ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड का दौरा कर राजधानी भोपाल पहुंचे यादव ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, “केंद्र में और राज्य में भाजपा की सरकार है, गाय को लेकर राजनीति खूब होती है। मगर बुंदेलखंड में गाय ही संकट में है। उसकी किसी को परवाह नहीं है। वैसे तो यहां हर जानवर अकाल से जूझ रहा है, बैल और बछड़े तो पहले भी जंगल में छोड़ दिए जाते थे, मगर इस बार तो गायों को भी छोड़ दिया गया है। किसी भी गांव में प्रवेश करें तो सड़कों पर हजारों गायें आपको नजर आ जाएंगी।”
उन्होंने आगे कहा, “बुंदेलखंड में कई-कई किलोमीटर खेत वीरान पड़े हैं, जल स्त्रोत या तो सूख गए है, या उनमें बहुत कम पानी है। फसलें बोई नहीं गई हैं। यह चौथा मौका है, जब फसल की पैदावार बहुत कम होना तय है। सूखे से जूझते किसानों के पास खुद के खाने के लिए दाना नहीं है और जानवरों के लिए चारे का अभाव है। ऐसे में राज्य सरकार को जल्द से जल्द आपात कदम उठाने जरूरी हैं। इंसान को दाना, पानी और जानवर के लिए चारे का इंतजाम जरूरी हो गया है।”
यादव ने कहा कि उन्होंने मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छह जिलों में अपने दल भेजे, जिन्होंने “त्वरित मूल्यांकन कर हालात का जायजा लिया। तीन जिलों -टीकमगढ़, छतरपुर और पन्ना- का हाल बुरा है। इन तीनों ही जिलों में पानी, अनाज और रोजगार का संकट है। पलायन जोरों पर है। गांव में बुजुर्ग और बच्चे ही नजर आते हैं। घरों मे ताले लटके हुए हैं।”
यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कई मामलों में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड से ज्यादा हालत खराब है मध्य प्रदेश के इस इलाके की। “यहां कई आदिवासी परिवार गेहूं, चावल का विकल्प जंगल में खोज रहे हैं। त्रिफला का बीज तक खाया जा रहा है। हालत यह है कि कई परिवारों ने बीते छह माह में एक बार भी अरहर की दाल नहीं खाई है। एक तरफ जहां लोगों को दाल नहीं मिल रही है, वहीं बच्चों के लिए दूध दुर्लभ हो गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार को तत्काल कुछ कदम उठाने चाहिए, जिससे इंसान और जानवर को राहत मिल सके।
उन्होंने कहा कि “उत्तर प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड में राशन कार्डधारी परिवारों के प्रति सदस्य को प्रतिमाह पांच किलोग्राम अनाज देने शुरू कर दिए हैं, मनरेगा के काम शुरू कर दिए हैं, तहसील स्तर पर चारे की व्यवस्था की है और बिजली की आपूर्ति की समय सीमा बढ़ा दी है। लिहाजा मध्य प्रदेश सरकार को भी कुछ त्वरित कदम उठाने चाहिए। हैंडपंप सुधारे जाएं, राशन का इंतजाम हो, जानवरों को चारा मिले। साथ ही मनरेगा के काम जल्द शुरू किए जाएं।”

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