ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अगले वर्ष उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जिताने का दम तो भर दिया है लेकिन हालात उनके खिलाफ होते नजर आ रहे हैं। इस समय कांग्रेस और प्रशांत किशोर दोनों के सामने सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आ रही है।

मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी चिंता का विषय
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस हाई कमान को मुस्लिम या ब्राह्मण चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ने की सलाह दी। कांग्रेस ने इस सलाह पर अमल करना भी शुरू किया और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और कांग्रेस मुखिया सोनिया गांधी के बीच मुलाकातों का दौर शुरू हो गया। उस समय लग रहा था कि शीला दीक्षित यूपी में कांग्रेस का चेहरा बन सकती हैं। लेकिन कांग्रेस के उम्मीदों पर पानी उस वक्त फिर गया जब दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली सरकार की शिकायत पर शीला के खिलाफ जांच की मांग की फाइल भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो (एसीबी) को भेज दी।
इसके बाद कांग्रेस में भरोसेमंद चेहरे की तलाश फिर शुरू हो गई जो शायद अभी तक ख़त्म नहीं हुई है। हालांकि कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद को यूपी का प्रभारी बनाकर मुस्लिम वोट बैंक पर एक जाल फेंकने की कोशिश जरूर की है। कांग्रेस ने गुलाम नबी के कंधे पर बन्दूक रखकर पिछले विधानसभा चुनाव में सपा की जीत के मुख्य सूत्राधार रहे मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है।
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