Monday, January 25, 2016

यूपी : प्रदेश अध्यक्ष पद पर अब होगा मनोनयन

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ। अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन नहीं होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष अब सीधे प्रदेश अध्यक्ष को मनोनीत करेंगे।
वैसे तो अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने से पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की तलाश को लेकर मंथन जारी था और यह प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, यह कह पाना अभी जल्दबाजी होगी।
सोशल मीडिया पर आंवला विधायक धर्मपाल सिंह को शाम छह बजे भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की खबर चल गई। विधायक को बधाइयां भी मिलने लगीं। इससे परेशान भाजपा विधायक ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 24 जनवरी को है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष पद की औपचारिक घोषणा की जाएगी। ये अगले हफ्ते की किसी भी तारीख को हो सकता है।
आंवला से भाजपा विधायक धर्मपाल सिंह ने सोशल मीडिया पर प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने संबंधी खबरों को अफवाह बताया। कहा कि उन्हें नहीं पता कि सोशल मीडिया पर कौन लोग उनके भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने की खबरें चला रहे हैं।
गत लोक सभा चुनाव के समय जब राजनाथ सिंह के अध्यक्ष रहते प्रभारी महासचिव के रूप में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी अमित शाह के पास थी तो सूबे में भाजपा को मिली अप्रत्याशित सफलता का श्रेय उनके कुशल प्रबंधन को भी दिया गया था हालांकि भाजपा को विजय उन सीटों पर भी मिली जहां पहले कभी नहीं मिली थीं और वहां न कोई संगठनात्मक प्रबंधन था और न ही दमदार उम्मीदवार। जाहिर है तब की कि विजय मोदी लहर से उपजी थी लेकिन श्रेय शाह को भी गया।
बिहार के बाद चुनौतियां बढ़ीं : बिहार में सरकार न बना पाने का सबसे बड़ा मनोवैज्ञानिक नुकसान उत्तर प्रदेश के संदर्भ में हुआ है और सूबे में तकरीबन डेढ़ दशक से सत्ता से बाहर भाजपा केंद्र में अपने बहुमत के दम पर सत्ता में होने के बावजूद अगर प्रदेश में इस बार चूकी तो पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर इसका बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और इंतजार तो लंबा हो ही जाएगा। अगले लोक सभा चुनाव के लिए भी दिक्कतें पेश आएंगी।
सपा व बसपा के विकल्प की अवधारणा को तोडऩा होगा : सपा सरकार का विकल्प बसपा और बसपा सरकार का विकल्प। भाजपा के लिए इस अवधारणा को तोडऩा बेहद जरूरी है और केंद्र की सत्ता में होने के कारण यह लक्ष्य आसान हो सकता है बशर्ते भाजपा सामाजिक समीकरणों को पारदर्शिता, प्रतिबद्धता व समरसता के साथ साध सके। अलबत्ता भाजपा को इस बात से सुकून हासिल हो सकता है कि बिहार में नीतीश-लालू की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में मुलायम-माया का मिलन फिलहाल संभव नहीं लगता।
अध्यक्ष पद की अर्हता : अपनी पसंद के चेहरे के बजाय पार्टी की जरूरत को तरजीह देनी होगी और यह काम आसान नहीं है। सामाजिक समीकरण के साथ-साथ यह भी देखना होगा कि जिसे जिम्मेदारी मिले वह जमीन से जुड़ा रहा हो ।

No comments:

All

SC ने पब्लिक सर्वेंट की तत्काल अरेस्टिंग पर लगाई रोक, कहा-इस एक्ट का हो रहा है दुरुपयोग

टीम ब्रेक न्यूज ब्यूरो  नई दिल्ली. एससी-एसटी एक्ट के तहत मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं. एक याचिका पर सुनवाई के दौ...