ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
फैजाबाद बीकापुर विधानसभा सीट का उपचुनाव हैदराबादी राजनीति में उलझता दिख रहा है। बसपा के मैदान में न होने से पहले आसान दिख रहा उपचुनाव अब जटिल होता जा रहा था। इससे सपा के सामने वोट बैंक को सहेजने की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
इसके लिये कैबिनेट मंत्री अहमद हसन लगातार दौड़ रहे हैं। उनकी मुश्किल इस बात से समझी जा सकती है कि अपनी सरकार की उपलब्धि बताने से ज्यादा वे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर तीखे हमले करते हैं। ओवैसी की टीम मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में पूरी ताकत झोंके हुए है।
बीकापुर उपचुनाव में सपा ने दिवंगत मित्रसेन यादव की राजनीतिक विरासत सहेजने के लिए उनके छोटे पुत्र पूर्व मंत्री आनंदसेन को उतारा है। मित्रसेन को 2012 के चुनाव में 55211 वोट मिले थे। बसपा के फिरोज खां उर्फ गब्बर ने 53332 वोट पाकर कड़ी टक्कर दी थी।
जबकि 37500 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह। इस बार बसपा के मैदान में नहीं होने से उसका वोट बैंक साधने की होड़ मची है। मगर किसी ने सोचा नहीं था कि ऑल इंडिया मजलिस ए एतेहदुल मुसलिमिन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी रोड़ा बन सकते हैं।
ओवैसी ने दलित कार्ड के तहत रामबख्स कोरी को मैदान में उतार मुस्लिम-दलित वोट बैंक पर नजरें गड़ाई हैं। फिलहाल ओवैसी के हमलों से सपा नेता तिलमिलाए हुए हैं। ओवैसी की सभाओं में खूब भीड़ जुट रही है, ऐसे में सपा मुखिया व सरकार पर हो रहे ओवैसी के हमले का करारा जवाब बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन दे रहे हैं।
हालांकि आजम खां चुनाव प्रचार से दूर हैं। ओवैसी से भविष्य में बसपा के तालमेल की अटकलें भी चर्चा में हैं, मगर बसपाई सावधान हैं। ओवैसी समर्थक कहते हैं कि दो सभाओं के बाद अन्य सभाओं की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी। वहीं, राजनीति के जानकार कहते हैं कि सत्ताधारी दल ओवैसी को खतरा मान रहा है।
इन सबके बीच लगातार हार रही भाजपा ने इस बार जिलाध्यक्ष रामकृष्ण तिवारी को उतारा है। मगर भाजपा खेमा राममंदिर विवाद पर ओवैसी की चुप्पी से हवा नहीं बनती देख बैचैन है।
पीस पार्टी ने पिछली बार बबलू सिंह को उतारकर दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी
रिपोर्ट : प्रभाकर यादव ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो फैजाबाद
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