Tuesday, February 23, 2016

बस्ती :‘सीएम अंकल…मुझे बचा लो, मैं जीना चाहता हूं’

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो बस्ती। एक नन्ही सी जान, दिल में बड़े-बड़े अरमान लेकिन एक ऐसा दर्द जो उसके हर सपने के पूरा होने में बाधा बन गया है। सात साल का मासूम अपनी नन्हीं आंखों से बड़े बड़े सपने देख रहा है, पर दिल का दर्द उसे तिल तिल मार रहा है। इतनी कम उम्र में मासूम मौत से जंग लड़ रहा है। उसने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से अपनी जिंदगी के लिए गुहार लगाई है।
विधानसभा क्षेत्र हर्रैया के डहडा बाबू गांव का रहने वाला सात साल के मासूम रौनक की कहानी बेहद दर्दनाक है। रौनक वैसे तो अभी कक्षा एक में पढ़ता है लेकिन उसके दिल में छेद होने की वजह से वह आम बच्चों की तरह जीवन नहीं जी सकता। रौनक के पिता जगदीश सिंह लखनऊ मेडिकल कॉलेज से लेकर मुबंई के हिन्दुजा मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिये गये लेकिन वहां इलाज का खर्च सुनकर उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिये।
जगदीश पेशे से किसान है और खेतों में मेहनत मजदूरी कर वे किसी तरह से अपने परिवार का भरण पोषण कर पाते हैं ऐसे में बच्चे की बीमारी ने उन्हें और भी चिंतित कर दिया है। डॉक्टर्स ने बताया कि पांच से छह लाख रूपये में रौनक के दिल का ऑपरेशन संभव है, जबकि जगदीश सिंह के लिए इतनी रकम किसी पहाड़ से कम नहीं है।
रौनक में पढ़ने की ललक है। अपनी जिद पर स्कूल भी जाता है लेकिन उसका दिल ठीक से काम नहीं करता जिससे वो कुछ देर चलने के बाद गिर जाता है। वह ना तो खा पाता है, ना सो पाता है और ना ही आम बच्चों की तरह खेल पाता है। रौनक की बीमारी दिन ब दिन घातक होती जा रही है।
रौनक की मां भी अपने कलेजे के टुकड़े को लेकर हर वक्त रोती रहती हैं। आंखों के सामने अपने ही बच्चे को पल पल मौत की तरफ बढ़ता वे देख रहे हैं। मजबूरी ऐसी कि वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे। रौनक की पढ़ने की इच्छा को देखकर उसके पिता जगदीश उसे हर रोज गोद में उठाकर स्कूल लेकर जाते हैं।
उसकी मां ने बताया कि रौनक के दिल में छेद बचपन से ही था और यह बात उन्हें जब पता चली जब तीन साल की उम्र में वो अचानक बेहोश हो गया। उसे डॉक्टरों को दिखाया गया। रिपोर्ट आने के बाद पता चला है कि रौनक के दिन में छेद हैं

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