टीम ब्रेक न्यूज ब्यूरो
लखनऊ. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद पार्टी के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोला है. लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ बीजेपी के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया. लखनऊ के वीवीआईपी गेस्ट हाउस में मीडिया से मुकातिब हुए संजय सिंह ने चुनाव आयोग पर आप विधायकों का पक्ष सुने बिना ही उनकी सदस्यता रद्द करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने केंद्र के इशारे पर नियमों को ताक पर रखते हुए फैसला लिया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर चुनाव आयोग के जरिए लोकतंत्र की हत्या किये जाने के बात कही. संजय सिंह ने कहा कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति के समय सौंपे गए पत्र में साफ़ लिखा है कि उन्हें किसी भी प्रकार से कोई लाभ का पड़ा नही दिया गया है. बावजूद इसके चुनाव आयोग ने इसे लाभ का पद मानते हुए एकतरफा फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने भी वही किया है जो कई सरकारें करती आई हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 2006 में दिल्ली सरकार तत्कालीन मुख्यमंत्री ने शीला दीक्षित ने 19 विधायकों को लाभ का पद दिया था. इसी तरह वर्तमान में भी झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी वहां की बीजेपी सरकारों ने संसदीय सचिव के पद पर पर विधायकों को नियुक्त कर रखा है. उन्होंने बताया कि हरियाणा में चार विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है और इसी तरह बंगाल में भी विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है. उन्होंने पंजाब और हिमाचल प्रदेश का भी उदाहरण दिया जहां संसदीय सचिवों को लाभ का पद दिया गया है. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में हाईकोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द किया लेकिन किसी भी विधायक की सदस्यता रद्द नहीं हुई. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है. कोर्ट के सामने देश के दूसरे राज्यों का हवाला रखा जाएगा. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी है. संजय सिंह ने उम्मीद जताई कि अपना पक्ष रखने के बाद पार्टी को इस मामले में राहत जरूर मिलेगी. उन्होंने दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी पर आक्रामक तेवर अपनाते हुए कहा कि उन्हें अरविन्द केजरीवाल से इस्तीफा मांगने से पहले अपने प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांगना चाहिए, क्योंकि गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी.









