ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
यूपी 2017 के विधान सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भी बन सकता है महागठबंधन। कांग्रेस इस मामले को लेकर काफी संजीदा दिख रही है। हाल में जिस तरह बिहार में नीतीश कुमार के साथ मिलकर कांग्रेस और लालू ने भाजपा को धूल चटाई, उसके बाद उत्तर प्रदेश में भी इसी फार्मूले पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि दशकों तक राज करने का अनुभव रखने वाली कांग्रेस इस वक्त प्रदेश में हाशिए पर है। जमीनी हकीकत से पार्टी आलाकमान पूरी तरह से अवगत हैं। कांग्रेस को पता है कि यूपी में अकेले दम पर फतह नहीं मिल सकती। कांग्रेस जानती है कि यूपी में भी बिना गठबंधन के चुनाव लड़ना उसके लिए आत्मघाती कदम जैसा होगा। क्योंकि वोट बैंक के मामले में पार्टी की हालत पतली है।
प्रदेश में कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में थी तो उसके पास दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण वोट थे। लेकिन 1980 के बाद से दलित बसपा, मुस्लिम सपा और ब्राह्मण वोट भाजपा के साथ चला गया। जिसने कांग्रेस को प्रदेश में चौथी पार्टी बना दिया। कांग्रेस को मालूम है की प्रदेश में एक वोट बैंक जो एक मुश्त वोट करता है, वो है दलित। और इस पर बसपा की पकड़ है। यही वजह है कि कांग्रेस यूपी में बसपा से गठबंधन करना चाहती है।
इसके लिए कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बसपा प्रमुख मायावती से संपर्क साधा है। हालांकि बसपा ने गठबंधन को लेकर अभी तक कोई सकारात्मक संदेश या जवाब नहीं दिया है। बसपा ये मैसेज दे रही है कि वो 2017 का चुनाव अकेले लड़ेगी।
पार्टी सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो पार्टी में इस गठबंधन को लेकर सकारात्मक रुख है। क्योंकि पार्टी को पता है कि अगर वो कांग्रेस से गठबंधन कर लेती है तो प्रदेश में भाजपा के खिलाफ बड़ा विकल्प होगा। ऐसे में प्रदेश का 19 फीसदी मुस्लिम वोट उनके गठबंधन की ओर हो जाएगा। जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
सूत्रों को मुताबिक कांग्रेस और बसपा की बीच हाईलेवल की मीटिंग हो चुकी है और कांग्रेस ने बसपा से प्रदेश में 125 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा पेश किया। कांग्रेस ने 2012 में 27 सीटें जीती थी। इसके साथ ही लगभग 21 सीटों पर वो दूसरे नंबर पर रही थी।
वो सीटें जिनपर कांग्रेस और भाजपा का ही मुकाबला होता है। इन सीटों की मांग कांग्रेस कर रही है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता जीशान हैदर के मुताबिक जिस तरह बिहार में गठबंधन करके पार्टी को फयदा हुआ। उसी तरह अगर यूपी में गठबंधन कर चुनाव लड़ा जाएगा तो बसपा और कांग्रेस का कोई मुकाबला नहीं कर पाएगा।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम वोट के छिटकने की वजह से लगातार सत्ता से बाहर रही है।
अब दलित वोट बसपा के साथ हो गया है, तो मुस्लिम वोट सपा के साथ है, तो वहीं ब्राह्मण वोट भाजपा के साथ है। लेकिन मुस्लिम वोट आज भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलते हैं। इन सब को देखते हुए कांग्रेस चाहती है कि यूपी में बसपा से गठबंधन किया जाए।
बसपा के साथ गठबंधन से कांग्रेस को फायदा होगा और यूपी में उसको पिछले चुनावों से अधिक सीटें मिल सकती हैं। कुछ दिनों पहले मायावती ने संसद में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग का मामला उठाकर सवर्ण वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। बसपा इन वोटों को अपने पाले में लाने के लिए प्रयासरत है।
गौरतलब है कि यूपी में 21.5 प्रतिशत दलित हैं। ये वोट अभी बसपा का सबसे सॉलिड वोट कहा जाता है। बसपा वहीं सवर्ण गरीबों को भी आरक्षण देने की वकालत कर रही है। ऐसे में अगर कांग्रेस बसपा से गठबंधन कर लेती है तो कांग्रेस को इसका लाभ मिलेगा।
वहीं कांगेस से गठबंधन का बसपा को भी फायदा होगा। क्योंकि कांग्रेस के बसपा के साथ आने बाद कुछ छोटी पार्टियों का भी गठबंधन में आने की संभावना बढ़ जाएगी। जिससे वोटों के बिखराव को रोका जा सकेगा।
इस गठबंधन से बड़ा फायदा यह होगा कि कांग्रेस और बसपा के साथ आने से प्रदेश के 19 प्रतिशत मुस्लिम जो अभी काई जगहों में बट जाते हैं। उनका एक मुश्त होकर इस गठबंधन को वोट करने की संभावनाएं बढ़ जाएगी।
पूरे ग्राफ पर नजर डाले तो पाएंगे कि सूबे में 49 जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा संख्या दलित वोटर हैं। वहीं 20 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिम वोटर सबसे ज्यादा हैं और 20 जिलों में वे दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक हैं।
पूरे ग्राफ पर नजर डाले तो पाएंगे कि सूबे में 49 जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा संख्या दलित वोटर हैं। वहीं 20 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिम वोटर सबसे ज्यादा हैं और 20 जिलों में वे दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक हैं।
अगर बसपा और कांग्रेस का गठबंधन होता है तो दलित, मुस्लिम और सवर्ण का गठजोड़ इन्हें सत्ता तक पहुंचा सकता है। क्योंकि 21 प्रतिशत दलित और 19 प्रतिशत मुस्लिम के साथ अगर सवर्ण वोट इसके साथ जुड़ जाता है
No comments:
Post a Comment