प्रदेश में
धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी के सहारे समाजवादी पार्टी भले ही जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बड़ी सफलता हासिल करने का दम भर रही हो, लेकिन यह जीत बड़ा राजनीतिक संकेत देने वाली नहीं है। इसे 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए जनता का रुझान नहीं माना जा सकता।
बावजूद इसके सत्तारूढ़ दल ने इस चुनाव में ‘दबंगई’ में कोई कसर बाकी नहीं रखी। कई जिलों में प्रत्याशियों की जीत के लिए सपाइयों ने जिस तरह की तिकड़में कीं, उससे आम लोगों के बीच नकारात्मक संदेश गया है।
चुनाव की निष्पक्षता पर भी सवालिया निशान लगे हैं, लेकिन सपा इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उल्टे दावा किया जा रहा है कि चुनाव में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई।
जिला पंचायत अध्यक्ष के 74 में से 38 पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हो गया था। 36 जिलों में बृहस्पतिवार को मतदान हुआ। इनमें उन्नाव में सपा की बागी प्रत्याशी संगीता सेंगर समेत सपा के 24 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।वरिष्ठ मंत्री और सपा के मुख्य प्रवक्ता शिवपाल सिंह यादव ने 74 में से 60 सीटें जीतने को बड़ी उपलब्धि बताते हुए 2017 के चुनाव में इसी तरह की सफलता दोहराने की बात कही है, लेकिन राजनीतिक जानकार इससे इत्तेफाक नहीं रहते। वे मानते हैं कि धन और सत्ताबल से अप्रत्यक्ष चुनाव जीतना जनभावना की अभिव्यक्ति नहीं होती।
जिस तरह चुनाव में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया, वह लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुकूल नहीं है। अप्रत्यक्ष चुनावों से सीधे राजनीतिक लाभ मिलने की संभावनाएं भी नहीं रहतीं। प्रदेश की राजनीति में पहले ऐसा होता रहा है कि जिस दल ने पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की, विधानसभा चुनाव में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा।
धनबल, बाहुबल और सरकारी मशीनरी के सहारे समाजवादी पार्टी भले ही जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बड़ी सफलता हासिल करने का दम भर रही हो, लेकिन यह जीत बड़ा राजनीतिक संकेत देने वाली नहीं है। इसे 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए जनता का रुझान नहीं माना जा सकता।
बावजूद इसके सत्तारूढ़ दल ने इस चुनाव में ‘दबंगई’ में कोई कसर बाकी नहीं रखी। कई जिलों में प्रत्याशियों की जीत के लिए सपाइयों ने जिस तरह की तिकड़में कीं, उससे आम लोगों के बीच नकारात्मक संदेश गया है।
चुनाव की निष्पक्षता पर भी सवालिया निशान लगे हैं, लेकिन सपा इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। उल्टे दावा किया जा रहा है कि चुनाव में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई।
जिला पंचायत अध्यक्ष के 74 में से 38 पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हो गया था। 36 जिलों में बृहस्पतिवार को मतदान हुआ। इनमें उन्नाव में सपा की बागी प्रत्याशी संगीता सेंगर समेत सपा के 24 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।वरिष्ठ मंत्री और सपा के मुख्य प्रवक्ता शिवपाल सिंह यादव ने 74 में से 60 सीटें जीतने को बड़ी उपलब्धि बताते हुए 2017 के चुनाव में इसी तरह की सफलता दोहराने की बात कही है, लेकिन राजनीतिक जानकार इससे इत्तेफाक नहीं रहते। वे मानते हैं कि धन और सत्ताबल से अप्रत्यक्ष चुनाव जीतना जनभावना की अभिव्यक्ति नहीं होती।
जिस तरह चुनाव में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया, वह लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुकूल नहीं है। अप्रत्यक्ष चुनावों से सीधे राजनीतिक लाभ मिलने की संभावनाएं भी नहीं रहतीं। प्रदेश की राजनीति में पहले ऐसा होता रहा है कि जिस दल ने पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की, विधानसभा चुनाव में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा।

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