ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो महाराजगंज
कोठीभार थाना क्षेत्र के सिसवा कस्बे के मिस्कारी टोला निवासी छोटेलाल खरवार बुधवार की देर शाम सप्तक्रांति एक्सप्रेस से गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती अपनी पत्नी विमला देवी को देखने के लिए जा रहे थे। अचानक सिसवा के बन्नी ढाले पर गिरकर बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद उन्हें 108 नं0 की एंबुलेंस से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सिसवा लाया गया। जहां उनकी मौत हो गई। गुरुवार को हास्पिटल पहुंचे घर वालों के साथ भारी संख्या में नगरवासियों ने डॉक्टरों पर मरीज न देखने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिए । छोटेलाल के पुत्र विजय व नवीन ने बताया कि जब एंबुलेंस से जब मेरे पिता हास्पिटल पहुंचे तो उस समय वो जीवित थे लेकिन उन्हें देखने के लिए कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। समय से इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गयी। इसके बाद वहां मौजूद लोग डॉक्टरों के खिलाफ नारेबाजी कर उग्र हो गए। हंगामे की जानकारी मिलते ही मौके पर थानाध्यक्ष विक्रम सिंह पहुंच गए और भीड़ को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया।
इस सन्दर्भ में प्रभारी चिकित्साधिकारी ईश्वर चंद्र ने बताया कि जब एंबुलेंस हास्पिटल पर पहुंची तो उस समय ड्यूटी पर डॉ पवन सिंह मौजूद थे और उन्होंने मरीज को देखा लेकिन तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी। मरीज न देखने की सारी बातें बेबुनियाद है।
कोठीभार थाना क्षेत्र के सिसवा कस्बे के मिस्कारी टोला निवासी छोटेलाल खरवार बुधवार की देर शाम सप्तक्रांति एक्सप्रेस से गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती अपनी पत्नी विमला देवी को देखने के लिए जा रहे थे। अचानक सिसवा के बन्नी ढाले पर गिरकर बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद उन्हें 108 नं0 की एंबुलेंस से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सिसवा लाया गया। जहां उनकी मौत हो गई। गुरुवार को हास्पिटल पहुंचे घर वालों के साथ भारी संख्या में नगरवासियों ने डॉक्टरों पर मरीज न देखने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिए । छोटेलाल के पुत्र विजय व नवीन ने बताया कि जब एंबुलेंस से जब मेरे पिता हास्पिटल पहुंचे तो उस समय वो जीवित थे लेकिन उन्हें देखने के लिए कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। समय से इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गयी। इसके बाद वहां मौजूद लोग डॉक्टरों के खिलाफ नारेबाजी कर उग्र हो गए। हंगामे की जानकारी मिलते ही मौके पर थानाध्यक्ष विक्रम सिंह पहुंच गए और भीड़ को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया।
इस सन्दर्भ में प्रभारी चिकित्साधिकारी ईश्वर चंद्र ने बताया कि जब एंबुलेंस हास्पिटल पर पहुंची तो उस समय ड्यूटी पर डॉ पवन सिंह मौजूद थे और उन्होंने मरीज को देखा लेकिन तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी। मरीज न देखने की सारी बातें बेबुनियाद है।
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