ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
बुलंदशहर : परिवारवाद के मुद्दे पर अक्सर दूसरों को कोसने वाली बहुजन समाज पार्टी में भी परिवारवाद शुरू हो चुका है.बुलंदशहर की शिकारपुर सीट पर तीन साल से तैयारी कर रहे प्रभारी को हटाकर बसपा ने पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई को पैराशूट प्रत्याशी बनाकर उतार दिया है. यही नहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बुलंदशहर में अपने बेटे के साथ बसपा का मंच साझा किया और अपने बेटेअफजल सिद्दीकी को जनता से रूबरू कराया.
सिद्दीकी के बेटे अफजल को आने वाले 2017 विधान सभा चुनाव में सिकन्दराबाद सीट से बसपा प्रत्याशी बनाये जाने की उम्मीद है.
सियासत में परिवारवाद के लिए सपा, कांग्रेस और भाजपा का विरोध करने वाली बसपा के दामन पर भी दाग लगने लगें हैं .
हाथरस जिले के रहने वाले पूर्व मंत्री रामवीर के भाई मुकुल उपाध्याय को बुलंदशहर की शिकारपुर सीट से विधानसभा प्रत्याशी घोषित किया गया है. मुकुल से पहले इस सीट पर तीन साल से बुलंदशहर के देवेन्द्र भारद्वाज चुनाव की तैयारी कर रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर देवेन्द्र का टिकट कटने से सकते में आये पार्टी समर्थको ने मंगलवार जब नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सामने बगावत के सुर छेड़े तो नेताओं के एक इशारे पर उन्हें पुलिस ने धर-दबोचा.
वहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बताया कि उन्होनें बहन मायावती के कहने पर अपने बेटे को लोकसभा चुनाव में उतारा था फिलहाल उनका इरादा उसे चुनाव लड़ाने का नही है लेकिन चुनाव अभी दूर है. मुकुल उपाध्याय की उम्मीदवारी के विरोध के मुद्दे पर उन्होने कहा कि देवेन्द्र भारद्वाज को संगठन में जगह दी जायेगी लेकिन नसीमुद्दीन देवेन्द्र भारद्वाज का टिकट काटने की कोई पुख्ता वजह नही बता सके.
मायावती भले ही अपने सियासी वारिस के लिए कोई जगह न छोड़े लेकिन माया की सियासत में नसीमुद्दीन और रामवीर उपाध्याय जैसे दिग्गज बसपा नेता सत्ता में रहते अपने परिवार की सियासी जड़े पुख्ता कर लेना चाहते है लेकिन सवाल ये है कि सपा, कांग्रेस और बीजेपी की तरह अगर मायावती भी भाई-भतीजावाद का अनुसरण करेगी तो सर्वजन के नारे का क्या होगा.जनता में इस बात क्या सन्देश जायेगा क्या मायावती इस वंशवाद की परम्परा का हिस्सा बन जायेंगी ।
बुलंदशहर : परिवारवाद के मुद्दे पर अक्सर दूसरों को कोसने वाली बहुजन समाज पार्टी में भी परिवारवाद शुरू हो चुका है.बुलंदशहर की शिकारपुर सीट पर तीन साल से तैयारी कर रहे प्रभारी को हटाकर बसपा ने पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई को पैराशूट प्रत्याशी बनाकर उतार दिया है. यही नहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बुलंदशहर में अपने बेटे के साथ बसपा का मंच साझा किया और अपने बेटेअफजल सिद्दीकी को जनता से रूबरू कराया.
सिद्दीकी के बेटे अफजल को आने वाले 2017 विधान सभा चुनाव में सिकन्दराबाद सीट से बसपा प्रत्याशी बनाये जाने की उम्मीद है.
सियासत में परिवारवाद के लिए सपा, कांग्रेस और भाजपा का विरोध करने वाली बसपा के दामन पर भी दाग लगने लगें हैं .
हाथरस जिले के रहने वाले पूर्व मंत्री रामवीर के भाई मुकुल उपाध्याय को बुलंदशहर की शिकारपुर सीट से विधानसभा प्रत्याशी घोषित किया गया है. मुकुल से पहले इस सीट पर तीन साल से बुलंदशहर के देवेन्द्र भारद्वाज चुनाव की तैयारी कर रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर देवेन्द्र का टिकट कटने से सकते में आये पार्टी समर्थको ने मंगलवार जब नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सामने बगावत के सुर छेड़े तो नेताओं के एक इशारे पर उन्हें पुलिस ने धर-दबोचा.
वहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बताया कि उन्होनें बहन मायावती के कहने पर अपने बेटे को लोकसभा चुनाव में उतारा था फिलहाल उनका इरादा उसे चुनाव लड़ाने का नही है लेकिन चुनाव अभी दूर है. मुकुल उपाध्याय की उम्मीदवारी के विरोध के मुद्दे पर उन्होने कहा कि देवेन्द्र भारद्वाज को संगठन में जगह दी जायेगी लेकिन नसीमुद्दीन देवेन्द्र भारद्वाज का टिकट काटने की कोई पुख्ता वजह नही बता सके.
मायावती भले ही अपने सियासी वारिस के लिए कोई जगह न छोड़े लेकिन माया की सियासत में नसीमुद्दीन और रामवीर उपाध्याय जैसे दिग्गज बसपा नेता सत्ता में रहते अपने परिवार की सियासी जड़े पुख्ता कर लेना चाहते है लेकिन सवाल ये है कि सपा, कांग्रेस और बीजेपी की तरह अगर मायावती भी भाई-भतीजावाद का अनुसरण करेगी तो सर्वजन के नारे का क्या होगा.जनता में इस बात क्या सन्देश जायेगा क्या मायावती इस वंशवाद की परम्परा का हिस्सा बन जायेंगी ।

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