टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
गोंडा। बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापकों के लिए जारी की गई नई तबादला नीति ने अंतरजनपदीय तबादले की राह देख रहे शिक्षकों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। इस नीति के लागू होने के बाद पांच साल से कम सेवा वाले करीब चार सौ शिक्षकों की घर वापसी पर संकट खड़ा हो गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के जिले के भीतर व जिले के बाहर गैर जनपद में तबादले के लिए प्रदेश सरकार ने नई तबादला नीति जारी की है। इस नई नीति के अंतर्गत अब ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र में स्थानांतरित किया जायेगा। गैर जिले में तबादला चाहने वाले शिक्षकों को कार्यरत जिले में पांच वर्ष ही सेवा पूरी करनी होगी इसके बाद ही इन शिक्षकों को अंतरजनपदीय तबादले का लाभ दिया जायेगा। सरकार की इस तबादला नीति से अपने घर वापसी की राह देख रहे जिले के करीब 4 सौ शिक्षकों की उम्मीदों पर संकट खड़ा हो गया है। बता दे कि पुरानी नीति के तहत शिक्षकों को तीन वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद गैर जिले में स्थानांतरित किए जाने का नियम था। इसी नीति के तहत जुलाई 2016 में जिले के करीब 7 सौ शिक्षकों ने अंतरजनपदीय तबादले के लिए आवेदन किया था। इसमें से 275 शिक्षक स्थानांतरित होकर जिले से जा चुके हैं जबकि 450 शिक्षक अब भी तबादले का इंतजार कर रहे हैं। इनमें पांच वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों की संख्या बेहद कम है लेकिन करीब 4 सौ शिक्षक ऐसे है जिनकी सेवा अभी पांच वर्ष से कम है। ऐसे में अंतरजनपदीय तबादला नीति के तहत आवेदन कर अपनी घर वापसी का इंतजार कर रहे इन शिक्षकों की उम्मीदों को सरकार की नई तबादला नीति ने झटका दे दिया है।
नहीं जा पाएंगे घर
तरबगंज शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय जेठासी में कार्यरत शिक्षक सुनील कुमार देवरिया जिले के निवासी है। सुनील कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने घरेलू समस्याओं के कारण पिछले वर्ष जुलाई में अंतरजनपदीय तबादला नीति के तहत ऑनलाइन आवेदन किया था लेकिन किसी कारण वश उनका तबादला नही हो सका। इस बार उन्हें भरोसा था कि तबादले का लाभ मिल जाएगा लेकिन नई तबादला नीति ने उन्हें निराश कर दिया है।
अभी एक साल और इंतजार
तरबगंज के ही प्राथमिक विद्यालय बाबूरामपुरवा में रामायण प्रसाद शिक्षक के पद पर तैनात हैं। रामायण ने भी जुलाई 2016 में अपने गृहजनपद बलिया जाने के लिए तबादले का आवेदन भरा था। लेकिन उनका भी तबादला नही हो सका था। रामायण प्रसाद का कहना कि वह जिले में चार साल की सेवा पूरी कर चुके है लेकिन नई तबादला नीति से अब उन्हें घर वापसी के लिए एक साल और इंतजार करना पड़ेगा।
जिले में अब भी 1350 शिक्षकों की दरकार
गोंडा। परिषदीय स्कूलों में अगर शिक्षकों की तैनाती को लेकर अगर नियमों पर नजर डाले तो अब भी जिले में 1350 शिक्षकों की कमी है। आरटीई के नियमों के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 32 छात्रों पर एक शिक्षक की तैनाती का नियम है जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलो में 44 छात्रों पर एक शिक्षक की तैनाती की जानी है। वर्तमान सत्र में जिले के 2232 प्राथमिक विद्यालयों में 2.67 लाख नौनिहाल शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन्हे पढाने के लिए 8350 शिक्षकों की आवश्कता है जबकि इस समय सिर्फ 7040 शिक्षक ही इन स्कूलों में तैनात है। इसी तरह जिले के 893 उच्च प्राथमिक स्कूलो में 92307 बच्चे पढ़ रहे हैं। इस छात्र संख्या पर 21 सौ शिक्षको की तैनाती होनी चाहिए जबकि वर्तमान समय मे 2075 शिक्षकों की तैनाती है।
भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
गोंडा। नई तबादला नीति पर प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री विनय तिवारी का कहना है कि इस नई नीति के लागू होने के बाद तबादले में होने वाले खेल पर अंकुश लग सकेगा और तबादले में पारदर्शिता आ सकेगी। हांलाकि उन्होने यह भी कह कि अंतरजनपदीय तबादले के लिए सरकार ने जो समय सीमा तय की है उसमें थोड़ी सी शिथिलता दी जानी चाहिए थी जिससे समस्याओं का सामना कर रहे शिक्षकों को सहूलियत मिल जाती।
अभी नई तबादला नीति की कापी मुझे नही मिली है। कापी मिलने के बाद उसका अध्ययन कर जो भी दिशा निर्देश होगे उसी के अनुरुप अनुपालन कराया जायेगा।
संतोष कुमार देव पांडेय, बेसिक शिक्षा अधिकारी

