प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा की जा रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभिनंदन की तैयारी पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। विपक्षी पार्टी ने कहा कि जिस प्रदेश में फसल बर्बाद हो, किसानों को मुआवजा न मिल रहा हो, किसान आत्महत्या कर रहे हों, वहां प्रधानमंत्री का अभिनंदन किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में बीते 13 वर्षो में भाजपा शासन के दौरान अब तक 29 हजार किसानों ने फसल की बर्बादी, मुआवजा न मिलने और कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या की है, इस वर्ष भी 2230 किसान मौत को गले लगा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने वाले किसानों की सबसे ज्यादा संख्या किसान पुत्र कहे जाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर से हैं।
यादव ने राज्य की फसल बर्बादी का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य की 364 तहसीलों में से 276 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। लगभग 44 लाख हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है। लगभग 22 हजार करोड़ की फसल चौपट हुई है, राजस्व विभाग के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 4239 करोड़ का नुकसान हुआ है, मगर केंद्र सरकार ने अब तक सिर्फ 2033 करोड़ रुपये ही दिए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार थी, तब राज्य को अब से कई गुना राशि मिली, उसके बावजूद मुख्यमंत्री चौहान अपने साथियों के साथ धरना देते थे। लिहाजा, मुख्यमंत्री को अब भी वैसा ही कदम उठाना चाहिए, कांग्रेस इसमें उनका साथ देगी। प्रधानमंत्री के राज्य में आने से पहले मुख्यमंत्री केा दिल्ली जाकर उनसे मुलाकात करके किसानों के लिए मदद मांगना चाहिए।
यादव ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में 18 फरवरी को सीहोर जिले के शेरपुर में होने वाले समारोह स्थल के चयन केा लेकर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि राजधानी भोपाल में जम्बूरी मैदान है, जिसका चयन आयोजनों के लिए किया गया था, मगर सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर किसानों की लहलहाती फसल को जबरिया कटवा दिया गया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री अभिनंदन समारोह पर होने वाले खर्च की चर्चा करते हुए कहा कि इस आयोजन में पांच लाख किसानों को लाने का लक्ष्य प्रशासनिक मशीनरी को सौंपा है, प्रति किसान पांच सौ रुपये दिए जा रहे हैं। इस आयोजन पर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च की जा रही है। उनकी मांग है कि इस आयोजन में आने वाले प्रति किसान को पांच हजार रुपये दिए जाने चाहिए, क्योंकि किसान अपने सारे काम छोड़कर आएगा।
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