ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
मध्य प्रदेश दिसंबर की इन सर्द रातों में जहां बाहर निकलने के नाम से ही दिल में सिहरन पैदा हो जाती है वहां मध्यप्रदेश के बैतूल में दर्जनों आदिवासी परिवारों ने खुले आसमान के नीचे बैठकर ही जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
झोपड़ी तोड़ने से बेघर हुए आदिवासियों ने प्रशासन की इस दमनकारी कार्रवाई के विरोध में बैतूल के जिला कलेक्टर के घर के बाहर ही नींद हराम प्रदर्शन शुरू कर दिया है। आदिवासी परिवार रात रात भर कलेक्टर के घर के बाहर भजन कीर्तन और नाच गाना करते हुए अपना विरोध जताते हैं।
सामाजिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन का यह तरीका शहर वासियों के दिलों में भी जगह बना चुका है, यही कारण है कि लोग इन गरीब आदिवासियों की मदद को भी आगे आ रहे हैं।
बता दें कि बीते 19 दिसंबर को बैतूल जिले के उम्बरडोह में टास्क फोर्स ने वन विभाग की शिकायत पर 45 आदिवासियों की झोपड़ियां उजाड़ दी थीं। प्रशासन का कहर आदिवासियों के आशियानों पर ही नहीं उनकी खेती पर भी टूटा था। उनकी फसल नष्ट कर दी गई थी।
मध्य प्रदेश दिसंबर की इन सर्द रातों में जहां बाहर निकलने के नाम से ही दिल में सिहरन पैदा हो जाती है वहां मध्यप्रदेश के बैतूल में दर्जनों आदिवासी परिवारों ने खुले आसमान के नीचे बैठकर ही जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
झोपड़ी तोड़ने से बेघर हुए आदिवासियों ने प्रशासन की इस दमनकारी कार्रवाई के विरोध में बैतूल के जिला कलेक्टर के घर के बाहर ही नींद हराम प्रदर्शन शुरू कर दिया है। आदिवासी परिवार रात रात भर कलेक्टर के घर के बाहर भजन कीर्तन और नाच गाना करते हुए अपना विरोध जताते हैं।
सामाजिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन का यह तरीका शहर वासियों के दिलों में भी जगह बना चुका है, यही कारण है कि लोग इन गरीब आदिवासियों की मदद को भी आगे आ रहे हैं।
बता दें कि बीते 19 दिसंबर को बैतूल जिले के उम्बरडोह में टास्क फोर्स ने वन विभाग की शिकायत पर 45 आदिवासियों की झोपड़ियां उजाड़ दी थीं। प्रशासन का कहर आदिवासियों के आशियानों पर ही नहीं उनकी खेती पर भी टूटा था। उनकी फसल नष्ट कर दी गई थी।
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