
टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
गोरखपुर। राज्यपाल राम नाईक ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में न सिर्फ बेटियों की उपलब्धियों को सराहा बल्कि उन्हें प्रोत्साहित भी किया। उन्होंने उपाधि हासिल करने विद्यार्थियों को वैश्विक स्पर्धा वाले इस युग की चुनौतियों के प्रति आगाह किया। साथ ही कहा कि किताबी ज्ञान पूरी कर लेने के बाद आपको बाहर बड़ी चुनौतियों का सामना करना है। यह स्थानीय न होकर वैश्विक हो गई हैं। सफलता हासिल करने के लिए मेहनत करनी होगी क्योंकि इसका कोई शार्टकट नहीं होता। अगर एक-दो बार असफलता मिलती है तो मन से हारने की जरूरत नहीं है। चलते रहना है। तभी सफलता मिलेगी। यूनिवर्सिटी के दीक्षा भवन में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि कुल 45 स्वर्ण पदकों में से 37 पर बेटियों ने कब्जा जमाया है जो समाज के दृष्टिकोण से सुखद है। यह महिला सशक्तिकरण को बयां करता है। यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किए गए और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बढ़ाए जा रहे ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को चरितार्थ कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जिन 21 यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह हुए हैं, उनमें गोरखपुर यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने आनुपातिक दृष्टिकोण से छात्रों की तुलना में सबसे ज्यादा मेडल हासिल किए हैं। मेडल पाने वाले लड़कों का प्रतिशत जहां 18 है वहीं लड़कियों का 82। अपने छात्र जीवन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह स्नातक के छात्र थे तो उनकी कक्षा में 150 लड़के थे और मात्र चार लड़कियां, लेकिन आज गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पास आउट होने वाले करीब 1.19 लाख विद्यार्थियों में लगभग 73 हजार छात्राएं हैं, जबकि छात्र मात्र 46 हजार। यह सुखद संकेत है। महिला हैं देश की रक्षामंत्री गोरखपुर। राज्यपाल ने कहा कि एक समय था जब लड़कियां या तो शिक्षक बनती थीं या फिर नर्स पर आज लड़कियां आईएएस, आईपीएस बन रही हैं। सेना में भी शामिल हो रही हैं। पायलट बन रही हैं। हालांकि अभी इसपर बहस चल रही है कि महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ाएं या नहीं, लेकिन दूसरी तरफ देश की रक्षा मंत्री एक महिला हैं। यह बदलते समाज के लिए सुखद संकेत है। सभी यूनिवर्सिटी में दीक्षांत हो जाए तो मानूंगा कि शिक्षा व्यवस्था पटरी पर गोरखपुर। राम नाईक ने कहा कि निश्चित तौर पर शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आई है। परीक्षा से लेकर दीक्षांत तक समय से होने लगे हैं, लेकिन प्रदेश की 25 यूनिवर्सिटी में से अब तक मात्र 21 में ही दीक्षांत समारोह हो सके हैं। अगर इस वर्ष बची रह गई अन्य यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह भी हो जाता है तभी वह मानेंगे कि शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आ गई है।
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