Saturday, April 8, 2017

फिर मचने वाला है नोटों का हाहाकार

फिर मचने वाला है नोटों का हाहाकार

नई दिल्ली. नोटबंदी के बाद नोटों के लिये मचा हाहाकार अगर याद हो तो इसके लिये एक बार तैयार हो जाइये. यह हाहाकार फिर शुरू होने वाला है. देश के कई शहरों में नोटों की दिक्क़त शुरू हो चुकी है. कई एटीएम या तो खाली हैं या फिर वहां का शटर डाउन है. इसकी वजह यह है कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया ने नोटों की सप्लाई में 25 फीसदी की कमी कर दी है. ऐसा नहीं है कि देश के पास नोटों की कमी हो गई है. नोट पर्याप्त मात्रा में हैं. रिज़र्व बैंक ने नोटों की सप्लाई में जो कमी की है उसमें केन्द्र सरकार की मर्जी शामिल है. दरअसल केन्द्र सरकार डिज़िटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देना चाहती है. सरकार की मर्जी है कि पूरे देश में कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाये. नोटबंदी के बाद लोगों ने सरकार की मंशा के अनुरूप कैशलेस व्यवस्था को अपनाया भी था लेकिन अब फिर पूरा कारोबार कैश पर आधारित हो गया है ऐसे में रिज़र्व बैंक ने नोटों की सप्लाई में 25 फीसदी की कमी कर लोगों की मुसीबतों में इजाफा कर दिया है. कैशलेस व्यवस्था में कमी आने के बाद स्थितियां ऐसी हो गई हैं कि बैंकों में जमा कम हो रहा है और निकाला ज्यादा जा रहा है. ऐसे में बैंकों की हालत का लड़खड़ाना तय है. बैंकों की हालत को सुद्रढ़ बनाने के लिये सरकार ने यह कदम उठाया है.


सपा के शानदार कामों पर पानी फेरने की जुगत में लगी बीजेपी : राजेंद्र चौधरी

बीजेपी सपा के शानदार कामों पर पानी फेरने की जुगत में लगी है : राजेंद्र चौधरी
ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
 लखनऊ. समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि झूठ और अफवाह बाजी आरएसएस के दो मुख्य हथियार हैं जिनका इस्तेमाल कर भाजपा सत्ता में आ तो गई है पर अब तक जनहित की कोई योजना लाने के बजाय वह समाजवादी सरकार के समय हुए शानदार कामों पर पानी फेरने की जुगत में लग गई है. अपनी सरकार की दिशाहीनता तथा स्पष्ट नीति कार्यक्रमों के अभाव में भाजपा को यही सहज लगता है कि वे अखिलेश यादव के बेदाग चेहरे पर उँगली उठाने से उनकी वाहवाही हो जाएगी.  अखिलेश यादव ने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में किसानों, गरीबों, श्रमिकों, अल्पसंख्यकों सहित समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई थी. वे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए प्रयत्नशील थे. उनके इस अभियान में पलीता लगाने और जनता का ध्यान हटाने में ही पहले दिन से भाजपा नेता अपना सारा श्रम शक्ति तथा साधन लगा रहे हैं. अखिलेश यादव ने गांव-गरीब के हित में राज्य के बजट में 75 प्रतिशत धनराशि रखी थी. स्वास्थ्य, शिक्षा , सिंचाई की मुफ्त व्यवस्था की थी. किसानों का 50 हजार तक का कर्ज माफ किया था. भाजपा सरकार में अभी जो किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की है. उस निर्णय का तो क्रियान्वयन भी नहीं हो पाया हैं उसमें भी तमाम प्रशासनिक छेद है. जबकि समाजवादी सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों को सीधे मिला था. किसानों को समय से खाद, बीज, उपलब्ध हो इसकी संपूर्ण व्यवस्था की गई. विद्युत आपूर्ति के साथ ट्रांसफार्मर बदलने की भी निश्चित अवधि तय की गई.  भाजपा द्वारा समाजवादी सरकार पर किसानों की उपेक्षा का आरोप सरासर गलत है. भाजपा बताए अभी तक किसानों के हित में कौन से  काम किये हैं? फिर किस आधार पर वह अपने को किसान हितैषी और समाजवादी पार्टी को किसान विरोधी बता रहे है. राज्य के किसान इससे गुमराह नहीं होने वाले हैं क्योंकि वे हर हकीकत सेवा किया है.  शब्दों की हेराफेरी कर जनता को बहकाया भी नहीं जा सकता है. भाजपा नेतृत्व को बताना होगा कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के वादे को वह जमीन पर कैसे उतारेंगे? उत्तर प्रदेश की जनता विकास चाहती है, जनता को शब्द परिवर्तन नहीं उनके उत्तर का इंतजार रहेगा.   


अपनी मौत के बाद पड़ोसी से लड़की के भूत ने मांगी मदद

पुलिस ने घर में दफ्न लाश को खोदकर बाहर निकाल लिया है
ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो डेस्क  
नई दिल्ली. हरियाणा के फरीदाबाद में एक ऐसी घटना घटित हुई, जिसे सुनने के बाद आपको बॉलीवुड हॉरर मूवी की कहानी याद आ जाएगी, लेकन ये घटना कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है. यह मामला फरीदाबाद के संतोष नगर इलाके का है. यहां करीब डेढ़ साल पहले एक लड़की को उसके परिजनों ने मौत के बाद घर में ही कब्र खोदकर दफ्न कर दिया था. जिसके बाद लड़की की आत्मा पड़ोसियों से मिलती और कहती कि, 'मुझे मेरे माता-पिता ने घर में दफना दिया है, मुझे बहार निकालो.' यह सिलसिला पिछले डेढ़ साल से जारी था. अब जब पड़ोसियों ने इसकी सूचना पुलिस को दी तो पुलिस ने उस लड़की का नरकंकाल उसके घर से खुदाई करके बरामद किया है. इस मामले में घरवालों का कहना है कि लड़की ने आत्महत्या की थी, जबकि पड़ोसी इसे प्रेम प्रसंग का मामला बता रहे हैं. सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है.  पुलिस के मुताबिक, लड़की के माता-पिता को उसका नौकरी करना पसंद नहीं था, इसी बात से परेसान होकर लड़की ने 14 जुलाई 2015 को आत्महत्या कर ली और घरवालों ने समाज के डर से उसे कमरे के अन्दर दफ़न कर दिया. हालाँकि सच्चाई क्या है इसका पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही लग पाएगा. पुलिस रिपोर्ट का इन्तजार कर रही है.
पुलिस को शुरुआती जांच में मामला सुसाइड का लग रहा है. हैरानी की बात है कि घरवालों ने लड़की को मौत के बाद घर में दफ्न क्यों किया था.पुलिस के अनुसार लड़की ने 14 जुलाई 2015 को घर में ही सुसाइड कर लिया था. उसके परिजनों ने लोक लाज के डर से घर में ही एक कमरे के अंदर कब्र खोदकर लड़की को उसमें दफना दिया था. पुलिस को अब जाकर घटना की सूचना मिली. सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई. पुलिस ने मौके पर जाकर कमरा खुलवाया. खुदाई की और लड़की का नरकंकाल बरामद कर लिया.पुलिस की जांच में अभी तक मामला सुसाइड का मामला सामने तो आया है लेकिन आगे की जांच के लिए पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. पुलिस ने बताया कि लड़की के परिजनों को उसका नौकरी करना पसंद नहीं था. लड़की ने इसी बात से परेशान होकर ख़ुदकुशी कर ली थी.वहीं, दूसरी तरफ पड़ोसियों का कहना है कि मृतक लड़की का साया पिछले काफी दिनों से पड़ोसियों को परेशान कर रहा था. मृतक लड़की पिछले डेढ़ साल से पड़ोस में रहने वाले लोगों को भूत बनकर डरा रही थी. वह कहती थी 'मुझे घर के अंदर ही मेरे मां बाप ने दफना दिया है. मुझे बाहर निकालो.'इसके बाद ही पड़ोसियों ने पुलिस को शिकायत की थी. पडोसी इस मौत के पीछे प्रेम प्रसंग का मामला भी बता रहे हैं. पुलिस हर पहलू से मामले की जांच पड़ताल कर रही है.


बाराबंकी :अब थाने में फरियादी को फटकार की जगह मिलने लगा पेठा


टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो  
लखनऊ. सूबे का निजाम बदला है तो राजधानी लखनऊ से सटे जिले बाराबंकी में बदलाव स्पष्ट नज़र आने लगा है. जिन थानों की पुलिस एफआईआर कराने के लिए आने वालों को भगा दिया करती थी अब वह फरियादियों को कुर्सी पर बिठाकर समस्या पूछी जाने लगी है. उन्हें पानी पिलाया जाने लगा है. बाराबंकी के एसपी गौरव कृष्ण ने जिले के सभी 22 थानों को निर्देशित किया है कि थाने में अपनी फरियाद लेकर आने वालों के प्रति पुलिस अपना नजरिया और व्यवहार दोनों बदले. एसपी वैभव कृष्ण ने योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप थानों को चलाने का निर्देश दिया है. एसपी के निर्देश के बाद अब एफआईआर भी दर्ज हो रही है और फरियादी को कुर्सी पर बिठाकर पानी भी पिलाया जा रहा है और पेठा भी खिलाया जा रहा है. एसपी के निर्देश पर जिले में दो दिवसीय एफआईआर मेला लगाया गया. इस मेले में 185 एफआईआर और 62 एनसीआर दर्ज की गईं.

अब थाने में फरियादी को फटकार की जगह मिलने लगा पेठा

बाराबंकी पुलिस में अचानक हुए इस बदलाव से लोग आश्चर्यचकित तो हैं लेकिन खुश भी बहुत हैं. जिस पुलिस के पास जाने से ही जहाँ आम आदमी डरने लगता था, वह बात सुनने लगी है तो ताज्जुब की बात तो है ही. आम आदमी तो यही मानकर चलता है कि कमज़ोर ज़ुल्म सहने के लिए ही पैदा होता है और थानों में सिर्फ ताक़तवर लोगों की बात ही सुनी जाती है. योगी आदित्यनाथ ने जब यह साफ़ कर दिया कि चेहरा देखकर फैसला नहीं किया जाए. क़ानून सबके लिए बराबर हो. कोई फरियादी आये तो पुलिस और प्रशासन दोनों संवेदनशील हों. बाराबंकी के एसपी वैभव कृष्ण पुलिस को जनता के करीब लाने के लिए पहले भी कुछ अनूठे प्रयोग कर चुके हैं. एफआईआर मेला जैसे उनके काम सराहे भी गए हैं.  एफआईआर मेले के तहत जिले में पहले दिन 15 से 17 एफआईआर दर्ज हुईं. एफआईआर मेले के दो दिनों में 185 एफआईआर और 62 एनसीआर दर्ज हुईं. मुख्यमंत्री की पहल के बाद बाराबंकी पुलिस में जो बदलाव हुआ है उसकी तारीफ ही की जा सकती है. 

'मोगली गर्ल' से 'वन दुर्गा' तक के सफर में चाइल्ड लाइन की भूमिका पर उठे सवाल



टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ. आज कल के समय में जहाँ मनुष्यों में पशुता बढती जा रही है इसी बीच बहराइच में पशुओं के बीच में मिली बच्ची को देख के एक बार फिर लोग सोचने को मजबूर हो गए. जब वो लड़की बहराइच के जिला अस्पताल में बच्ची को देखने वालों की भीड़ आने लग गई. लोग उस मोगली गर्ल के साथ जुड़ के रहना चाहते है भीड़ उसके साथ सेल्फी लेने को बेताब रही. लेकिन उस लड़की में लोगों से भय है वो मनुष्यों की भीड़ को देख कर सहम जाति है. बहराइच के डीएम ने उस लड़की का नाम वन दुर्गा रख दिया शनिवार को वन दुर्गा को जब लखनऊ स्थानन्तरित किया गया तो सीएमएस भी भावुक हो गए. मेडिकल कालेज में चेकअप के उपरान्त बच्ची दृष्टि संस्थान लखनऊ में रहेगी. लखनऊ ले जाने के लिए जब वन दुर्गा की देखभाल करने वाली रेनू व माया जब उसे छोड़ रही थी तो ऐसे रो रही थी जैसे अपनी बेटी को विदा कर रही हो. मीडिया के सवाल पर रेनू ने कहा की ढाई महीने से मैं और माया ही इसकी सेवा कर रही हैं, आज लग रहा है की मेरी बेटी मुझसे अलग हो रही है.   ये है जंगल मोगली से वन दुर्गा की कहानी:- बहराइच की कतर्नियाघाट सेंक्चुरी के मोतीपुर रेंज में 20 जनवरी को आबादी से सटे इलाके में एक बच्ची बंदरों से घिरी लहूलुहान थी और शरीर पर नाममात्र के कपड़े थे. जिसके बाद उसे 25 जनवरी को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. यहां पर इलाज के दौरान उसके घाव तो भर गए. लेकिन मानसिक अस्वस्थता के चलते उसके हाव-भाव अजीब तरह के रहे. जिसके चलते किसी ने उसे मोगली गर्ल घोषित किया तो किसी ने जंगल में वन्यजीवों के बीच किशोरी के रहन-सहन की बात कही. बाल रोग विशेषज्ञ उसके नेपाली मूल के होने की आशंका जता रहे हैं. इस पुरे मामले में चाइल्ड लाइन कि भूमिका संदिग्ध नजर आती है. चाइल्ड लाइन को पत्र कई बार लिखा गया. लेकिन कोई कवायद नहीं हुई. फिर बाल कल्याण समिति को पत्र भेजा गया. लेकिन किशोरी को लेने कोई नहीं आया. उन्होंने कहा कि मानसिक अस्वस्थता के चलते किशोरी की हरकतें अजीब तरह की हैं. वह कभी मारने दौड़ती है तो कभी अजीब तरह का व्यवहार करती है. किशोरी को मानसिक रोग विशेषज्ञ के इलाज की जरूरत है. इसके लिए किशोरी को केजीएमयू लखनऊ रेफर करने को पत्र लिखा है. मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अरुणलाल ने बताया कि किशोरी मानसिक रूप से पूरी तरह अक्षम है. चिकित्सीय परीक्षण के दौरान गुरुवार को इसकी पुष्टि हुई है. उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों की तरह व्यवहार की बात सामने नहीं आयी. 


गोंडा: बकरा काट रहे शख्स को पुलिस ने किया गिरफ्तार



ब्रेक न्‍यूज ब्‍यूरो
गोंडा. सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने यूपी में अवैध कत्‍लखानों और खुले में मांस की बिक्री करने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसी बीच शुक्रवार को गोंडा में एक व्‍यक्ति खुले में बकरा काटते रंगेहाथ पकड़ा गया। खुले में बकरा काटने के आरोप में आरेापी व्‍यक्ति को पुलिस के हवाले कर दिया गया। वहीं, एसडीएम ने बताया कि शासन के आदेश के खिलाफ काम करने के आरोप में आरोपी को जेल भेजा जाएगा।

यूपी के गोंडा जिले में एसडीएम हरिशंकर लाल शुक्‍ल और ज्‍वाइंट मजिस्‍ट्रेट आशीष कुमार ने एक व्‍यक्ति को खुले में बकरा काटते रंगे हाथ पकड़ लिया। इस बात की सूचना तत्‍काल पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने खुले में बकरा काट रखे व्‍यक्ति मुख्तार अहमद को गिरफ्तार कर लिया। अब पुलिस आरोपी को जेल भेजने की तैयारी कर रही है।

हिंदू युवा वाहिनी ने चर्च में बंद कराई प्रार्थना, 150 लोग कर रहे थे धर्म परिवर्तन


ब्रेक न्यूज ब्‍यूरो 
महाराजगंज: यूपी के गोरखपुर से सटे महाराजगंज में धर्मांतरण को लेकर हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। साथ ही चर्च में हो रहे प्रार्थना को भी जबरन रूकवा दिया। हियुवा के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि चर्च में धर्मांतरण कराया जा रहा था। चर्च में धर्मांतरण खबरों की माने तो महाराजगंज की सबसे पुरानी चर्च में प्रार्थना चल रही थी, जिसे 9 अमेरिकी नागरिक करा रहे थे। इस प्रार्थना में 150 से ज्यादा स्थानीय लोग शमिल हुए थे। तभी इस प्रार्थना के बारे में हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को सूचना मिली की चर्च में धर्मांतरण कराया जा रहा है। जिसके बाद हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता वहां पहुंच गए, और जमकर बवाल किया और प्रार्थना को बंद करा दिया।  चर्च संचालक ने कहा सिर्फ हो रही थी प्रार्थना  वहीं, मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत कराया और लोगों को घर भेज दिया। साथ ही 9 अमेरिकी नागरिकों से भी पूछताछ करके उन्हें छोड़ दिया। हालांकि, चर्च संचालक की मानें तो यहां सिर्फ प्रार्थना हो रही थी, किसी तरह का कोई धर्मांतरण नहीं कराया जा रहा था।  सीएम योगी से करेंगे शिकायत  लेकिन हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं की मानें तो इस इलाके में पहले भी धर्मांतरण कराए गए हैं। हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने मांग की कि अगर चर्च संचालक के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वो इसकी शिकायत सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से करेंगे। बताते चले कि यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ हिन्‍दू युवा वाहिनी के संरक्षक हैं। 

Wednesday, April 5, 2017

बाराबंकी : झुलसी महिला की मौत,पति पर जलाने का आरोप


ब्रेक न्यूज ब्यूरो 
बाराबंकी हैदरगढ़ मल्लाही पुरवा गांव में आग में झुलस कर घायल महिला की इलाज के दौरान जिला चिकित्सालय में मौत हो गई है। मृतका की मां की तहरीर पर पुलिस ने पति, सौत, ससुर समेत पांच के विरुद्ध हत्या करने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास शुरू किया है। चार मार्च की शाम को कोतवाली हैदरगढ़ के मल्लाहन पुरवा गांव में चमेला पत्नी उदय मल्लाह घर पर आग में झुलस गई थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने एंबुलेंस से सीएचसी पहुंचाया था जहां से गंभीर अवस्था में जिला चिकित्सालय रेफर किया गया था। नब्बे प्रतिशत बर्न महिला की बुधवार को जिला चिकित्सालय में मौत हो गई है।

जिला चिकित्सालय में मजिस्ट्रेट के समक्ष गंभीर अवस्था में जली महिला ने पति व उसकी की दूसरी पत्नी अपनी सौत समेत ससुराल के अन्य लोगों पर मिट्टी का तेल डाल कर जलाने का बयान दिया था। मृतका की मां छोटका पत्नी आशाराम निवासी धनौली थाना असंद्रा की तहरीर पर पुलिस ने पति उदय, सौत जनकरानी, ससुर भवानीप्रसाद व भतीजी आरती के विरुद्ध हत्या की रिपोर्ट दर्ज की है।

कोतवाल पीके तिवारी ने बताया कि मृतका का पति उदय दिल्ली से करीब एक सप्ताह पहले दूसरी पत्नी जनक रानी को घर लेकर आया था। इसी को लेकर पति-पत्नी में विवाद चल रहा था तथा चमेला के घर पर जली अवस्था में पड़ी होने की सूचना ग्रामीणों ने पुलिस को दी थी।

कोतवाल ने कहा महिला के मृत्यु पूर्व बयान तथा उसकी मां की शिकायत पर पुलिस ने पहले जानलेवा हमला की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर ली थी। कहा महिला की मौत के बाद अब मामले में हत्या की धाराओं को बढ़ाने के साथ आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है।

समाजवादी योजनाओं पर लगा 'योगी ग्रहण



ब्रेक न्‍यूज ब्‍यूरो 
लखनऊ. योगी आदित्‍यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही यूपी में सभी समाजवादी योजनाओं पर ग्रहण लग गया है। पहले बच्‍चों के स्‍कूल बैग और राशन कार्ड से अखिलेश यादव की तस्‍वीर को हटाने का आदेश दिया गया और अब समाजवादी आवास स्‍कीम को भी रोकने का आदेश सीएम योगी ने दे दिया है।  सीएम योगी के आदेश के बाद अब यूपी में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग के लोगों को सस्‍ते दामों पर 2बीएचके और 3बीएचके फ्लैट दिए जाएंगे। बता दें, केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद देशभर में सस्‍ता घर दिलाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना को लांच किया गया था। वहीं, अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए यूपी में इस योजना को प्रोत्‍साहन देने के बजाय समाजवादी आवास स्‍कीम को लांच किया था। क्‍या थी समाजवादी आवास योजना समाजवादी आवास योजना के तहत अखिलेश यादव ने मध्यम वर्ग और निम्‍न वर्ग के लोगों को 2बीएचके वाले सस्‍ते फ्लैट देने का वादा किया था। समाजवादी आवास स्‍कीम के तहत वर्ष 2016 तक करीब 3 लाख लोगों को सस्‍ता घर देने का लक्ष्य रखा था। क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना सीएम योगी आदित्‍यनाथ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मध्यम वर्ग और निम्‍न वर्ग के लोगों को 2बीएचके और 3बीएचके फ्लैट उपलब्‍ध कराएंगे। प्रधानमंत्री आवास स्कीम के मुताबिक, 6-12 लाख रुपए की वार्षिक आय वाले परिवारों को 90 स्कॉयर मीटर और 12-18 लाख रुपये वार्षिक आय वाले परिवारों को 110 स्क्वायर मीटर कार्पेट एरिया के सस्ते घर दिए जाएंगे।

Tuesday, April 4, 2017

कहां जाएंगे मय के दीवाने, CM योगी के इस आदेश से हो जाएंगे मयखाने बंद!



ब्रेक न्यूज ब्यूरो लखनऊ. उत्तर प्रदेश में भले शराबबंदी पर कोई फैसला न लिया हो लेकिन ऐसा सीएम योगी के निर्देश पर ऐसा आदेश जारी हुआ है, जिससे सूबे में शाराब की बिक्री पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के अनुसार अब धार्मिक स्थल, स्कूल व बस्ती से 500 मीटर की दूरी पर ही शराब की दुकानें खुल सकेंगीं. सुप्रीम कोर्ट आबादी से दूर हाईवे के किनारे खुलने वाली शराब की दुकानों के लिए पहले ही निर्देश जारी कर चुका है. यूपी सरकार के इस निर्देश के बाद आबकारी विभाग और शराब के व्यपारियों के लिए मुश्किलें खड़ी होती नजर अ रही हैं. क्या था पहले नियम आबकारी विभाग के मानकों के अनुसार किसी पब्लिक पूजा स्थल, विद्यालय, चिकित्सालय या रेजिडेंशियल कालोनी के नगर निगम क्षेत्र में होने पर 50 मीटर की दूरी के भीतर, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र में होने के मामले में 75 मीटर की दूरी के भीतर और ग्रामीण इलाकों में 100 मीटर की दूरी के भीतर शराब की दुकान या उप दुकान को लाइसेंस नहीं दिया जाता था. साथ ही सार्वजनिक और रजिस्टर्ड पूजा स्थल, मानयता प्राप्त विद्यालय, हॉस्पिटल, या रेजिडेंशियल कॉलोनी अगर शारब की दुकान या उप दुकान खोले जाने के बाद अस्तित्व में आते हैं तो यह नियम लागू नहीं होंगे. क्या पड़ेगा प्रभाव? नए नियम के अनुसार अब शहरी या ग्रामीण किसी भी क्षेत्र में शराब की दुकानें रिहाइशी आबादी से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर खुलेंगी. ऐसे में शराब के व्यवसायियों  और आबकारी अधिकारियों का मानना है कि शाराब की दुकानें वीराने में ही खुल पाएंगीं. शराब के कारोबारियों का कहना है कि कोई भी व्यवसाय ग्राहकों के कारण चलता है, वीराने में भला कौन ग्राहक शराब खरीदने आएगा.  सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही शराब की दुकानें राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से 500 मीटर की दूरी पर बनाने का आदेश दे रखा है. ऐसे में शराब की दुकानें खुलने की संभावना बिलकुल नगण्य हो जाएगी. यूपी में शराबबंदी के लिए महिलाएं हो चुकी हैं लामबंद यूपी में शराबबंदी को लेकर उबाल जारी है. सूबे के कई जिलों में महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं और आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दे रही हैं. आगरा, मुरादाबाद, बरेली, हापुड़ और वाराणसी जैसे कई जिलों में शराब की दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की जा चुकी है. इस मामले में सीएम योगी आदित्यईनाथ ने कहा है कि हंगामा कर रहे लोगों को समझाया जाए. कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है. बता दें, शराबबंदी को लेकर महिलाएं सबसे ज्याादा हिंसक हो रही हैं. इसका कारण है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईवे पर शराब की दुकानें बंद होने के बाद रिहाइशी इलाकों में खुलान शुरू हो गई थीं.

किसानो की कर्जमाफी तो होगी लेकिन.......



ब्रेक न्यूज ब्यूरो  लखनऊ. अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए यूपी की योगी सरकार अपनी पहली कैबिनेट बैठक में किसानो के कर्जमाफी के लिए तो तैयार है मगर एक लेकिन के साथ.. कैबिनेट से पहले कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि सारे किसानो का कर्ज नहीं माफ़ होगा. प्रदेश के जो किसान बैंकिंग सिस्टम से जुड़े हैं सिर्फ उनका ही कर्ज माफ किया जाएगा. फसली ऋण के अलावा कुछ और माफ नहीं होगा. जिन किसानों ने भैंस, ट्रैक्टर और इंजन के लिए कर्ज लिए हैं, उनका कर्ज माफ नहीं किया जाएगा.साथ ही कैबिनेट मंत्री ने इशारा किया कि यह राशि 30 से 45 हजार करोड़ के बीच होगी. जबकि किसानो पर कुल कर्ज करीब 63 हजार करोड़ है.   कर्जमाफी के मुद्दे से केंद्र सरकार द्वारा पल्ला झाड़ लेने के बाद अब यह व्यवस्था राज्य को अपने स्तर पर ही करनी होगी. यूपी में  लगभग 2 करोड़ 33 लाख लघु और सीमान्त श्रेणी के किसान है. जबकि संभावना है कि सूबे के करीब डेढ़ करोड़ किसानों के कर्ज माफी का ऐलान हो सकता है. 

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SC ने पब्लिक सर्वेंट की तत्काल अरेस्टिंग पर लगाई रोक, कहा-इस एक्ट का हो रहा है दुरुपयोग

टीम ब्रेक न्यूज ब्यूरो  नई दिल्ली. एससी-एसटी एक्ट के तहत मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं. एक याचिका पर सुनवाई के दौ...