
टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ संगठित अपराध में लिप्त अपराधियों से निपटने के लिए योगी सरकार ने बुधवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका) 2017 पेश कर दिया गया।
बृहस्पतिवार को इस विधेयक पर चर्चा होगी और इसके बाद इसे पारित कराया जाएगा। यूपीकोका विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही संगठित अपराध में लिप्त अपराधियों पर सरकार का शिकंजा कस जाएगा।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से या संगठित अपराध, संगठित अपराध के सिंडिकेट के सदस्य के रूप में काम करना, हिंसा का सहारा लेना, दबाव की धमकी, घूसखोरी, प्रलोभन या लालच के सहारे अपराध को अंजाम देना संगठित अपराध की श्रेणी में आएगा।
इसके अलावा आर्थिक लाभ, किसी अन्य व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाने, बगावत को बढ़ावा देने, अवैध साधनों से अवैध क्रिया कलापों को जारी रखने, आतंक फैलाने, बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों, अग्नि, अग्नेयास्त्र, हिंसात्मक साधनों के प्रयोग करके जीवन या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोक प्राधिकारी मारने या बरबाद करने की धमकी देकर फिरौती की मांग करना भी इसके दायरे में आएगा।
इसके अतिरिक्त फिरौती के लिए अगवा करना, किसी ठेके के टेंडर में भागीदार बनने से किसी को रोकना, सुपारी लेकर हत्या करना, जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करना, जाली दस्तावेज तैयार कराना, बाजारों से अवैध वसूली करना, अवैध खनन, हवाला कारोबार, मानव दुर्व्यपार करना, नकली दवाओं, अवैध शराब की बिक्री करने पर भी यूपीकोका के तहत कार्रवाई की जाएगी।
संगठित अपराध को रोकने के लिए सरकार ने विधेयक में काफी कड़े प्रावधान किए हैं। अभी तक पुलिस आरोपी को पकड़ती थी और अदालत में पेश कर कहती थी कि यही अपराधी है। उसके बाद सपोर्ट में सुबूत लगाती थी लेकिन यूपीकोका के प्रावधानों में अपराध के समय मौके पर होने का सुबूत मिलने के बाद आरोपी को साबित करना होगा कि वह आरोपी नहीं है।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार किसी व्यक्ति द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से या संगठित अपराध, संगठित अपराध के सिंडिकेट के सदस्य के रूप में काम करना, हिंसा का सहारा लेना, दबाव की धमकी, घूसखोरी, प्रलोभन या लालच के सहारे अपराध को अंजाम देना संगठित अपराध की श्रेणी में आएगा।
इसके अलावा आर्थिक लाभ, किसी अन्य व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाने, बगावत को बढ़ावा देने, अवैध साधनों से अवैध क्रिया कलापों को जारी रखने, आतंक फैलाने, बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों, अग्नि, अग्नेयास्त्र, हिंसात्मक साधनों के प्रयोग करके जीवन या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोक प्राधिकारी मारने या बरबाद करने की धमकी देकर फिरौती की मांग करना भी इसके दायरे में आएगा।
इसके अतिरिक्त फिरौती के लिए अगवा करना, किसी ठेके के टेंडर में भागीदार बनने से किसी को रोकना, सुपारी लेकर हत्या करना, जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करना, जाली दस्तावेज तैयार कराना, बाजारों से अवैध वसूली करना, अवैध खनन, हवाला कारोबार, मानव दुर्व्यपार करना, नकली दवाओं, अवैध शराब की बिक्री करने पर भी यूपीकोका के तहत कार्रवाई की जाएगी।
संगठित अपराध को रोकने के लिए सरकार ने विधेयक में काफी कड़े प्रावधान किए हैं। अभी तक पुलिस आरोपी को पकड़ती थी और अदालत में पेश कर कहती थी कि यही अपराधी है। उसके बाद सपोर्ट में सुबूत लगाती थी लेकिन यूपीकोका के प्रावधानों में अपराध के समय मौके पर होने का सुबूत मिलने के बाद आरोपी को साबित करना होगा कि वह आरोपी नहीं है।
कई बार गवाहों की पहचान उजागर होने पर उनकी जान माल का खतरा बना रहता है, लेकिन यूपीकोका कानून के तहत इसका खास ख्याल रखा गया है कि अगर गवाह चाहे तो उसकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी। इस प्रावधान के तहत न सिर्फ सरकार गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराएगी बल्कि गवाही बंद कमरे में होगी और अदालत भी गवाह के नाम को उजागर नहीं करेगी।
मनमाने ढंग से मुकदमे न दर्ज हों इसके लिए भी विधेयक में प्रावधान किया गया है। हर जिले में एक जिला संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण होगा। यूपीकोका लगाने के लिए यह अपनी संस्तुति मंडलायुक्त और आईजी या डीआईजी की दो सदस्यीय समिति के पास भेजेगा।
जिला प्राधिकरण से आई संस्तुति पर मंडलायुक्त व रेंज के आईजी अथवा डीआईजी की कमेटी को एक सप्ताह में निर्णय लेना होगा। उनके अनुमोदन के बाद ही यूपीकोकाके तहत कोई भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा। विवेचना के बाद आरोप पत्र जोन के एडीजी या आईजी की अनुमति के बाद ही दाखिल की जा सकेगी।
जिला प्राधिकरण से आई संस्तुति पर मंडलायुक्त व रेंज के आईजी अथवा डीआईजी की कमेटी को एक सप्ताह में निर्णय लेना होगा। उनके अनुमोदन के बाद ही यूपीकोकाके तहत कोई भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा। विवेचना के बाद आरोप पत्र जोन के एडीजी या आईजी की अनुमति के बाद ही दाखिल की जा सकेगी।
यूपी कोका के तहत उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में अपीलीय प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान किया गया है। अगर किसी को गलत फंसाया गया तो वह कार्रवाई के खिलाफ प्राधिकरण में अपील कर सकेगा।
अधिनियम के लागू होने पर राज्य सरकार संगठित अपराधों से अर्जित की गई संपत्ति को विवेचना के दौरान संबंधित न्यायालय की अनुमति लेकर अपने अधीन ले सकेगी। न्यायालय से दंडित होने पर संगठित अपराधियों की संपत्ति राज्य के पक्ष में जब्त किए जाने का प्रावधान भी है।
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