Saturday, December 23, 2017

1998 में चर्चा में आया था रंगीले 'बाबा' का आश्रम

reality of baba virendra dev dixit ashram

टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 

नई दिल्ली के विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय मामले की जड़ें फर्रुखाबाद से जुड़ीं हैं। वीरेंद्र देव दीक्षित का कंपिल में गंगा रोड स्थित आध्यात्मिक ईश्वरीय विद्यालय 1998 में पहली बार चर्चा में आया था। यहां कोलकाता से लाई गई युवती को बंधक बनाने और उसके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था। उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न, पुलिस से मुठभेड़ समेत अन्य संगीन धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं।कंपिल के अलावा फर्रुखाबाद में सिकत्तरबाग मोहल्ले में वीरेंद्र देव का आश्रम है। कंपिल क्षेत्र के गांव चौधरियान निवासी सोहन लाल दीक्षित के दो बच्चे वीरेंद्र देव दीक्षित और दूसरी पुत्री थी। 1975 में उसका अपने पिता से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। इससे नाराज होकर वह घर से चले गए थे। 1984 में पिता की मृत्यु के बाद वीरेंद्र देव लौट कर कंपिल आए और अपने पैतृक मकान में कुछ लोगों के सहयोग से आध्यात्मिक कार्यक्रम शुरू किया। तब से आश्रम में गतिविधियों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं ।30 मार्च, 1998 को कोलकाता की युवती के माता पिता ने कंपिल थाने में तत्कालीन थानाध्यक्ष विजय सिंह यादव को पुत्री को आश्रम में बंधक बनाने की शिकायत की थी। पीड़ित माता-पिता ने मामले में न्याय की गुहार लगाई थी। तब पुलिस ने आश्रम में छापेमारी की। पीड़ित युवती को बरामद कर नारी निकेतन भेजा था।आश्रम के 11 सेवादारों पर शांतिभंग की कार्रवाई की थी। वीरेंद्र देव का सिकत्तर बाग और कंपिल में स्थित आश्रम किले के समान है। आश्रम का गेट हर समय बंद रहता है। लोगों का कहना है कि आश्रम में कई महिला और किशोरियां है, लेकिन कभी आश्रम के बाहर निकलतीं नजर नहीं आती है।

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