बेखौफ बदमाशों ने मंगलवार रात नाका थाने के ठीक पीछे एक घर पर धावा बोला। अकेले रह रही रिटायर्ड शिक्षिका की हत्या करके नगदी और गहने बटोर ले गए। पुलिस को भनक तक न लगी। रात में खाना लेकर पहुंचे पोते ने बिस्तर पर शव पड़ा व सामान बिखरा देख शोर मचाया। इस पर पुलिस हरकत में आई।
पुलिस के मुताबिक, नाका हिंडोला में थाने के ठीक पीछे स्थित मकान में रिटायर्ड शिक्षिका इंदिरा गुप्ता (65) अकेले रहती थीं। चौराहे से दूसरी तरफ गणेशगंज रोड पर उनका बेटा राजेश गुप्ता अपने परिवार के साथ रहता है।
रोजाना की तरह मंगलवार रात 10:30 बजे पोता आयुष खाना लेकर पहुंचा। बेड पर इंदिरा गुप्ता का शव पड़ा था। कान से खून रिस रहा था। तमाम सामान व रेजगारी बिखरी पड़ी थी। अलमारी व बक्से खंगाले गए थे।
नजारा देख आयुष ने शोर मचाकर आसपास के लोगों को जानकारी दी और पिता को कॉल की। राजेश व परिवारीजन आननफानन में मौके पर पहुंचे।प्लेट में लड्डू व गिलास रखा देख किसी परिचित द्वारा वारदात अंजाम दिए जाने की आशंका के चलते सआदतगंज के पुराना हैदरगंज निवासी रिश्तेदार विकास और गगन पर संदेह जताया।
राजेश ने जानकारी दी कि मां इंदिरा गुप्ता पांच साल पहले नवयुग कन्या प्राइमरी विद्यालय से सेवानिवृत्त हुई थीं। पिता देवी प्रसाद की सात साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
मां अकेली रहती थी। उनके पास सोने व चांदी के गहने व नगदी थी। वह खुद दोपहर तीन बजे अपनी मां को खाना खिलाकर लौटे थे और रात में बेटा आयुष खाना लेकर गया था।प्लेट में लड्डू व गिलास रखा देख किसी परिचित द्वारा वारदात अंजाम दिए जाने की आशंका के चलते सआदतगंज के पुराना हैदरगंज निवासी रिश्तेदार विकास और गगन पर संदेह जताया।
राजेश ने जानकारी दी कि मां इंदिरा गुप्ता पांच साल पहले नवयुग कन्या प्राइमरी विद्यालय से सेवानिवृत्त हुई थीं। पिता देवी प्रसाद की सात साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
मां अकेली रहती थी। उनके पास सोने व चांदी के गहने व नगदी थी। वह खुद दोपहर तीन बजे अपनी मां को खाना खिलाकर लौटे थे और रात में बेटा आयुष खाना लेकर गया था।
पुलिस के मुताबिक, नाका हिंडोला में थाने के ठीक पीछे स्थित मकान में रिटायर्ड शिक्षिका इंदिरा गुप्ता (65) अकेले रहती थीं। चौराहे से दूसरी तरफ गणेशगंज रोड पर उनका बेटा राजेश गुप्ता अपने परिवार के साथ रहता है।
रोजाना की तरह मंगलवार रात 10:30 बजे पोता आयुष खाना लेकर पहुंचा। बेड पर इंदिरा गुप्ता का शव पड़ा था। कान से खून रिस रहा था। तमाम सामान व रेजगारी बिखरी पड़ी थी। अलमारी व बक्से खंगाले गए थे।
नजारा देख आयुष ने शोर मचाकर आसपास के लोगों को जानकारी दी और पिता को कॉल की। राजेश व परिवारीजन आननफानन में मौके पर पहुंचे।प्लेट में लड्डू व गिलास रखा देख किसी परिचित द्वारा वारदात अंजाम दिए जाने की आशंका के चलते सआदतगंज के पुराना हैदरगंज निवासी रिश्तेदार विकास और गगन पर संदेह जताया।
राजेश ने जानकारी दी कि मां इंदिरा गुप्ता पांच साल पहले नवयुग कन्या प्राइमरी विद्यालय से सेवानिवृत्त हुई थीं। पिता देवी प्रसाद की सात साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
मां अकेली रहती थी। उनके पास सोने व चांदी के गहने व नगदी थी। वह खुद दोपहर तीन बजे अपनी मां को खाना खिलाकर लौटे थे और रात में बेटा आयुष खाना लेकर गया था।प्लेट में लड्डू व गिलास रखा देख किसी परिचित द्वारा वारदात अंजाम दिए जाने की आशंका के चलते सआदतगंज के पुराना हैदरगंज निवासी रिश्तेदार विकास और गगन पर संदेह जताया।
राजेश ने जानकारी दी कि मां इंदिरा गुप्ता पांच साल पहले नवयुग कन्या प्राइमरी विद्यालय से सेवानिवृत्त हुई थीं। पिता देवी प्रसाद की सात साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
मां अकेली रहती थी। उनके पास सोने व चांदी के गहने व नगदी थी। वह खुद दोपहर तीन बजे अपनी मां को खाना खिलाकर लौटे थे और रात में बेटा आयुष खाना लेकर गया था।
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