टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
अफसरों की लापरवाही से राजधानी की आबोहवा एक बार फिर जहरीली हो चुकी है। वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल तक पहुंच गया है। सोमवार को जहां औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 426 रिकॉर्ड किया गया। वहीं सुबह और शाम के समय अलग-अलग इलाकों में यह अधिकतम 500 के लेवल पर पहुंच गया।24 घंटे पहले ही लखनऊ की एक्यूआई जहां 374 रिकॉर्ड की गई थी, वहीं सोमवार को एक्यूआई बढ़कर 426 पहुंच गया। 400 से अधिक एक्यूआई होने पर शहर की हवा दोबारा खतरनाक हो गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक खतरनाक (सीवियर) हो चुकी हवा लोगों को बीमार बना सकती है।ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि मौका रहते जिम्मेदार अधिकारी वायु प्रदूषण को कम करने का प्रयास क्यों नहीं कर पाए? यह उस समय है जब पिछले एक महीने से लगातार लखनऊ का वायु प्रदूषण 300 एक्यूआई के ऊपर बना हुआ है। लापरवाही की वजह से एक बार फिर से पुराने लखनऊ (लालबाग लोकेशन) में जहरीली हवा ने इमरजेंसी हालात पैदा कर दिए हैं। सीपीसीबी की रिपोर्ट में लालबाग और तालकटोरा को गहरा लाल रंग दिया गया है।
कानपुर से अधिक प्रदूषित लखनऊ
शहर (एक्यूआई)
गाजियाबाद 497
मुरादाबाद 479
नोएडा 466
लखनऊ 426
कानपुर 421
आगरा 385
अफसर बोले, हम कर रहे प्रयास
हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर लिया जाए। निर्माण सामग्री खुले में डालने से लेकर कूड़ा जलाने तक पर सख्ती से प्रतिबंध है। जिला प्रशासन, नगर निगम सहित दूसरे विभागों की मदद ली जा रही है। जब तक मौसम नहीं सुधरेगा, धूप नहीं निकलेगी, तब तक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कण और गैस नहीं छंट सकतीं हैं। जितना वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उसके लिए कार्रवाई चल रही है।
- आशीष तिवारी, सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी
गाजियाबाद 497
मुरादाबाद 479
नोएडा 466
लखनऊ 426
कानपुर 421
आगरा 385
अफसर बोले, हम कर रहे प्रयास
हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर लिया जाए। निर्माण सामग्री खुले में डालने से लेकर कूड़ा जलाने तक पर सख्ती से प्रतिबंध है। जिला प्रशासन, नगर निगम सहित दूसरे विभागों की मदद ली जा रही है। जब तक मौसम नहीं सुधरेगा, धूप नहीं निकलेगी, तब तक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कण और गैस नहीं छंट सकतीं हैं। जितना वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उसके लिए कार्रवाई चल रही है।
- आशीष तिवारी, सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी
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