Thursday, April 21, 2016

प्रयाग :संगम तट पर विराजमान लेटे हनुमान मंदिर की अद्भूत कहानी

ब्रेक न्यूज़ ब्युरो
प्रयाग अगर संगम के लिए प्रसिद्ध है, तो इसी के तट पर मारूती नन्दन वीर हनुमान का एक ऐसा मंदिर है जो दुनियाभर के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं. यहां पवनसुत वीर हनुमान लेटी हुई मुद्रा में विराजमान हैं. दुनियाभर में यह इकलौता मंदिर ऐसा है जहां अंजनी पुत्र शयन मुद्रा में मौजूद हैं. संगम तट पर लेटे हनुमान का यह मंदिर अति प्राचीन है. विद्वानों की माने तो पदम पुराण में इस मंदिर का विस्तृत वर्णन भी है.
मूर्ति को हटाने का किया गया था प्रयास लिहाजा, इतिहास में इस मंदिर का वर्णन तब से मिलता आया है जब अकबर ने संगम के तट पर किला बनवाया था. कहते हैं अकबर के किले का जो नक्शा बनाया गया था वह इस मंदिर के मध्य से हो कर जाता था. किले के रास्ते में मंदिर आया तो अकबर ने इसे दूसरी जगह स्थापित करने का हुक्म दे दिया. बादशाह के हुक्म का पालन करने के लिए हजारों मजदूर इस प्रतिमा को दूसरी जगह स्थापित करने के लिए लगाए गए.
लेकिन बजरंगबली की मूर्ति अपने स्थान से टस से मस नहीं हुई. इधर अकबर को यह समाचार सुनाने के लिए कोई जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका, तो प्रयाग के कुछ पुरोहित उनके पास पहुंच गए. पुरोहितों ने अकबर को सारा किस्सा सुनाते हुए अनुरोध किया कि मंदिर वहीं रहने दें तो उचित होगा. अकबर ने भी तब इस मंदिर के महत्व को जाना और किले की दीवार को टेढ़ा करने का हुक्म देते हुए मंदिर के जीर्णोद्धार का आदेश दे दिया. प्रयाग के इस लेटे हुए हनुमान की मंदिर को लेकर दुनियाभर में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं.
इतिहासकार प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने बताया कि इनमें से एक किंवदंती के अनुसार प्राचीन युग में एक हनुमान भक्त व्यापारी उनकी मूर्ति नाव पर रख कर यमुना के रास्ते जा रहा था. अचानक प्रयाग में संगम से तट के पास नाव डूब गई. काफी खोजबीन के बाद भी न तो नाव का पता चला और ना ही मूर्ति मिली. इसके कई वर्षों बाद जब नदी की धारा बदली तो पानी खाली हुए तट पर हनुमान जी की मूर्ति लोगों को नजर आई. इसके बाद भक्तों ने मूर्ति को उठाकर किसी मंदिर में स्थापित करने की योजना बनाई. योजना के मुताबिक करीब 100 से ज्यादा लोगों ने मूर्ति को उठाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन वह टस से मस न हुई. प्रयास कई दिनों तक किया जा जाता रहा, लेकिन मूर्ति एक इंच भी नहीं खिसकी.नहीं हिली मूर्ति तो वहीं बनवा दिया विशाल मंदिर आखिर में भक्तों ने महात्माओं की शरण ली. महात्माओं ने भक्तों से कहा तुम चाहे जितना प्रयास कर लो मूर्ति वहां से नहीं हटा सकोगे क्योंकि भगवान वहां स्वयं शयन मुद्रा में हैं. भक्तों ने उपाय पूछा तो महात्माओं ने कहा कि मूर्ति जहां जिस मुद्रा में है वैसी ही रहने दो और वहीं मंदिर का निर्माण करा दो. भक्तों ने महात्माओं की बात मानते हुए वहीं मंदिर बनवा दिया, जो आज भी संगम के तट पर लेटे हनुमान या बड़े हनुमान के नाम से प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है.

No comments:

All

SC ने पब्लिक सर्वेंट की तत्काल अरेस्टिंग पर लगाई रोक, कहा-इस एक्ट का हो रहा है दुरुपयोग

टीम ब्रेक न्यूज ब्यूरो  नई दिल्ली. एससी-एसटी एक्ट के तहत मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं. एक याचिका पर सुनवाई के दौ...