Monday, February 22, 2016

सपा को रविदास जयंती मानने का हक़ नहीं, मोदी अपनाये उनके आदर्श : माया

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
’मन चंगा तो कठौती में गंगा’’ का आदर्श व मानवतावादी अमर संदेश व उपदेश सर्वसमाज के लोगों को देने वाले महान संतगुरू संत रविदास जी की जयन्ती के मौके़ पर आमजनता व ख़ासकर उनके करोड़ों अनुयाईयों को शत्-शत् बधाई देते हुये बी.एस.पी. सुप्रीमो मायावती ने भाजपा और सपा को आड़े हाँथ लिया.
संतगुरू रविदास जी की जयंती पर आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सहित अनेक नेताओं की उनके जन्मस्थली पर हाजि़री व वहाँ मत्था टेकने पर मायावती ने तंजिया लहजे में कहा कि वास्तव में उनके आदर्शों व कर्मों को अपनाकर ही आदमी से इन्सान बना जा सकता है। अर्थात संतगुरू रविदास जी के जन्मदिन पर वहाँ माथा टेकने के साथ-साथ नेताओं को उनके आदर्शों पर भी अमल करने का प्रयास करना चाहिये, तभी देश के ग़रीबों व शोषित जनता का सही भला होगा। संतगुरू रविदास जी केवल वाणी के ही नहीं बल्कि कर्मों के भी धनी थे। इसी कारण वे आज भी अमर हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि खासकर समाजवादी पार्टी को तो सन्त रविदास जी की जयन्ती मनाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं, जिसने सत्ता में आते ही, इनके नाम पर बी.एस.पी. सरकार द्वारा रखे गये, भदोही जिले का नाम ही बदल दिया।
अपनी पार्टी द्वारा संत रविदास के नाम पर किए गए कामो को याद दिलाते हुए मायावती ने कहा कि महान संतगुरू के आदर-सम्मान में व उनकी स्मृति को बनाये रखने के लिये बी.एस.पी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में जो कार्य किया, उनमें संत रविदास जी के नाम पर भदोही जि़ले का नामकरण, संत रविदास की जन्म नगरी वाराणसी में संत रविदास पार्क व घाट की स्थापना, फैज़ाबाद में संतगुरू रविदास राजकीय महाविद्यालय का निर्माण, वाराणसी में ही संत रविदास जी की प्रतिमा की स्थापना, संत रविदास सम्मान पुस्कार की स्थापना, संत रविदास पालीटेक्निक, चन्दौली की स्थापना, संत रविदास एस.सी/एस.टी प्रशिक्षण संस्थान, वाराणसी में गंगा नदी पर बनने वाले पुल का नाम संत रविदास के नाम पर करने तथा बदायूँ में संत रविदास धर्मशाला हेतु सहायता, बिल्सी में संत रविदास की प्रतिमा स्थापना की स्वीकृति आदि प्रमुख हैं।
मायावती ने किया संत रविदास को याद
मायावती ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के संतों में जाने-माने संतगुरू संत रविदास जी ने अपना सारा जीवन इन्सानियत का संदेश देने में गुज़ारा और इस क्रम में ख़ासकर जाति भेद के खि़लाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते बिताया.
मायावती ने एक बयान में कहा कि ख़ासकर आज के संकीर्ण व जातिवादी दौर में उनके मानवतावादी संदेश व उपदेश की बहुत ही ज़्यादा अहमियत है और मन को हर लिहाज़ से वाकई चंगा करने की ज़रूरत है।

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