ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
फ़ैजाबाद वॉलीवुड फिल्म ‘ओ माई गॉड’ की तर्ज पर बिहार के सीतामढ़ी में भगवान राम व उनके अनुज लक्ष्मण पर दर्ज हुए मुकदमे पर धर्मनगरी के संत-धर्माचार्यों ने खासा ऐतराज जताया है। हालांकि यह केस खारिज हो गया पर संतों ने केस दर्ज कराने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे अभियुक्त बनाए जाने की मांग उठाई है।
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास भगवान राम पर दायर परिवाद पर एतराज जताते हुए इसे सिर्फ चर्चा में आने का स्टंट मात्र बताते हैं। सवाल उठाते हैं कि आखिर कोर्ट में हाजिर होने कौन जाएगा? कहा कि मनुष्य के बनाए कानून के आधार पर भगवान को कैसे सजा दी जा सकती है भगवान राम तो स्वयं सर्वोच्च हैं।
सबके साथ न्याय करने वाले हैं। यदि कोर्ट से बुलावा आएगा तो मैं अपना पक्ष रखने जरूर जाऊंगा। शनिधाम के स्वामी हरदयाल शास्त्री दायर परिवाद पर रोष व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यह नौ लाख साल पहले की बात है। यह निश्चित रूप से सुनियोजित षड्यंत्र है। यह तो सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश है।
श्रीमणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास शास्त्री ने कहा कि ईश्वर की सत्ता को चुनौती देना दुर्भाग्यपूर्ण है। भगवान राम ने सर्वसमाज को न्याय मिले इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम का रूप धारण किया। दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेशदास ने कहा कि हर युग में न्याय की प्रक्रिया रही है।
सतयुग में राजा हरिश्चंद्र ने न्याय के लिए वचन व संकल्प को महत्व दिया। ठीक उसी प्रकार त्रेता में राजा दशरथ व भगवान राम हुए, जिन्होंने न्यायिक व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए और सुदृढ़ किया।
हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेशदास ने कहा कि यह सब सस्ती लोकप्रियता पाने का एक माध्यम है। भगवान राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, यह सब उनकी लीला मात्र का हिस्सा था। उन्होंने परिवाद दर्ज कराने वाले पर ही मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग उठाई।
फ़ैजाबाद वॉलीवुड फिल्म ‘ओ माई गॉड’ की तर्ज पर बिहार के सीतामढ़ी में भगवान राम व उनके अनुज लक्ष्मण पर दर्ज हुए मुकदमे पर धर्मनगरी के संत-धर्माचार्यों ने खासा ऐतराज जताया है। हालांकि यह केस खारिज हो गया पर संतों ने केस दर्ज कराने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे अभियुक्त बनाए जाने की मांग उठाई है।
रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास भगवान राम पर दायर परिवाद पर एतराज जताते हुए इसे सिर्फ चर्चा में आने का स्टंट मात्र बताते हैं। सवाल उठाते हैं कि आखिर कोर्ट में हाजिर होने कौन जाएगा? कहा कि मनुष्य के बनाए कानून के आधार पर भगवान को कैसे सजा दी जा सकती है भगवान राम तो स्वयं सर्वोच्च हैं।
सबके साथ न्याय करने वाले हैं। यदि कोर्ट से बुलावा आएगा तो मैं अपना पक्ष रखने जरूर जाऊंगा। शनिधाम के स्वामी हरदयाल शास्त्री दायर परिवाद पर रोष व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यह नौ लाख साल पहले की बात है। यह निश्चित रूप से सुनियोजित षड्यंत्र है। यह तो सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश है।
श्रीमणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास शास्त्री ने कहा कि ईश्वर की सत्ता को चुनौती देना दुर्भाग्यपूर्ण है। भगवान राम ने सर्वसमाज को न्याय मिले इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम का रूप धारण किया। दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेशदास ने कहा कि हर युग में न्याय की प्रक्रिया रही है।
सतयुग में राजा हरिश्चंद्र ने न्याय के लिए वचन व संकल्प को महत्व दिया। ठीक उसी प्रकार त्रेता में राजा दशरथ व भगवान राम हुए, जिन्होंने न्यायिक व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए और सुदृढ़ किया।
हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेशदास ने कहा कि यह सब सस्ती लोकप्रियता पाने का एक माध्यम है। भगवान राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, यह सब उनकी लीला मात्र का हिस्सा था। उन्होंने परिवाद दर्ज कराने वाले पर ही मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग उठाई।
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