Friday, February 12, 2016

यादव सिंह केस: अधिकारियों को सताने लगा CBI का डर

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह के निकट के लोगों ने बसपा शासन काल में जितनी मलाई काटी थी, अब उन्हें सीबीआइ का उतना ही डर सताने लगा है। सूत्रों के अनुसार सीबीआइ ने इन लोगों को बसपा शासन काल में मिले भूखंडों की सूची प्राधिकरण से मांगी है।
हालांकि, प्राधिकरण अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। बताया जाता है कि सीबीआइ यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि यादव ङ्क्षसह और उसके करीबियों का कितना धन छह फीसद भूखंडों में लगा हुआ है।
ये है पूरा मामला
किसानों को अर्जित भूमि की एवज में कुल क्षेत्रफल का छह फीसद हिस्सा विकसित भूखंड के रूप में वापस मिलता है। बसपा शासन काल में करीब आठ हजार किसानों को छह फीसद भूखंड आवंटित किए गए थे। सूत्रों के अनुसार सीबीआइ को यह पता चला है कि यादव सिंह और उसके करीबियों ने काली कमाई का काफी हिस्सा छह फीसदी भूखंडों की खरीद-फरोख्त में लगाया था। भूखंडों की लोकेशन लगे बिना ही किसानों से आवंटन पत्र के आधार पर ही सस्ती दरों पर भूखंड खरीद लिए थे। बाद में यादव सिंह के प्रभाव का इस्तेमाल कर अच्छी लोकेशन पर भूखंड लगवा लिए थे।
सीबीआई की पूछताछ जारीa1
सूत्रों का दावा है कि सीबीआइ ने प्राधिकरण को कुछ लोगों के नाम उपलब्ध कराए हैं। उनके बारे में पूछा गया है कि बसपा शासन काल में इन लोगों ने कितने भूखंड खरीदे थे। भूखंड कौन-कौन से गांव में हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या भूखंडों को बाद में बेच दिया गया। प्राधिकरण अधिकारी बेहद गोपनीय तरीके से इसकी जांच करा रहे हैं।

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