Monday, February 15, 2016

यह कैसा देशप्रेम है : मायावती

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ आर.एस.एस. के घोर कट्टरवादी व अत्यन्त आक्रामक एजेन्डे को लागू करने के तहत देश की प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी को एक झटके में ’’देशविरोधी व देशद्रोही’’ साबित करने के केन्द्र की वर्तमान एन.डी.ए. सरकार की कोशिश की बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कड़ी निन्दा की है. उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार अपने इस प्रकार के घोर जनविरोधी रवैये से देश का घोर अहित कर रही है.
मायावती ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि जे.एन.यू. छात्रसंघ के वर्तमान अध्यक्ष कन्हैया कुमार की ’’देशद्रोह’’ की धारा के तहत गिरफ्तारी पहली नजर में ही ग़लत प्रतीत होती है. ’’देशद्रोह’’ जैसी संगीन धारा का इस्तेमाल दिल्ली पुलिस शायद अपने स्तर से इस मामले में कन्हैया कुमार के खि़लाफ इतनी जल्दी कभी भी नहीं करती, लेकिन इस मामले में राजनीतिक दबाव में आकर उसने देशद्रोह में जे.एन.यू. छात्रसंघ के अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया है, जिसके ठोस सबूत उसके पास नहीं हैं.Image result for image mayawati
मायावती ने कहा कि कहा जा रहा है कि कन्हैया कुमार को वीडियो में कहीं भी आपत्तिजनक नारा लगाते हुये नहीं देखा गया है. वैसे तो यह सर्वविदित ही है कि भाजपा की केन्द्र व राज्य की सरकारें लोगों के दमन हेतु कठोर ’’टाडा क़ानून’’ के काफी ज़्यादा ग़लत व राजनीतिक इस्तेमाल तक के लिये काफी बदनाम रही हैं, परन्तु अब ऐसा लगता है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने ’’देशद्रोही’’ घोषित करने का एक नया कानूनी हथियार अपने विरोधियों के खि़लाफ आज़माना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि जे.एन.यू. के मामले में तो केन्द्र की सरकार इससे कहीं आगे बढ़कर एक पूरे संस्थान को ही बर्बाद करने पर तुली हुई लगती है. देश की ऐसी उच्च शिक्षण संस्था, जिसकी पूरी दुनिया में ख्याति है व आर.एस.एस./ भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र भी जिसके छात्रसंघ मंन निर्वाचित पदाधिकारी हैं, उसे जिस प्रकार से देश-विरोधी गतिविधियों का केन्द्र होने का इल्जाम लगाकर बुरी तरह से बदनाम करने का उच्च स्तर पर सरकारी प्रयास किया गया है, वह अत्यन्त दुःखद व सर्वथा निन्दनीय है.
केन्द्र सरकार का इस प्रकार का क़दम अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी मारने जैसा है. साथ ही, जिस प्रकार से केन्द्र सरकार का विवादित बयान इस बारे में लगातार आ रहा है उससे भी इस आशंका को बल मिलता है कि कहीं-ना-कहीं कुछ राजनीतिक खेल अवश्य ही खेला जा रहा है और इस मामले में ख़ासकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके विरोधी स्वरों को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में दलित स्कालर को आत्महत्या के लिये मजबूर करने से लेकर जे.एन.यू. तक के वर्तमान मामले में जिस प्रकार से केन्द्रीय मंत्री या केन्द्रीय मंत्रालय की नकारात्मक भूमिका उजागर होकर सामने आती रही है, वह काफी ख़तरनाक ट्रेण्ड को उजागर करता है.

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