ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
बस्ती जिले में पंचायत मतदाता सूची में गड़बड़ी के मामले में हर्रैया तहसील के कप्तानगंज, परशुरामपुर, हर्रैया एवं दुबौलिया ब्लॉक की ग्राम पंचायतों में पांच बीएलओ के रूप में तैनात रोजगार सेवकों के निलंबन में कानूनी पेंच फंस गया है। बतौर संविदा कर्मचारी तैनात रोजगार सेवकों को न तो निलंबित किया जा सकता है न ही उनके खिलाफ काई विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। उन्हें कार्यमुक्त करने के अलावा कोई दंड देने का प्रावधान नहीं है।
रोजगार सेवक से बीएलओ का कार्य लेना प्रशासन के लिए सांप-छछूंदर की स्थिति उत्पन्न कर दिया है। पंचायत चुनाव से पहले प्रशासन ने मतदाता सूची बनाने का काम कर्मियों की कमी के चलते लिया था। इसके लिए लगभग 1200 बीएलओ बनाया गया। कुछ बीएलओ ने मतदाता सूची में मनमानी की। इसके चलते चुनाव से पहले प्रशासन को मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर अनेक शिकायतें मिलीं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने जब गड़बड़ी करने वाले बीएलओ के विरुद्ध की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा तो हर्रैया के एसडीएम ने आनन-फानन पांच बीएलओ को निलंबित कर उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की सिफारिश कर दी। इसी आधार पर विकास भवन से भी सभी बीडीओ को आदेश चला गया।
मगर जब कार्रवाई की बारी आई तो अधिकारियों को सांप सूंघ गया। निलंबन प्रक्रिया की पड़ताल में पता चला कि बीएलओ को निलंबित करने का अधिकार किसी को भी नहीं हैं। नियमानुसार रोजगार सेवकों से मनरेगा के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य लिया नहीं जा सकता।
जबकि प्रशासन ने रोजगार सेवकों से नियम विरुद्ध बीएलओ का कार्य ले लिया। इसके चलते इन्हें निलंबित नहीं किया जा सकता है। एसडीएम की रिपोर्ट पर निलंबित करने का आदेश देने वाले उपायुक्त श्रम रोजगार अनिल कुमार सिंह ने बताया कि नियमानुसार मानदेय पर आधारित किसी भी रोजगार सेवक को न तो निलंबित किया जा सकता है, और उनके विरुद्ध कोई विभागीय कार्रवाई ही की जा सकती है।
बस्ती जिले में पंचायत मतदाता सूची में गड़बड़ी के मामले में हर्रैया तहसील के कप्तानगंज, परशुरामपुर, हर्रैया एवं दुबौलिया ब्लॉक की ग्राम पंचायतों में पांच बीएलओ के रूप में तैनात रोजगार सेवकों के निलंबन में कानूनी पेंच फंस गया है। बतौर संविदा कर्मचारी तैनात रोजगार सेवकों को न तो निलंबित किया जा सकता है न ही उनके खिलाफ काई विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। उन्हें कार्यमुक्त करने के अलावा कोई दंड देने का प्रावधान नहीं है।
रोजगार सेवक से बीएलओ का कार्य लेना प्रशासन के लिए सांप-छछूंदर की स्थिति उत्पन्न कर दिया है। पंचायत चुनाव से पहले प्रशासन ने मतदाता सूची बनाने का काम कर्मियों की कमी के चलते लिया था। इसके लिए लगभग 1200 बीएलओ बनाया गया। कुछ बीएलओ ने मतदाता सूची में मनमानी की। इसके चलते चुनाव से पहले प्रशासन को मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर अनेक शिकायतें मिलीं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने जब गड़बड़ी करने वाले बीएलओ के विरुद्ध की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा तो हर्रैया के एसडीएम ने आनन-फानन पांच बीएलओ को निलंबित कर उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की सिफारिश कर दी। इसी आधार पर विकास भवन से भी सभी बीडीओ को आदेश चला गया।
मगर जब कार्रवाई की बारी आई तो अधिकारियों को सांप सूंघ गया। निलंबन प्रक्रिया की पड़ताल में पता चला कि बीएलओ को निलंबित करने का अधिकार किसी को भी नहीं हैं। नियमानुसार रोजगार सेवकों से मनरेगा के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य लिया नहीं जा सकता।
जबकि प्रशासन ने रोजगार सेवकों से नियम विरुद्ध बीएलओ का कार्य ले लिया। इसके चलते इन्हें निलंबित नहीं किया जा सकता है। एसडीएम की रिपोर्ट पर निलंबित करने का आदेश देने वाले उपायुक्त श्रम रोजगार अनिल कुमार सिंह ने बताया कि नियमानुसार मानदेय पर आधारित किसी भी रोजगार सेवक को न तो निलंबित किया जा सकता है, और उनके विरुद्ध कोई विभागीय कार्रवाई ही की जा सकती है।
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