Saturday, December 23, 2017

धान खरीद में फिसड्डी जिला 52 दिन में मात्र 13 हजार मीट्रिक टन हुई खरीद-गोंडा से सुभाष सिंह की रिपोर्ट

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टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
गोंडा। धान खरीद शुरू हुए 52 दिन बीत गए। लक्ष्य 64 हजार मीट्रिक टन है, जबकि खरीद मात्र 13 हजार मीट्रिक टन हुुआ। ऐसे में धान की खरीद 20 फीसदी से ऊपर नहीं हो सका। इससे हजारों किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है। धान खरीद में सबसे फिसड्डी खाद्य विभाग, पीसीएफ, यूपी एग्रो क्रय एजेंसियां रहीं। यूपी एग्रो ने मात्र दो फीसद की खरीद की है।

मूल्य समर्थन योजना के तहत धान खरीदने के लिए पांच क्रय एजेंसियों को जिम्मेदारी दी गई। इसमें सबको धान खरीद का लक्ष्य दिया गया था। इसमें जिले के केवल 25 सौं किसानों को ही धान खरीद Image result for image gonda fci me dhan khareed
का लाभ मिल सका, जबकि जिले में धान की खेती डेढ़ लाख हेक्टेयर में की जाती है। 

धान की खेती में करीब डेढ़ लाख किसान जुड़े हैं लेकिन किसानों को सरकार की नीतियों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। धान खरीद की धीमी चाल पर अधिकारी एजेंसियों के अधिकारियों व क्रय केंद्र प्रभारियों के खिलाफ शासन को लिख चुके हें इसके बावजूद धान खरीद में प्रगति नहीं हो पा रही है।

जिले में धान खरीद की फैक्ट फाइल
क्रय एजेंसी खरीद लक्ष्य वास्तविक खरीद खरीद प्रतिशत लाभान्वित किसान
खाद्य विभाग 11000 2018 18.35 504
पीसीएफ 40000 6156 15.39 1170
यूपी एग्रो 2200 64.20 2.90 23
सहकारिता 10000 4920 49.20 748
भारतीय खाद्य निगम 800 251 31.40 66
महायोग 64000 13410 20.95 2511

धान खरीद में और तेजी लाने के निर्देश
आयुक्त देवीपाटन मंडल एसवीएस रंगाराव ने बताया कि देवीपाटन मंडल में धान खरीद में तेजी आई है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अभियान चलाकर धान खरीद में तेजी लाएं। 

उन्होंने बताया कि देवीपाटन मण्डल में एक नवम्बर से धान खरीद शुरू की गई थी। देवीपाटन मण्डल ने प्रदेश के नौ मण्डलों में अपने निर्धारित लक्ष्य 2.36 लाख एमटी के सापेक्ष 32.44 प्रतिशत धान खरीद कर पहले स्थान हासिल किया है। मंडल के सम्भागीय खाद्य नियंत्रक राजेश कुमार ने बताया कि देवीपाटन मंडल ने धान खरीद में चौथे स्थान पर है।

एक नवम्बर से धान खरीद शुरू होने वाले प्रदेश के नौ मंडलों में देवीपाटन मण्डल लक्ष्य के सापेक्ष 32.44 प्रतिशत धान की खरीद कर पहले स्थान पर है। मण्डल के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे शासन की प्राथमिकता वाले मूल्य समर्थन योजना के तहत चल रही धान खरीद की नियमित अनुश्रवण कर धान खरीद में और तेजी लाएं। जहां जहां किसानों को असुविधा हो रही उसका मौके पर ही निदान कराया जाए। लापरवाही करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई करें।

कम धान खरीदने वाली एजेंसियों को नोटिस जारी किया गया है। सभी क्रय एजेंसियों के संचालकों से कहा गया है कि वे किसानों का धान बिना लाग लपेट के खरीदें। शासन की मंशा के अनुरूप जो भी लापरवाही करते पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि यूपी एग्रो व पीसीएफ के प्रबंधकों को धान खरीद में तेजी लाने को कहा गया है।
-रत्नाकर मिश्र, जिला खरीद अधिकारी-एडीएम

यूपीकोका पर डीजीपी का विवादित बयान

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टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ.लगातार यूपीकोका को लेकर विपक्ष सूबे की सरकार पर हमलावर है. जहां विपक्ष लगातार यूपीकोका का विरोध कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ यूपी डीजीपी सुलखान सिंह को भारी पड़ गया.

दरअसल यूपीकोका को लेकर एक टीवी चैनल को डीजीपी ने विवादास्पद बयान दिया है. जिसके बाद सपा ने सुलखान सिंह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन मामला उठाया है.
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विधान परिषद से पास हुए बगैर यूपीकोका पर डीजीपी ने बड़ा बयान दिया है. सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने शुक्रवार को सुलखान सिंह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला उठाया है. उन्होने कहा अभी यह विधेयक विधान परिषद में नहीं आया है. लेकिन गुरुवार को ही डीजीपी एक चैनल में कह रहे थे कि यह अधिनियम बहुत अच्छा है.
शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि डीजीपी ने उच्च सदन की गरिमा गिराई है. बगैर परिषद में पास हुए और राज्यपाल के हस्ताक्षर के बगैर यह अधिनियम नहीं बन सकता है. उन्हें इस सदन में बुलाकर माफी मंगवानी चाहिए. सभापति रमेश यादव ने नेता सदन से इस मामले को दिखवाने के निर्देश दिए. इस पर नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने डीजीपी से स्पष्टीकरण मांगा था. वहीं इस पर डीजीपी सुलखान सिंह ने बताया कि उन्होंने टीवी चैनल से कहा था कि यूपीकोका अधिनियम बन जाएगा तो यह सूबे के लिए बहुत अच्छा होगा. उनकी मंशा सदन की गरिमा गिराना नहीं थी.

करारी हार व पारिवारिक रार चौथी बार नहीं मनाया जाएगा सैफई महोत्सव

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टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो

इटावा. समाजवादी पार्टी में पारिवारिक कलह एक बार फिर से सामने आई है. हर साल की तरह इस बार सैफई महोत्सव नहीं मनाया जाएगा. हालांकि बीते दिनों सैफई महोत्सव कमेटी ने इस आयोजन के लिए मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को जानकारी दे दी थी. लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों ही उदासीन नजर आए. यह चौथा मौका है जब महोत्सव नहीं मनाया जाएगा.

माना जा रहा है कि समाजवादी परिवार में तकरार के चलते इस महोत्सव को टाल दिया गया है. बता दें कि हर साल 26 दिसंबर से इस सांस्कृतिक महोत्सव की शुरुआत की जाती थी. वहीं कार्यक्रम के न होने से स्थानीय लोग भी काफी निराश हैं. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव की स्मृति में सैफई महोत्सव का आयोजन किया जाता था. इसकी शुरुआत 1996 में रणवीर सिंह यादव ने की थी.
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जानकारी के मुताबिक यह मेला ब्लाक प्रांगण में छोटे से रूप में लगाया जाता था. धीरे-धीरे इसने विस्तार ले लिया. वर्ष 2002 में मेला संस्थापक रणवीर सिंह यादव का निधन हो गया. साल 2003 में मुलायम के नेतृत्व में प्रदेश में सपा की सरकार बनी तो मेले का नामकरण रणवीर सिंह के नाम पर ही कर दिया गया. मुलायम ने सैफई के मेले को भव्यता प्रदान करते हुए ब्लाक स्तर पर एक भव्य पंडाल का निर्माण कराया. उसके बाद सैफई महोत्सव ख्याति के नए सोपान चढ़ता चला गया. यह चौथा मौका है, जब महोत्सव नहीं होगा. इससे पहले वर्ष 2007 और वर्ष 2011 में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते इसको रद्द किया गया था और 2016 में मुलायम परिवार में खींचतान का ग्रहण लगा था.
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वहीं इस साल सपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बीच कुछ अनबन के कारण इसे नहीं कराया जा रहा है. हालांकि सैफई गांव में 23 दिसंबर से इंडियन ग्रामीण क्रिकेट लीग का शुभारंभ करने स्वयं अखिलेश यादव आ रहे हैं.
ग्रामीण क्रिकेट लीग का आयोजन होगा
बीते दिनों सैफई आए अखिलेश यादव ने सैफई महोत्सव के बारे में पत्रकारों को बताया था कि सीवर लाइन की खोदाई के कारण इस वर्ष सैफई महोत्सव नहीं होगा। उसकी जगह खेल को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्रिकेट लीग का आयोजन कराएंगे और युवाओं को उससे जोड़ा जाएगा। सैफई महोत्सव समिति के कार्यकारी प्रबंधक वेदव्रत गुप्ता का कहना है कि महोत्सव कमेटी ने महोत्सव कराने का फैसला मुलायम सिंह व अखिलेश यादव पर छोड़ दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सूबे में सपा की करारी हार व पारिवारिक रार ही महोत्सव न होने का मुख्य कारण है।

बहुचर्चित चारा घोटाला: लालू समेत 17 दोषी करार, पुलिस कस्टडी में RJD सुप्रीमो

बहुचर्चित चारा घोटाला: लालू यादव समेत 17 दोषी करार, पुलिस कस्टडी में आरजेडी सुप्रीमो
टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो  
बहुचर्चित चारा घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव समेत 17 लोगों को देाषी करार दिया है। दोषियों को तीन जनवरी को सजा सुनाई जाएगी। लाले यादव को पलिस कस्टडी में लिया गया है। पांच आरोपी बरी कर दिए गए हैं। इस मामले में 34लोगों पर आरोपी थे। इसमें 11 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए थे। बिहार समेत देश की सियासत को हिला देने वाले इस चर्चित चारा घोटाले में सीबीआई अदलत में गत 13 दिसंबर को सुनवाई पूरी हुई हो गई थी। शनिवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने फैसला सुनाया। फैसले के लिए लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा रांची स्थित सीबीआई अदालत पहले ही पहुंच चुके थे। अदालत के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ जमा थी। अदालत का फैसला आते ही राजेडी समर्थक आक्रोशित हो गए। वहीं लाले यादव अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे थे। फैसले के पहले मीडिया से मुखातिब आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि मुझे न्याययिक प्रक्रिया पर भरोसा है। जिस तरह से 2जी और आदर्श स्कैम में बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश हुआ है, उसी तरह इस मामाले में भी होगा। यादव ने कहा कि मेरे समर्थक जानते हैं कि मुझे साजिश के तहत फंसाया गया है। मुझे जेल जाना मंजूर है, लेकिन राजनीतिक विरोधियों के आगे घुटने टेकना मंजूर नहीं है।

1998 में चर्चा में आया था रंगीले 'बाबा' का आश्रम

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टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 

नई दिल्ली के विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय मामले की जड़ें फर्रुखाबाद से जुड़ीं हैं। वीरेंद्र देव दीक्षित का कंपिल में गंगा रोड स्थित आध्यात्मिक ईश्वरीय विद्यालय 1998 में पहली बार चर्चा में आया था। यहां कोलकाता से लाई गई युवती को बंधक बनाने और उसके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था। उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न, पुलिस से मुठभेड़ समेत अन्य संगीन धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं।कंपिल के अलावा फर्रुखाबाद में सिकत्तरबाग मोहल्ले में वीरेंद्र देव का आश्रम है। कंपिल क्षेत्र के गांव चौधरियान निवासी सोहन लाल दीक्षित के दो बच्चे वीरेंद्र देव दीक्षित और दूसरी पुत्री थी। 1975 में उसका अपने पिता से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। इससे नाराज होकर वह घर से चले गए थे। 1984 में पिता की मृत्यु के बाद वीरेंद्र देव लौट कर कंपिल आए और अपने पैतृक मकान में कुछ लोगों के सहयोग से आध्यात्मिक कार्यक्रम शुरू किया। तब से आश्रम में गतिविधियों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं ।30 मार्च, 1998 को कोलकाता की युवती के माता पिता ने कंपिल थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष विजय सिंह यादव को पुत्री को आश्रम में बंधक बनाने की शिकायत की थी। पीड़ित माता-पिता ने मामले में न्याय की गुहार लगाई थी। तब पुलिस ने आश्रम में छापेमारी की। पीड़ित युवती को बरामद कर नारी निकेतन भेजा था।आश्रम के 11 सेवादारों पर शांतिभंग की कार्रवाई की थी। वीरेंद्र देव का सिकत्तर बाग और कंपिल में स्थित आश्रम किले के समान है। आश्रम का गेट हर समय बंद रहता है। लोगों का कहना है कि आश्रम में कई महिला और किशोरियां है, लेकिन कभी आश्रम के बाहर निकलतीं नजर नहीं आती है।

वीरेंद्र देव दीक्षित के फर्रुखाबाद और कंपिल आश्रम से 41 लड़कियों को पुलिस ने निकाला

Police catched 41 girls from Farrukhabad and Kampil Ashram of Baba Virendra Dev Dixit
टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
फरुखाबाद शनिवार तड़के फर्रुखाबाद और कंपिल में बने ​बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रमों में 2 घंटे तक तलाशी अभियान चला। इस दौरान मीडिया को अंदर घुसने से मना कर दिया गया। बताया जा रहा है कि फर्रुखाबाद के सिकत्तरबाग में 1 लड़की और कंपिल से 40 लड़कियों को पूछताछ के लिए पुलिस ले गई है।
इन सभी के परिजनों को बुलाया गया है। पुलिस के अनुसार लड़कियों के घरवालों का बयान लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इन 41 लड़कियों में केवल 2 ही लड़कियां कंपिल की रहने वाली हैं बाकी सभी दूसरे प्रदेशों से आकर यहां रह रही हैं।  

बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित से जुड़े आश्रमों में शुक्रवार को भी पुलिस ने फिर छापा मारा था। आश्रम में मौजूद आधा दर्जन महिलाओं और युवतियों से पूछा गया कितने दिन से रह रही हैं। उनके परिजनों से भी फोन पर बात की। क्षेत्राधिकारी ने बताया कि दिल्ली स्थित बाबा के आश्रम में मिलीं महिलाओं में दो बांदा की भी हैं। इन्हें बांदा आश्रम से ही दिल्ली भेजा गया था। इसी की जांच पड़ताल के लिए पूछताछ की गई है। सीओ ने स्वीकारा कि आश्रम संचालिका की भूमिका संदिग्ध है।

जांच में ठीक से सहयोग नहीं कर रही हैं। पुलिस अभी और जांच करेगी। बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के सर्वोदय नगर में चल रहे आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में पुलिस ने 20 नवंबर को छापा मारकर संचालक हेमंत राय व रेखा राय से सघन पूछताछ की थी। अगले दिन कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी कि आश्रम में कुछ महिलाओं को अवैध तरीके से रोका गया है। पुलिस अभी इसकी तफ्तीश कर रही है। हाल ही में सिविल लाइंस चौकी प्रभारी को पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की जांच में ढिलाई बरतने पर निलंबित कर दिया है।

शुक्रवार दोपहर पुलिस ने फिर इस आश्रम में छापा मारा। शहर पुलिस उपाधीक्षक राघवेंद्र सिंह, कोतवाली के एसएसआई उपेंद्र प्रताप सिंह, महिला थाना इंचार्ज अनुपमा श्रीवास्तव ने फोर्स के साथ आश्रम की देर तक जांच पड़ताल की। वहां मौजूद महिलाओं और युवतियों के बारे में पूरी जानकारी लेकर उसे दर्ज किया। उनके परिवार वालों से भी फोन पर बातचीत की।

विश्वविद्यालय संचालिका से हुए सवाल-जवाब

बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित से जुड़े आश्रमों में शुक्रवार को भी पुलिस ने फिर छापा मारा था

विश्वविद्यालय संचालिका रेखा राय से भी कई सवाल किए। उनके पति हेमंत राय के बारे में पूछा। रेखा ने बताया कि वह एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं और उसी के काम से बाहर गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने आश्रम के आसपास रहने वालों से भी पूछताछ की। शुक्रवार को पुलिस की जांच के दौरान आश्रम में बांदा निवासी एक युवती की उम्र को लेकर पुलिस और आश्रम संचालिका में देर तक बहस चली। फर्रुखाबाद जिले के कंपिल थाना क्षेत्र के चौधरियान निवासी सोहनलाल दीक्षित के बेटे बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का विवादों से गहरा नाता है।

वीरेंद्र देव दीक्षित के खिलाफ अलग-अलग थाने में यौन उत्पीड़न, पुलिस से मुठभेड़ समेत अन्य संगीन धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं। कंपिल के अलावा शहर फर्रुखाबाद में सिकत्तरबाग मोहल्ले में इनका आश्रम है। बहन की शादी होने के बाद 1975 में वीरेंद्र देव का अपने पिता से विवाद हो गया। वह घर से निकल गए। 1984 में पिता की मृत्यु के बाद लौटे तो कंपिल में पैतृक जमीन पर आश्रम खोल दिया। यह आश्रम पहली बार 30 मार्च 1998 को चर्चा में आया।

इस दिन कोलकाता की युवती के माता-पिता ने कंपिल थाने में बंधक बनाकर रेप की रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने छापा मार युवती को आश्रम से छुड़ाया। फिर एक के बाद एक कई मामले दर्ज हुए। शुक्रवार को बांदा आश्रम में छापे के बाद यहां के आश्रमों में तोड़फोड़ की अफवाह उड़ गई। पुलिस मौके पर पहुंची तो ऐसा कुछ नहीं मिला।

Wednesday, December 20, 2017

JIO यूजर्स जल्दी उठाएं इस शानदार ऑफर का फायदा, बाकी हैं सिर्फ पांच दिन

get reliance jio cashback offer advantage till 25 december
टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
अगर आप जियो कस्टमर हैं तो आपके पास पांच दिन हैं इस शानदार ऑफर का फायदा उठाने के लिए।  इससे आपको बड़ा फायदा होगा बता दें कि,  जियो ने अपने यूजर्स के लिए 399 का खास कैशबैक ऑफर पेश किया था। पहले रिलाइंस ने इस ऑफर की आखिरी तारीख 25 नवंबर तय की थी। लेकिन अब इसकी तारीख बढ़ाकर 25 दिसंबर कर दी गई है।
आप माई जियो या जियो डॉट कॉम से 399 रुपये कर रिचार्च कराते हैं तो कुल 400 रुपये का कैशबैक मिलेगा। ये आपको पचास-पचास रुपये करके 8 बार में मिलेगा। आप इन वाउचर का इस्तेमाल अगले रीचार्ज के दौरान पैक की कीमत 50 रुपये कम करने के लिए कर पाएंगे।जियो रिचार्ज रिटेलर संतोष सिंधी ने बताया कि, ऑफर का फायदा प्राइम मेंबर को ही दिया जाएगा। यह ऑफर केवल ऑनलाइन रिचार्ज पर ही उपलब्ध होगा। ऑफर के तहत 399 या उससे ज्यादा के किसी भी रिचार्ज पर सबसे ज्यादा कैशबैक यानी 2,599 रुपये तक पेशकश की है।ढाई हजार रुपए के कैश बैक में आपको रकम एकसाथ न मिलकर कई हिस्सों में मिलेगी। जियो एप में आपको चार सौ रुपए मिलेंगे। तीन सौ रुपए आपको मोबाइल वॉलेट में और बचे हुए पैसे का आपको शॉपिंग वाउचर मिलेगा
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अमेजन पे से 499 का पैक रीचार्ज करते हैं तो आपको 400 रुपये का वाउचर मिलेगा, 99 रुपये का कैशबैक भी। मोबिक्विक से जियो के नए यूजर्स 399 रुपए का रिचार्ज करते वक्त NEWJIO कोड डालेंगे तो 300 रुपए का कैशबैक मिल जाएगा। वहीं पुराने यूजर्स को JIO149 कोड डालना है। पुराने यूजर्स को 149 रुपए का कैशबैक मिलेगा।पेटीएम से रिचार्ज करने पर नए यूजर्स को 50 रुपये का कैशबैक मिलेगा। लेकिन दूसरे डिजिटल वॉलेट पर ऑफर का फायदा उठाने के लिए आपको NEWJIO प्रोमोकोड का इस्तेमाल करना होगा।

यूपीकोका विधेयक विधानसभा में पेश, इन कड़े प्रावधानों से नहीं बच सकेंगे अपराधी

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टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ संगठित अपराध में लिप्त अपराधियों से निपटने के लिए योगी सरकार ने बुधवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका) 2017 पेश कर दिया गया।
बृहस्पतिवार को इस विधेयक पर चर्चा होगी और इसके बाद इसे पारित कराया जाएगा। यूपीकोका विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही संगठित अपराध में लिप्त अपराधियों पर सरकार का शिकंजा कस जाएगा।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से या संगठित अपराध, संगठित अपराध के सिंडिकेट के सदस्य के रूप में काम करना, हिंसा का सहारा लेना, दबाव की धमकी, घूसखोरी, प्रलोभन या लालच के सहारे अपराध को अंजाम देना संगठित अपराध की श्रेणी में आएगा।
इसके अलावा आर्थिक लाभ, किसी अन्य व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाने, बगावत को बढ़ावा देने, अवैध साधनों से अवैध क्रिया कलापों को जारी रखने, आतंक फैलाने, बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों, अग्नि, अग्नेयास्त्र, हिंसात्मक साधनों के प्रयोग करके जीवन या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोक प्राधिकारी मारने या बरबाद करने की धमकी देकर फिरौती की मांग करना भी इसके दायरे में आएगा।

इसके अतिरिक्त फिरौती के लिए अगवा करना, किसी ठेके के टेंडर में भागीदार बनने से किसी को रोकना, सुपारी लेकर हत्या करना, जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करना, जाली दस्तावेज तैयार कराना, बाजारों से अवैध वसूली करना, अवैध खनन, हवाला कारोबार, मानव दुर्व्यपार करना, नकली दवाओं, अवैध शराब की बिक्री करने पर भी यूपीकोका के तहत कार्रवाई की जाएगी।
  
संगठित अपराध को रोकने के लिए सरकार ने विधेयक में काफी कड़े प्रावधान किए हैं। अभी तक पुलिस आरोपी को पकड़ती थी और अदालत में पेश कर कहती थी कि यही अपराधी है। उसके बाद सपोर्ट में सुबूत लगाती थी लेकिन यूपीकोका के प्रावधानों में अपराध के समय मौके पर होने का सुबूत मिलने के बाद आरोपी को साबित करना होगा कि वह आरोपी नहीं है।

अपनी पहचान छिपा सकेंगे गवाह

कई बार गवाहों की पहचान उजागर होने पर उनकी जान माल का खतरा बना रहता है, लेकिन यूपीकोका कानून के तहत इसका खास ख्याल रखा गया है कि अगर गवाह चाहे तो उसकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी। इस प्रावधान के तहत न सिर्फ सरकार गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराएगी बल्कि गवाही बंद कमरे में होगी और अदालत भी गवाह के नाम को उजागर नहीं करेगी।

समिति की मंजूरी के बाद ही दर्ज होगा मुकदमा

मनमाने ढंग से मुकदमे न दर्ज हों इसके लिए भी विधेयक में प्रावधान किया गया है। हर जिले में एक जिला संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण होगा। यूपीकोका लगाने के लिए यह अपनी संस्तुति मंडलायुक्त और आईजी या डीआईजी की दो सदस्यीय समिति के पास भेजेगा।

जिला प्राधिकरण से आई संस्तुति पर मंडलायुक्त व रेंज के आईजी अथवा डीआईजी की कमेटी को एक सप्ताह में निर्णय लेना होगा। उनके अनुमोदन के बाद ही यूपीकोकाके तहत कोई भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा। विवेचना के बाद आरोप पत्र जोन के एडीजी या आईजी की अनुमति के बाद ही दाखिल की जा सकेगी।

गलत फंसाया गया तो अपीलीय प्राधिकरण में जा सकेंगे

यूपी कोका के तहत उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में अपीलीय प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान किया गया है। अगर किसी को गलत फंसाया गया तो वह कार्रवाई के खिलाफ प्राधिकरण में अपील कर सकेगा।

अपराधियों की संपत्ति हो सकेगी जब्त

अधिनियम के लागू होने पर राज्य सरकार संगठित अपराधों से अर्जित की गई संपत्ति को विवेचना के दौरान संबंधित न्यायालय की अनुमति लेकर अपने अधीन ले सकेगी। न्यायालय से दंडित होने पर संगठित अपराधियों की संपत्ति राज्य के पक्ष में जब्त किए जाने का प्रावधान भी है।

संगठित अपराध करने वाला नहीं पा सकेगा सुरक्षा

इसके तहत संगठित अपराध करने वाला सरकारी सुरक्षा नहीं पा सकेगा। बाहुबली व संगठित अपराध में लिप्त लोगों के खिलाफ गवाही देने वालों को सुरक्षा देने और जरूरत के अनुसार उनकी गवाही बंद कमरे में लेने का प्रावधान भी किया गया है।

यूपीकोका की पृष्ठभूमि में संघ की फासिस्ट मानसिकता: अखिलेश

यूपीकोका की पृष्ठभूमि में संघ की फासिस्ट मानसिकता: अखिलेश यादव
टीम ब्रेक न्यूज ब्यूरो 
लखनऊ समाजवादी पार्टी ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर विपक्ष के साथ सौतेला व्यवहार करने का अरोप लगाया है। पार्टी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि संविधान की शपथ रागद्वेष से परे रहकर कर्तव्य के निर्वहन की ली गई हैै, लेकिन सरकार में बैठे लोग बदले की भावना से ही निर्णय लेना अपना अधिकार समझते हैं। अखिलेश ने कहा कि राज्य सरकार अपनी तानाशाही चलाने तथा विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए यूपीकोका बिल ला रही है। बीजेपी का यह आचरण अलोकतांत्रिक है। सपा अध्यक्ष ने बुधवार को जारी अपने बयान में कहा कि यूपीकोका बिल कहने को तो अपराध नियंत्रण के लिए लाया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे बीजेपी सरकार का उद्देश्य राजनीतिक स्वार्थ साधना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव सिर पर हैं। इसलिए जनता को परेशान करने के लिए ही यूपीकोका थोपने पर आमादा है। यूपीकोका की पृष्ठभूमि में संघ की फासिस्ट मानसिकता है। अखिलेश यादव ने कहा कि सीएम के कोरे दावों से प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधरने वाले नहीं है। यूपीकोका तो बहाना है। पहले से जो कानून बने हैं उनका इस्तेमाल करके भी अपराध रोका जा सकता है। यादव ने कहा कि बीजेपी के गमछाधारी ही सबसे ज्यादा कानून तोड़ रहे हैं। गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को डराया जा रहा है। बीजेपी राज में हर तरह की अवांछनीय गतिविधियों में इजाफा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपीकोका बिल जनता के लिए अभिशाप साबित होगा। कई बीजेपी नेताओं के नाम अपराधियों के मददगार और संरक्षणदाता की भूमिका के तौर पर सामने आए हैं। बेखौफ अपराधी पुलिस बल पर हमलावर हैं। चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाएं आम हो चुकी हैं। बीजेपी सरकार और सीएम प्रशासनिक व्यवस्था दुरूस्त करने के बजाय विपक्ष पर ही दोष मढ़ते घूम रहे हैं।

हंगामें के बीच विधानसभा में 'यूपीकोका' पास, अब विधान परिषद का इंतजार

हंगामें के बीच विधानसभा में यूपीकोका पास, अब विधान परिषद का इंतजार

टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ. यूपी में बढ़ रहे अपराधों को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किया गया यूपीकोका बिल पास हो गया है. पिछले दिनों इस कानून को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली थी. वहीं सपा की तरफ से कहा गया कि विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सरकार ये बिल लेकर आई है.

बता दें कि सीएम योगी ने विधानसभा में 'यूपीकोका' कानून का ड्राफ्ट पेश किया. सदन में हंगामें के बीच ये बिल पास कर दिया गया. इसके बाद सरकार इसे विधान परिषद में चर्चा के लिए पेश करेगी. वहां से पास होने के बाद उसे राज्यपाल के यहां भेजा जाएगा.
संगठित क्राइम को रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा बुधवार को विधानसभा में यूपीकोका बिल पास हो गया है.
विपक्ष ने किया हंगामा
यूपीकोका बिल को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि योगी सरकार इस कानून का इस्तेमाल सिर्फ दलितों और अल्पसंख्यकों के खात्मे के लिए बनाया गया है. दलितों पर इसके तहत केस दर्ज कर जानबूझकर जेल भेजा जाएगा. उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा. मायावती ने कहा कि ये पूरी तरह से बीजेपी की अल्पसंख्यक विरोधी नीति और मानसिकता को दिखाता है.
तो वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस कानून से बीजेपी अपना राज चाहती है, इसका डर दिखाकर वो विपक्ष को कमजोर करने का साजिश रच रही है. पहले से इतने कानून हैं उन्हें लागू नहीं करवा पा रही है. अपनी कमियों को छुपाने के लिए यूपीकोका लेकर आई है.
मकोका की तर्ज पर काम करेगा यूपीकोका
सीएम योगी ने सत्ता संभालने के बाद संगठित अपराध, माफियाओं पर शिकंजा कसने का आदेश दिया था. इसके बाद तत्कालीन गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र ने मुंबई, दिल्ली और बिहार समेत कई राज्यों में संगठित अपराध के लिए बनाए गए कानून के बारे में जानकारी जुटाई.

राज्यपाल राम नाईक ने बेटियों के प्रदर्शन की सराहना की

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टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
गोरखपुर। राज्यपाल राम नाईक ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में न सिर्फ बेटियों की उपलब्धियों को सराहा बल्कि उन्हें प्रोत्साहित भी किया। उन्होंने उपाधि हासिल करने विद्यार्थियों को वैश्विक स्पर्धा वाले इस युग की चुनौतियों के प्रति आगाह किया। साथ ही कहा कि किताबी ज्ञान पूरी कर लेने के बाद आपको बाहर बड़ी चुनौतियों का सामना करना है। यह स्थानीय न होकर वैश्विक हो गई हैं। सफलता हासिल करने के लिए मेहनत करनी होगी क्योंकि इसका कोई शार्टकट नहीं होता। अगर एक-दो बार असफलता मिलती है तो मन से हारने की जरूरत नहीं है। चलते रहना है। तभी सफलता मिलेगी। यूनिवर्सिटी के दीक्षा भवन में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि कुल 45 स्वर्ण पदकों में से 37 पर बेटियों ने कब्जा जमाया है जो समाज के दृष्टिकोण से सुखद है। यह महिला सशक्तिकरण को बयां करता है। यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किए गए और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बढ़ाए जा रहे ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को चरितार्थ कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जिन 21 यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह हुए हैं, उनमें गोरखपुर यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने आनुपातिक दृष्टिकोण से छात्रों की तुलना में सबसे ज्यादा मेडल हासिल किए हैं। मेडल पाने वाले लड़कों का प्रतिशत जहां 18 है वहीं लड़कियों का 82। अपने छात्र जीवन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह स्नातक के छात्र थे तो उनकी कक्षा में 150 लड़के थे और मात्र चार लड़कियां, लेकिन आज गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पास आउट होने वाले करीब 1.19 लाख विद्यार्थियों में लगभग 73 हजार छात्राएं हैं, जबकि छात्र मात्र 46 हजार। यह सुखद संकेत है। महिला हैं देश की रक्षामंत्री गोरखपुर। राज्यपाल ने कहा कि एक समय था जब लड़कियां या तो शिक्षक बनती थीं या फिर नर्स पर आज लड़कियां आईएएस, आईपीएस बन रही हैं। सेना में भी शामिल हो रही हैं। पायलट बन रही हैं। हालांकि अभी इसपर बहस चल रही है कि महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ाएं या नहीं, लेकिन दूसरी तरफ देश की रक्षा मंत्री एक महिला हैं। यह बदलते समाज के लिए सुखद संकेत है। सभी यूनिवर्सिटी में दीक्षांत हो जाए तो मानूंगा कि शिक्षा व्यवस्था पटरी पर गोरखपुर। राम नाईक ने कहा कि निश्चित तौर पर शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आई है। परीक्षा से लेकर दीक्षांत तक समय से होने लगे हैं, लेकिन प्रदेश की 25 यूनिवर्सिटी में से अब तक मात्र 21 में ही दीक्षांत समारोह हो सके हैं। अगर इस वर्ष बची रह गई अन्य यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह भी हो जाता है तभी वह मानेंगे कि शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आ गई है।

ठंड में बेसहारा लोगों का जीना हुआ मुहाल, सरकारी योजनाएं भी 'बेहाल'

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टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
हापुड़. शहर में कंपा देने वाली सर्दी में खुले आसमान के नीचे जमीन पर एक कंबल के सहारे आज भी लोग रात काटने को मजबूर है. गरीब और बीपीएल वर्ग के लोगों को सर्दी-गर्मी से बचाने व अपना आशियाना बनाने के लिए सरकार की योजनाएं दम तोड़ती नज़र आ रही हैं. हाथ पर हाथ धर बैठा है जिला प्रशासन बता दें, इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है जिसमें जनपद में फ्लाईओवर के नीचे रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथों पर सैकड़ों बेघर लोग एक कंबल के सहारे रात गुजारने को मजबूर हैं. इन गरीबों के पास ठंड से बचने के लिए कोई छत नहीं. सवाल यह उठ रहा है कि इस कड़ाके की ठंड के बीच जिला प्रशासन भी हाथ पर हाथ धर के बैठा है और इन गरीबों की मदद करने को आगे नहीं बढ़ रहा है. इस दौरान रेलवे स्टेशन के पास एक ऐसा परिवार भी मिला जो कश्मीर से भारी बर्फबारी के होते हुए रेलवे स्टेशन के बाहर सोया था. कश्मीर की ठंड से बचने के लिए भी स्टेशन पर रात गुजारते दिखे लोग जब कश्मीरी परिवार से इसका कारण पुछा गया तो उन्होंने बताया कि इस समय कश्मीर में बहुत ज्यादा बर्फबारी हो रही है, जिस से बचने के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के हापुड़ में आकर अपनी जान बचाई है. उन्होंने यह भी बताया कि हापुड़ के किसी प्रशासन के अधिकारी ने रैन बसेरा के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी है. यही वजह है कि उनका परिवार हापुड़ रेलवे स्टेशन के बाहर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है. मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है उत्तर प्रदेश में ठंड के कारण हुई मौत पर जिले के अधिकारियों से जवाब मांगे जाएंगे. 

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