ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
मध्यप्रदेश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं और कमजोर वर्ग व महिलाओं के बढ़ते शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ चार वामपंथी दल मिलकर आंदोलन करेंगे। यह फैसला राजधानी में रविवार को हुई वामपंथी दलों की संयुक्त बैठक में लिया गया। चार वामपंथी दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), एसयूसीआई (सी) और भाकपा (माले) लिबरेशन की संयुक्त बैठक में राज्य के राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई तथा कुछ ज्वलंत मुद्दों पर साझा कार्यक्रम चलाने का फैसला लिया गया।
वामदलों ने शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा सभाओं, आंदोलनों, धरनों व प्रदर्शनों पर लगाए जा रहे प्रतिबंध तथा जिला सरकारी कार्यालयों के आसपास स्थायी रूप से धारा 144 लगाए जाने की निंदा की और इसे जनता की बदहाली, भ्रष्टाचार और सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता के खिलाफ जनाक्रोश की अभिव्यक्ति पर रोक लगाने का तानाशाही फरमान बताया।
माकपा के राज्य सचिव बादल सरोज ने आईएएनएस को बताया कि बैठक में वामदलों ने मोदी सरकार के केंद्र में सत्ता में आने के बाद खासतौर से प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा में आई भारी तेजी पर चिंता जताई गई। इसके अलावा दलितों, आदिवासियों व महिलाओं के सामाजिक उत्पीड़न में जबरदस्त बढ़ोतरी को समाज के लिए चिंताजनक बताया।
उन्होंने बताया कि संयुक्त बैठक में किसान आत्महत्याओं, खेती पर गहराते संकट, बेलगाम मंहगाई, भ्रष्टाचार, श्रमिकों व कर्मचारियों के बढ़ते शोषण और अब सरकारी स्कूलों को बंद कर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देकर शिक्षा को ‘मुनाफे का जरिया’ बना देने जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि वामदलों ने राज्य में व्याप्त विषम हालात के खिलाफ संयुक्त रूप से संभागीय मुख्यालयों पर विरोध रैलियां करने का फैसला लिया है। साथ ही वामपंथी दलों व संगठनों के बीच समन्वय बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की गई।
बैठक में भाकपा के राज्य सचिव अरविंद श्रीवास्तव, माकपा के राज्य सचिव बादल सरोज, एसयूसीआई (सी) के राज्य सचिव प्रताप सामल, भाकपा (माले) लिबरेशन के देवेंद्र सिंह चौहान के अलावा शैलेंद्र कुमार शैली व जे.सी. बरई भी मौजूद थे
रिपोर्ट : अमन तिवारी ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
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