Saturday, July 9, 2016

मऊ : भासपा ने अमित शाह के सामने “पूर्वांचल” राज्य की मांग उठाई

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
मऊ. भाजपा और भारतीय समाज पार्टी(भासपा) के गठबंधन की घोषणा करने के लिए हुयी रैली में भासपा ने पूर्वांचल राज्य की मांग  उठाई. पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर की सार्वजनिक मंच से की गयी इस मांग ने अमित शाह को असहज कर दिया.
भासपा के मंच से भाषण में अमित शाह ने राजभर समुदाय के एतिहासिक नायक राजा  सुहैल देव का जिक्र भी बखूबी किया. शाह ने कहा कि मैं सोमनाथ की धरती से आया हूं. यह मंदिर महमूद गजनवी ने तोडा, सुहेलदेव ने सोमनाथ की रक्षा गाजी से किया था.
अमित शाह ने कहा कि देश के विकास का रथ यूपी में रुक गया है, आप सभी से अपील है कि इस गतिरोध को तोडिए, लंबे समय तक कांग्रेस ने देश को लूटा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास योजनाओं को बताते हुए शाह ने कहा कि हमने  17 करोड गरीबों का खाता खुलवाया, अभी तक 5 करोड गरीब लोगों को गैस चूल्हा दिया गया है.  देश के विकास में पूर्वांचल का पसीना लगा है पर यह आज भी बदहाल है. पूर्वांचल को अब रोजगार चाहिए, विकास चाहिए. पहले की अपेक्षा मुद्रा बैंक से तरक्की के लिए करोडों रुपये दिया. यहां अब रोजगार चाहिए, प्रतिभा का पलायन रोकना है तो मोदी के नेतृत्व मे सरकार चाहिए. भासपा ने “पूर्वांचल” राज्य की मांग उठाई
अमित शाह ने सपा -बसपा पर भी हमला बोला , उन्होंने कहा मायावती ने बसपा को नोट छापने की मशीन बना दिया, वे सपा को हरा नहीं सकतीं. इसलिए विकास के रथ को गति देनी है तो सूबे में भाजपा की सरकार बनाओ. सूबे में इस समय साढे तीन मुख्यमंत्री हैं, इस व्यवस्था को खत्म करो.
उनके साथ ओम प्रकाश राजभर, मनोज सिन्हा , केशव प्रसाद मौर्य आदि मौजूद रहे. मंच पर स्वागत के बाद सबसे पहले मनोज सिन्हा ने लोगों को संबोधित करते हुए रेलवे की उपलब्धियों को गिनाया. जिले के लोगों की रेल जरूरतों को पूरा करने की बात कही और पूर्वांचल को देश में पहचान दिलाने का भरोसा जताया. साथ ही आेम प्रकाश राजभर को भाजपा का साथ देने के लिए साधुवाद भी दिया.

यूपी में सरकार नहीं अपराधियों के गैंग

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यूपी में अपराधियों कै गैंग की सरकार है, इस बात को मुलायम सिंह यादव ने स्वयं स्वीकार भी किया. वहीं दूसरी ओर मायावती ने गरीबों को लूटा है लिहाजा भाजपा ही बेहतर विकल्प है. साथ ही भाजपा की ओर से इस बार विधानसभा चुनाव में गठबंधन संग चुनाव लडने की बात भी कही. कहा कि प्रधानमंत्री ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया है अब सपा बसपा मुक्त उत्तर प्रदेश की बारी है. साथ ही जनता से इस अभियान में हाथ उठाकर समर्थन भी मांगा.

कार्यकर्ताओं ने दी गठबंधन को मंजूरी

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आखिरकार मऊ में भारतीय समाज पार्टी का दमखम भी देखा. रेलवे मैदान में आयोजित महापंचायत रैली को संबोधित करते हुए भासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने जनता से संवाद किया और भासपा-भाजपा के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर गठबंधन की घोषणा भी की. इस दौरान गठबंधन की बाबत उन्होंने अपने समर्थकों से हाथ उठवा कर संस्तुति भी मांगी. साथ ही सीधे संवाद कर जनता की भावना को भी उभारा और अलग पूर्वांचल राज्य की मांग को उठाया. कहा कि सरकार आने पर विकास, पढाई फीस, तकनीकी शिक्षा काे प्राथमिकता दी जाएगी. गठबंधन की सरकार सब करेगी.

मेरठ: बिना बताए इमारत गिरा दी, अंदर सो रहे थे लोग, 4 की मौत

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
मेरठ। यूपी के मेरठ कैंट में सेना की जमीन पर बने अवैध शॉपिंग कॉम्पलेक्स को गिरा दिया गया। इस दौरान अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान सोए 7 लोग मलबे में दब गए जिसमें से 4 लोगों की मौत हो गई और तीन गंभीर हैं। राहत और बचाव कार्य के दौरान सातों लोगों को मलबे से बाहर निकाल लिया गया उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिनमें 3 की हालत गंभीर बनी हुई है।Image result for giraqi gai avaidh building
मेरठ में कैंटोनमेंट के अंदर बिल्डिंग गिराए जाने के बाद लोगों की मौत से गुस्साए स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने कैंट एरिया में लगे बोर्ड को तोड़ दिया। प्रशासन ने इस मामले में कैंट बोर्ड के अफसरों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कॉम्पलेक्स गिराने से पहले कैंट बोर्ड ने लोगों को कोई जानकारी नहीं दी थी। जिससे सुबह-सुबह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के चलते सोए लोग इमारत के मलबे में दब गए। एनडीआरएफ की टीम मौके पर है।
उधर कैंट बोर्ड के मुताबिक अतिक्रमण के दौरान गिराया गया शॉपिंग कॉम्पलेक्स पहले ही कानूनी तौर पर अवैध घोषित कर दिया गया था जिसके बाद इमारत को गिराए जाने की जानकारी भी लोगों को दे दी गई थी। इस दौरान काफी लोगों ने अपना सामान भी कॉम्पलेक्स से हटा लिया था।मेरठ: बिना बताए इमारत ढहा दी, अंदर सो रहे थे लोग, 4 की मौत

लखनऊ : सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का बुरा हाल, जेई सस्पेंड

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
 लखनऊ मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को इंजीनियरों के पलीता लगा दिया। कुर्सी रोड पर बने 5.75 किमी. लंबे साइकिल ट्रैक की बदहाली देख डीएम ने पीडब्यूडी के जूनियर इंजीनियर को निलंबित करने, असिस्टेंट इंजीनियर को प्रतिकूल प्रविष्टि और अधिशासी अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
डीएम राजशेखर ने शुक्रवार को कुर्सी रोड पर बने साइकिल ट्रैक की दुर्दशा का मौका मुआयना किया। घटिया निर्माण के कारण ट्रैक करीब 25 जगह टूटा-फूटा, उखड़ा मिला तो कई जगह दुकानदारों ने अतिक्रमण कर लिया था। पानी निकलने का कोई इंतजाम न था।15 जगह फलों के ठेले और गुमटी मिली । डीएम ने जब ट्रैक से लगे फुटपाथ निर्माण की सामग्री साइकिल ट्रैक पर देखी तो भड़क उठे। उन्होंने मौके पर मौजूद पीडब्ल्यूडी के अभियंताओं व पुलिस अफसरों को फटकार लगाते हुए अवर अभियंता को तत्काल निलंबित करने का निर्देश दिया।

सरकारी खजाने से नहीं होगी एक पाई भी खर्च

इसके साथ ही सहायक अभियंता को प्रतिकूल प्रविष्टि देने और अधिशासी अभियंता को शो-कॉज नोटिस देकर तीन दिन में स्पष्टीकरण तलब किया है। डीएम ने कहा कि ट्रैक के मरम्मत में आने वाला खर्च इंजीनियरों के वेतन व ठेकेदार से वसूला जाएगा।
सरकारी खजाने से एक भी पाई खर्च नहीं होगी। डीएम ने निरीक्षण के दौरान मौजूद अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी सीडी-1 को निर्देश दिया कि वे विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित कर ट्रैक निर्माण में इस्तेमाल हुई घटिया सामग्री की जांच कराएं।
उन्होंने शहर में बने अन्य साइकिल ट्रैकों की भी नियमित निगरानी और अतिक्रमण रोकने के निर्देश दिए। अतिक्रमण हुआ तो संबंधित विभागों के इंजीनियर और क्षेत्रीय एसओ व एसएचओ जिम्मेदार होंगे।

बेटी की शादी का बुलावा बना मौत का बुलावा

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
वाराणसी. आँखों में बेटी को दुल्हन के रूप में विदा करने का सपना लिए पिता कार्ड बांटने निकला था।  लेकिन घर वापस पहुंची तो उसकी लाश।  शनिवार को भदोही रेलवे स्टेशन पर मिर्जापुर निवासी एक व्यक्ति की पंजाब मेल से गिरकर मौत हो गई। हाथों में बेटी की शादी का कार्ड लिए यह व्यक्ति अपनी मौत को खुद बुलावा दे बैठा और जल्दबाजी दुनिया से उसकी रुखसती की वजह बन गई।
मिर्जापुर शहर कोतवाली के चेतगंज इमामबाड़ा निवासी 55 वर्षीय नसीम खान अपनी बेटी की शादी का कार्ड बांटने वाराणसी आएर हुए थे।  नसीम की बेटी की शादी 23 जुलाई को होनी है। शनिवार सुबह वे भदोही में रिश्तेदारों को कार्ड बांटने के इरादे से वाराणसी कैंट से पंजाब मेल ट्रेन में सवार हुए।  ट्रेन जैसे ही भदोही स्टेशन पर पहुंची, नसीम ने चलती ट्रेन से उतरने की कोशिश की।  इसी बीच असंतुलित होकर नसीम जो प्लात्फोर्र्म पर गिरे फिर न उठ सके।
नसीम के घायल होने की सूचना पाकर जीआरपी के जवानों ने नसीम को भदोही के महाराजा बलवंत सिंह राजकीय अस्पताल में भर्ती कराया। यहां दोपहर में उनकी मौत हो गई।bahdohi, varanasi, railway station, mirzapur

मऊ : 'राहु-केतु' हैं सपा-बसपा , यूपी के विकास पर लगाया ग्रहण : अमित शाह

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो ( अन्जनी राय )  
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावो के मद्देनजर शनिवार को भारतीय जनता पार्टी और पूर्वांचल के 3 जिलों में जातीय आधार पर अपना प्रभाव रखने वाली भारतीय समाज पार्टी का गठबंधन हो गया. भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर का दावा है कि इलाके की 125 सीटों पर उनके प्रभाव से भाजपा गठबंधन को चुनावी फायदा होगा.
मऊ जिले में आयोजित महापंचायत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में भासपा और भाजपा के गठबंधन का औपचारिक ऐलान हुआ. भासपा नेताओं का दावा है कि भाजपा ने उन्हें 25 सीटे देने का वादा किया है.
कभी कांसीराम के सिपहसलार रहे ओम प्रकाश राजभर ने बसपा छोड़ने के बाद सन 2001 में सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना की थी.इसके बाद समय समय पर होने वाले चुनावो में भासपा  अलग अलग गठबन्धनो के साथ चुनावी मैदान में उतरी. बनारस से ले कर बहराईच तक के जिलों में राजभर समुदाय की मौजूदगी है मगर बलिया,गाजीपुर और मऊ जिलों की कई सीटों पर राजभर वोटो की निर्णायक ताकत है.
जातीय गडना के अनुसार लगभग 2 फ़ीसदी वोट वाले राजभर समुदाय की झंडाबरदार होने का दवा करने वाली भासपा ने 2012 का विधान सभा चुनाव 52 सीटों पर मुख़्तार अंसारी की पार्टी से गठबंधन कर लड़ा था. हलाकि इन चुनावो में वह एक भी सीट नहीं जीत पायी मगर उसके प्रत्याशियों को लगभग 5 फ़ीसदी वोट मिले थे. कई सीटे ऐसी भी थी जहा भासपा को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले थे.
भाजपा और बसपा के इस गठबंधन से सबसे ज्यादा नुक्सान बसपा को पहुचने की उम्मीद है. राजभर का दावा है कि भाजपा के साथ आ जाने से इस इलाके की 125 सीटों पर उनका गठबंधन जीतेगा.कुछ महीने पहले बहराईच में अमित शाह ने राजा सुहैल देव की प्रतिमा का अनावरण कर राजभर समुदाय को हिंदूवादी खेमें में लाने का प्रयास शुरू किया था. शनिवार को भी मुस्लिम सिपहसलार गाजी पर राजा सुहैलदेव की जीत का जिक्र करते हुए उन्होंने इसी लाईन को आगे बढाया.
हलाकि इस रैली के बीच ही झंडा और टोपी को ले कर भासपा और भाजपा के कार्यकर्ताओं में अच्छा खासा संघर्ष हो गया. नौबत यहाँ तक पहुची कि सभा के बीच ही भासपा कार्यकर्ताओं ने भाजपा मुर्दाबाद के नारे भी लगा दिए.
ओम प्रकाश राजभर अपने जातीय वोटो की ताकत पहचानने वाले नेता माने जाते हैं. आम तौर पर चर्चा से बाहर रहने वाली इस पार्टी की चर्चा चुनावो के वक्त बढ़ने की कला वे बखूबी जानते हैं और इस बार भी ओम प्रकाश राजभर ने मौके को भुनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी.
वही दूसरी तरफ भाजपा ने भी बिहार चुनावो में जातीय गोलबंदी न करने का खामियाजा उठाने के बाद यूपी में सबक लिया है. नरेन्द्र मोदी के जादू के साथ साथ उसकी नजर यूपी  के जातीय समीकरण पर भी है ऐसे में भासपा के साथ गठबंधन कर उसने पूरब की सीटों पर अपने समीकरण ठीक करने की कोशिश की है.

लखनऊ :बसपा में मची भगदड़ और कई नेता छोड़ सकते है पार्टी

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ. एक के बाद एक बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ कर जाने के वाकयों से तिलमिलाई बसपा सुप्रीमो अब फिर से आक्रामक होने की तैयारी में है तो वहीँ सूत्रों का कहना है कि अगले सप्ताह बसपा के कई और विधायक पार्टी छोड़ने के लिए तैयार बैठे हैं.वैसे तो नेताओं के बसपा छोड़ने का सिलसिला लगातार चलता रहता है मगर यूपी के विधान सभा चुनावो के पहले बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिस तरह मायावती को झटका दिया उससे बसपा की चुनावी संभावनाओं को झटका जरूर लगा है. स्वामी प्रसाद मौर्या और नसीमुद्दीन सिद्दीकी मायावती के मजबूत आधार माने जाते रहे हैं.
पार्टी छोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद ने जिस तरह के तेवर दिखाए हैं उसने एक संकेत तो साफ़ दिया है कि स्वामी प्रसाद के इस कदम को कहीं बाहर से पूरा समर्थन मिल रहा है. बसपा का मानना है कि स्वामी की इस बगावत को हवा देने में भाजपा के रणनीतिकार पूरी तरह से सक्रिय है. पार्टी छोड़ने के बाद जिस तरह से स्वामी प्रसाद मौर्या की बैठक का पेशेवर प्रबंधन नजर आया उसने भी इस बात को और बल दिया है.Image result for bsp party image
बसपा से बाहर हुए नेता भी कमर कस चुके हैं. कभी बसपा के दिग्गजों में शुमार दलित नेता दीना नाथ भास्कर ने दावा किया है कि अगस्त तक लगभग 28 विधायक बसपा से इस्तीफा देकर एक नयी पार्टी का हिस्सा बनेंगे. भास्कर ने इस बात का दावा भी कर दिया कि ये सभी 28 विधायक बसपा से इस्तीफा देकर एक नयी बनने वाली पार्टी में शामिल होंगे.
भास्कर के दावों के हिसाब से 10 जुलाई के पहले ही कई पूर्व एवं वर्तमान विधायक बसपा का दामन छोड़ देंगे और सितम्बर में लखनउ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में होने वाली रैली में ये सब मौजूद रहेंगे.
बसपा से निकला हुआ धडा वाकई ऐसा करने में कामयाब हो जाता है तो फिर आंबेडकर और कांशीराम के विरासत की खुली जंग यूपी में शुरू हो जाएगी. इसके साथ ही यूपी के सियासी समीकरणों में भी बदलाव आना तय है. भाजपा ने अपने गठबंधन को आकर देना शुरू कर दिया है और जिस तरह अपना दल के कृष्णा पटेल और बिहार के सीएम नितीश कुमार के बीच बातचीत जारी है उससे यह साफ़ संकेत है कि यूपी के चुनावी समर से पहले नितीश कुमार कुछ छोटे दलों को जुटाने में कामयाब हो जायेंगे. संभावना यह भी है कि कांग्रेस भी इस गठबंधन का एक प्रमुख हिस्सा रहेगी. ऐसे में बसपा के ये बागी किससे हाथ मिलते हैं यह महत्वपूर्ण हो जायेगा.
अब मायावती ने भाजपा और सपा के कुछ नेताओं को पाने पाले में लाने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. उनकी नजर इन दोनों पार्टियों के असंतुष्ट नेताओं पर टिकी है और साथ ही साथ मायावती ने अपनी पार्टी के नेताओं पर भी कड़ी निगहबानी का इंतजाम कर लिया है. दूसरे दलों के नेताओं को साथ लाने से बसपा उस माहौल को बदलने की कोशिश करेगी जिसकी वजह से विरोधी बसपा को डूबता जहाज बताने से नहीं चूक रहे हैं.
मगर इतना तो तय है कि अगर बागी नेताओं की रणनीति कामयाब रही तो उसका सबसे ज्यादा नुक्सान मायावती को ही होगा. एक तरफ भाजपा उसके दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है तो वहीँ ये बागी नेता भी बसप के पारंपरिक वोटो में ही अपना हिस्सा बटाएँगे.

Wednesday, July 6, 2016

यूपी: बसपा से कांग्रेस कर सकती है गठजोड़

कांग्रेस यूपी में भले ही अकेले दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने का दावा कर रही हो, लेकिन अंदरखाने मायावती की बीएसपी से तालमेल का ब्लू प्रिंट भी तैयार किया जा रहा है. बताया जाता है कि गुलाम नबी आजाद को यूपी का प्रभारी महासचिव बनाया जाना भी इसी रणनीति का हिस्सा है.
रअसल, गुलाम नबी आजाद और मायावती के रिश्ते आपस में काफी अच्छे माने जाते हैं. 1996 में जब बीएसपी से कांग्रेस का समझौता हुआ, तब आजाद ही यूपी के प्रभारी थे. लेकिन पार्टी और खुद आजाद को एहसास है कि जब तक मायावती को यह एहसास नहीं होगा कि वो अकेलेदम सत्ता नहीं पा सकेंगी, वह समझौते के लिए तैयार नहीं होंगी. पार्टी का बड़ा तबका मानता है कि बिहार की तरह यूपी में भी बीजेपी को रोकना फायदे का सौदा हो सकता है.
पहले अपनी ताकत दिखाने की तैयारी
कांग्रस मायावती को अपनी ताकत का एहसास करवाने के लिए मुहीम में जुटना चाहती है. पार्टी की नीति प्रदेश भर में अपनी उपस्थिति जताने की है, जिससे मायावती को लगे कि अगर गठजोड़ नहीं हुआ तो वो सत्ता से दूर रह सकती हैं. कांग्रेस के नेता अंदरखाने बीजेपी के भारी-भरकम प्रचार अभियान और हिंदू-मुस्लिम सियासत से भी बीएसपी को आगाह कर रहे हैं.
फजीहत का भी डर
पार्टी को लगता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी जैसे नेताओं का जाना भी बीएसपी के लिए झटका है. ऐसे में आने वाले वक्त में बीजेपी का डर और खुद की पार्टी की कमजोरी के कारण मायावती समझौते के लिए हामी भर सकती हैं. लेकिन यदि माया जिद में आकर समझौता नहीं करती हैं तो कांग्रेस की फजीहत हो सकती है. ऐसे में फिलहाल कांग्रेस के नेता अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं और बीएसपी से गठजोड़ के सवाल पर कुछ बोलना नहीं चाहते.
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सीटों की संख्या है परेशानी का सबब
राहुल गांधी अब तक आपसी बैठकों में यह कहते रहे हैं कि कांग्रेस की यूपी में बुरी हालत की बड़ी वजह 1996 विधानसभा में बीएसपी के साथ समझौता था. तब कांग्रेस 125 सीटों पर चुनाव लड़ी और बाकी पर कांग्रेस का डंडा झंडा गायब हो गया. उधर, मायावती यह मानती हैं कि कांग्रेस को बीएसपी का वोट ट्रांसफर होता है, लेकिन कांग्रेस का वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं होता.
यानी कुल मिलकार कांग्रेस अकेले आगे बढ़ते हुए दिखना चाहती है, लेकिन बीएसपी के साथ तालमेल को लेकर 'देखो और इंतजार करो' की नीति पर है.

यूपी : सर्व शिक्षा अभियान का सच...बिन किताबों के पढ़ रहे बच्चे, अभी तक नहीं हुई छपाई


 ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
यूपी : आप मानें या ना मानें लेकिन ये हकीकत कि यूपी के सरकारी स्कूलों मे बच्चों की पढ़ाई बिना किताबों के हो रही है. कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक के तकरीबन डेढ़ करोड़ से उपर बच्चों को जुलाई के पहले हफ्ते मे स्कूल खुलने के साथ ही मुफ्त सरकारी किताबें मिल जाती है, लेकिन इस साल टेंडर प्रकिया के विवादों मे फंस जाने और सरकारी हीलाहवाली के चलते ये किताबें अभी तक छपाई के लिये भी नही जा पाई हैं.
फिलहाल यूपी के लगभग दो लाख प्राइमरी और मिडिल स्कूलों मे बिना किताबों के या फिर पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई चल रही है. हालांकि सरकार का कहना है कि सारे विवादों को सुलझा लिया गया है और अगले पंद्रह दिनों के बाद किताबें बंटनी शुरू हो जाएगीं, लेकिन इस देरी के चलते बच्चों के पढ़ाई के हो रहे नुकसान पर फिलहाल सरकार कुछ कहने की स्थिति मे नही है. गौरतलब है कि सरकार को आने वाले दिनों बच्चों मे लगभग तेरह करोड़ किताबें छापकर बांटनी हैं. यूपी सरकार के साथ काम कर चुके पुराने प्रकाशकों का मानना है कि सरकार को इस काम को पूरा करने मे लगभग तीन महीने का समय और लग जाएगा.

पुरानी किताबों से काम चला रहे बच्चे
'सब पढ़ें-सब बढ़ें' का नारा देने वाले उत्तर प्रदेश के सरकारी परिषदीय स्कूलों का नया सत्र तो दो जुलाई से शुरू हो गया है, लेकिन विभाग अभी तक स्कूल के बच्चों को मिलने वाली किताबें मुहैया नहीं करा पाया है. यूपी के परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक पढ़ने वाले लाखों छात्र अपने सीनियर्स की उन फटी पुरानी किताबों से काम चला रहे हैं, जो पास आउट होने के बाद अध्यापकों ने उनको मुहैया कराई हैं.

हर साल जून में छप जाती हैं किताबें
दरअसल हर साल फरवरी मे किताबों की छपाई का टेंडर जारी हो जाता था और जून तक किताबें छपकर जुलाई मे बंट जाती थी. मगर इस बार सरकार के आला अधिकारियों के एक आदेश के चलते पूरी प्रक्रिया ही लेट हो गई है. इस बार शिक्षा विभाग ने ये सरकारी आदेश जारी कर दिया कि किताबें पार्यावरण के अनुकूल (ENVIRNMENT FRIENDLY) कागजों पर ही छपेगीं, जबकि इससे पहले परंपरागत कागजों (RECYCLE PAPERS) किताबों की छपाई हो जाती थी. हालांकि बेसिक शिक्षा के आला अधिकारियों का कहना है कि ऐसा हाईकोर्ट के एक आदेश के तहत किया गया. लेकिन इसके चलते न केवल टेंडर प्रक्रिया मे देरी हुई बल्कि छपाई की लागत भी बढ़ गई. पिछले साल टेंडर की दर एक रूपये नौ पैसे प्रति फार्म (आठ पेज) की थी जबकि इस साल ये दर एक रूपये अड़तीस पैसे हो गई, पिछले साल कुल छपाई का ठेका 200 करोड़ का था जबकि इस साल ये ठेका बढ़कर 260 करोड़ का हो गया है.
अधिकारियों की मनमानी के चलते हुई देरी
बेसिक शिक्षा के साथ पिछले कई सालों से काम कर रहे पुराने प्रकाशकों का आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग में आला अधिकारियों की मनमानी चल रही है और जानबूझकर गाजियाबाद की एक फर्म को फायदा पहुचाने के लिये उनके आवेदन (टेंडर) को डिसक्वालिफाई (रद्द) कर दिया गया, जिसके विरोध मे वो हाई कोर्ट चले गए. इसके चलते टेंडर प्रक्रिया विवादों मे फंस गई और किताबों की छपाई का काम अधर मे लटक गया और सरकार को साठ करोड़ का अतिरिक्त भार भी सहना पड़ रहा है.
उधर सरकार का कहना है कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिये ये फैसला किया गया और टेंडर प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी रखा गया है, टेंडर हो चुके हैं किताबें छपने के लिए जा चुकी हैं और अगले पंद्रह दिनों मे इसे बांटने का काम शुरू कर दिया जाएगा. सबसे पहले बाढ़ प्रभावित इलाकों मे किताबे बांटी जाएगीं बाद मे दूसरी जगहों पर.
सचिव बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने कहा कि टेंडर में कुछ लीगल इश्यूज आ गए थे. और अभी वह सब शार्टआउट हो गए हैं. और एग्रीमेन्ट भी हो गए हैं. 15 दिन के अंदर किताबें मिलनी शुरू हो जाएगीं

सोशल मीडिया पर छाई विदाई ,'कपड़ा मंत्रालय में अब स्वेटर बुनेंगी स्मृति'

मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सुर्खियां अगर किसी ने बटोरी तो वह स्मृति इरानी रही। स्मृति इरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से हटाकर कपड़ा मंत्रालय दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगातार विवादों में रहने की वजह से उनका मंत्रालय बदला गया है।
मानव संसाधन मंत्री रहने के दौरान स्मृति इरानी के कार्यकाल पर नजर डालें तो वह अक्सर विवादों में घिरी रही। चाहे जेएनयू विवाद हो या फिर हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला से जुड़ा विवाद हो या फिर स्मृति इरानी के डिग्री का विवाद हो। कई ऐसे मामले रहे जिनको लेकर वह सुर्खियों में और सोशल मीडिया पर छाई रही।Smriti Irani: From text books to textiles; how Twitterati reacted.
अब जबकि उनकी मानव संसाधन मंत्रालय से विदाई हो गई है, एक बार फिर से उनके नए मंत्रालय और मंत्रिमंडल में उनकी स्थिति को लेकर सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर जमकर ट्वीट्स किए जा रहे हैं। ट्वीट्स में कोई उनके एमएचआरडी मंत्रालय को लेकर फेयरवेल बता रहा है तो कोई उनके नए मंत्रालय को लेकर टिप्पणी कर रहा है। आगे की स्लाइड्स में देखिए ऐसे ही कुछ ट्वीट्स।
शांतिनाथ चौधरी नाम के यूजर ने लिखा कि स्मृति इरानी पहले ट्रेंड कर रही हैं। फेयरवेल डे पर थोड़ा अटेंशन तो मिलना बनता है। स्मृति इरानी अब ऊनी स्वेटर बुनेंगी।
असुरा नाम के यूजर ने लिखा कि स्मृति इरानी को एक ऐसा विभाग सौंपा गया है जहां वह भारतीय जीडीपी में बड़ा योगदान कर सकती हैं, वह भी बिना किसी विवाद के, बधाई।
 
Mrs. @smritiirani now gets a portfolio where she can make a huge contribution to India's GDP growth without 'controversies'. Congrats.
 मंत्रिमंडल विस्तार के बाद और पहले स्मृति इरानी की स्थिति कैसी रही होगी इसको लेकर एक यूजर ने कुछ यूं रिएक्ट किया।
 

नई दिल्ली : ट्रॉमा सेंटर में बच्ची के साथ रेप, अस्पताल प्रशासन ने बांधे पीड़िता के हाथ-पैर

नई दिल्ली।  हरियाणा के यमुनानगर ट्रॉमा सेंटर में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। मानसिक रूप से कमजोर एक मासूम बच्ची के साथ अस्पताल के कर्मचारी पर बलात्कार का आरोप लगा है। मामले के खुलासे के बाद अस्पताल प्रशासन रेप पीड़ित के साथ अमानवीय व्यवहार किया।
बच्ची को इलाज मुहैया कराने के बजाय पीड़ित के हाथ-पांव बांधकर अस्पताल के बिस्तर पर ही लेटा दिया। पुलिस ने विजय नाम के आरोपी कर्मचारी को हिरासत में ले लिया।
दरअसल अस्पातल में मौजूद विजय नामक फोर्थ कलास कर्मचारी जो पहले तो अस्पताल के कमरों की रेकी की फिर उसने स्टाफ रूम को बाहर से बंद किया और उसके बाद महिला कक्ष में जाकर इस मासूम को उठाकर कमरे में लेकर गया वहां उसने इस मासूम के साथ दरिंदगी की।
हैवानियत के दौरान जब लड़की चिल्ला रही थीं तो स्टाफ रूम से कोई बाहर नहीं आ सका क्योंकि बाहर कुंडी लगी हुई थी लेकिन एक नर्स ने मासूम की चीखे सुनकर जाकर जब दरवाजा खोला तो अंदर का हाल देखकर हैरान रह गई। ये पूरा वाक्या ट्रामा सेंटर में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया।ट्रॉमा सेंटर में बच्ची के साथ रेप, अस्पताल प्रशासन ने बांधे पीड़िता के हाथ-पैर

Tuesday, July 5, 2016

14 के लड़के ने 10 साल की बच्ची का रेप कर लिया दादा की हत्या का बदला

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ। यूपी में एक दिलदहलाने वाली घटना घटी। यहां एक बच्चे ने अपना दादा की मौत का बदला लेने के लिए 10 साल की बच्ची का रेप कर डाला। हत्या का बदला लेने के लिए रेप कर डालने की ये अपने आप में पहली घटना है।
बच्ची का रेप 1
सांकेतिक फोटो

बच्ची का रेप करके लिया दादा की मौत का बदला

घटना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले की है। यहां 14 साल के एक लड़के ने 10 साल की बच्ची का बलात्कार किया। इस लड़के ने ये बलात्कार 14 साल पहले मारे गए अपने दादा की मौत का बदला लेने के लिए किया।
लड़के ने मौका पाकर लड़की को झाड़ियों के पास पकड़ लिया और फिर उसका मुंह बांधकर उसके साथ रेप किया।
लड़की जब काफी देर तक घर नहीं पहुंची तो उसकी मां उसके ढूंढते हुए वहां पहुंची। लड़की के प्राइवेट पार्ट्स से खून बह रहा था और वो बदहवास अवस्था में पड़ी हुई था। लड़की की हालात नाजुक बनी हुई है और उसे इलाज के लिए आगरा रिफर किया गया है ।

लड़के को गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेजा गया

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित लड़की के दादा ने तकरीबन 14 साल पहले आरोपी लड़के के दादा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने लड़के को गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेज दिया है।
लड़के ने खुद कबूल किया है कि उसने अपने दादा की मौत का बदला लेने के लिए बच्ची का रेप किया है। किसी से बदला लेने के लिए बलात्कार करने की ये अपने आप में पहली घटना है। जहां एक नाबालिग ने दूसरे नाबालिग का रेप हत्या की बदला लेने के लए किया हो।
इससे मिलता जुलता एक केस पिछले साल दिसंबर में यूपी के मिर्जापुर में हुआ था। यहां दो लोगों ने एक 16 साल की लड़की का रेप किया था। लड़की की मां ने पंचायत चुनाव में आरोपियों को हरा दिया था। हालांकि इस मामले में रेप पीड़ित लड़की ने परेशान होकर बाद में खुदकुशी कर ली थी।

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