जो बिहार के राजनीतिक इतिहास को जानते-समझते हैं, वे यह मानते हैं कि तमाम प्रतिकुलताओं के बावजूद लालू प्रसाद को कमतर आंकना उनके प्रतिद्वंद्वियों के लिए भयंकर भूल सरीखा है। वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में लालू की जीत ने इसे एक बार फिर साबित भी कर दिया। हालांकि इसकी पटकथा पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में ही बिहार की जनता ने लिख दी थी।
लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद के राजद पूरे बिहार के करीब 58 विधानसभा क्षेत्रों में विजयी रही थी और 130 विधानसभा क्षेत्रों में राजद दूसरे स्थान पर रहा। संभवत: यही वजह रही कि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के ठीक बाद ही जदयू की ओर से नीतीश कुमार ने स्वयं पहल करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर छह दलों के बीच महागठबंधन की कवायद हुई।

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