पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करने वाले हिन्दू नेता कमलेश तिवरी की मुश्किलें कम नहीं हो रही. नैशनल सिक्यॉरिटी ऐक्ट (एनएसए) अडवाइजरी बोर्ड द्वारा हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी पर आरोप निश्चित किए जाने के बाद उनकी जल्द रिहाई के लिए उनके परिवार को अब इलाहाबाद हाई कोर्ट और केंद्रीय गृह मंत्रालय से उम्मीद है। लखनऊ पुलिस ने तिवारी पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करने पर एनएसए के तहत मामला दर्ज किया था।
कमलेश तिवारी के बेटे सत्यम ने कहा कि उनके पिता को राहत दिलाने के लिए परिवार अब हाई कोर्ट से अपील करने की तैयारी कर रहा है। हिंदू महासभा के नेता मोहित ने कहा, ‘चूंकि अब अडवाइजरी बोर्ड ने एनएसए की पुष्टि कर दी है, इसलिए हमने राज्यपाल राम नाइक से गुहार लगाई है। साथ ही हम अपनी याचिका गृह मंत्रालय को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।’
समिति ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पैनल के लिए तीन लोगों को शामिल किया है। इसका मतलब है कि कारावास की तारीख से अगले 12 महीनों के बीच तिवारी की रिहाई नहीं होगी। हालांकि यह इलाहाबाद हाई कोर्ट या केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों पर भी निर्भर करेगा।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने भी तिवारी के लिए हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है। कमलेश तिवारी के एबीएचएम के अध्यक्ष होने का दावा किया जाता है। रविवार को हुई एक मीटिंग में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने विधानसभा के बजट सेशन के दौरान तिवारी पर एनएसए लगाए जाने के खिलाफ बड़ा विरोध करने का फैसला किया है।
कमलेश तिवारी पर आरोप है कि उन्होंने पिछले साल नवंबर में एक प्रेस नोट के जरिए पैंगबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की और मुस्लिमों के खिलाफ प्रचार पुस्तिकाएं बांटीं। उनका यह बयान यूपी के कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ट नेता आजम खान द्वारा आरएसएस सदस्यों को ‘समलैंगिक’ बताए जाने के बाद आया था। इसके बाद जबर्दस्त विरोध के चलते गत 3 दिसंबर को पुलिस ने तिवारी को गिरफ्तार कर लिया था।
No comments:
Post a Comment