ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
यूपी मिशन 2017 को देखते हुए विधानसभा उप-चुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी के लिए खतरे की घंटी हैं। तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में जिस तरह से सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशियों को दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है, पार्टी के लिए चिंता का विषय है। देवबंद में 27 साल बाद कांग्रेस सत्ता में आई और हारने वाला प्रत्याशी सपा का है। वहीं, मुजफ्फरनगर में भाजपा प्रत्याशी ने सपा प्रत्याशी को भारी अंतर से हराया। हालांकि, बीकापुर सीट से सपा प्रत्याशी ने जीत हासिल कर पार्टी को उपचुनाव में क्लीन स्वीप की बदनामी से बचा लिया।
बीकापुर सीट से स्व. मित्रसेन के पुत्र आनंद सेन की जीत का मतलब सिर्फ सहानुभूति ही समझा जा सकता है। पिता के निधन के बाद जनता ने बेटे को जिताया। अयोध्या से समाजवादी पार्टी के विधायक और प्रदेश सरकार में एवं राज्यमंत्री तेज नारायण पांडेय पवन ने भी इस जीत को दिवंगत सपा नेता मित्रसेन यादव को दी गई श्रद्धांजलि बताया है।
मुलायम जानते थे ऐसा ही होगा!
ऐसे में यह सोचने पर मजबूर करता है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव यूं ही नहीं पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और मंत्रियों की क्लास लेते रहते हैं। कई बार सपा मुखिया ने सार्वजनिक मंच से सीएम अखिलेश को भी डांटा है। उपचुनाव के नतीजे यह बताने के लिए काफी हैं कि मुलायम को पहले ही लग रहा था कि प्रदेश में सपा की वर्तमान स्थिति कमजोर है। इसको लेकर सपा सुप्रीमो ने कई बार मंत्रियों तक को फटकार लगा चुके हैं और उन्हें सलाह दे चुके हैं कि मंत्री-विधायक पैसा कमाना छोड़ें और जनता के बीच जाएं
ऐसे में यह सोचने पर मजबूर करता है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव यूं ही नहीं पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और मंत्रियों की क्लास लेते रहते हैं। कई बार सपा मुखिया ने सार्वजनिक मंच से सीएम अखिलेश को भी डांटा है। उपचुनाव के नतीजे यह बताने के लिए काफी हैं कि मुलायम को पहले ही लग रहा था कि प्रदेश में सपा की वर्तमान स्थिति कमजोर है। इसको लेकर सपा सुप्रीमो ने कई बार मंत्रियों तक को फटकार लगा चुके हैं और उन्हें सलाह दे चुके हैं कि मंत्री-विधायक पैसा कमाना छोड़ें और जनता के बीच जाएं
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