों ने बताया कि बर्खास्त आंगनबाड़ी कार्यकत्री गायत्री हाथ में एसिड की बोतल लेकर आई थीं। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने एसिड नहीं डाला है।
वहीं आरोपी अधिकारी की मानें तो आंगनबाड़ी कार्यकत्री गायत्री की कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में हमीरपुर में नौकरी के दौरान 2010 में सेवा समाप्त कर दी थी।
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