ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में जिलाधिकारी आवास पर काम करने वाले एक सफाई कर्मी की चोरी के आरोप में पीट पीट कर हत्या कर दी गयी। मृतक के परिजनों ने जिलाधिकारी के इशारे पर पिटाई करने का आरोप लगाया। सफाई कर्मी की मौत के बाद गुस्साए सफाईकर्मियों ने नौरंगाबाद चौराहे पर जाम लगा कर जिलाधिकारी समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग के साथ साथ मृतक के परिजनों को 25 लाख रूपए मुआवजा देने की मांग की।
बताया जा रहा है कि इटावा शहर के गाडीपुरा के रहने वाले सफाई कर्मी राजेश कुमार की तैनाती जिलाधिकारी आवास पर हुई थी। जहां पर 20 हजार रूपए चोरी करने का आरोप लगाकर उसको चार घंटे से अधिक वक्त तक पीटा गया। जब वो मरणासन्न हो गया, तब डीएम आवास से दो पुलिसकर्मी उसको घर छोड़ गए। जहां उसने परिजनों को आपबीती सुनाई। परिजन आनन फानन में उसे राजकीय संयुक्त चिकित्सालय ले गए। जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सफाई कर्मी की मौत के बाद उसके परिजन और करीबी देर रात जिलाधिकारी आवास पर आ धमके। उन्होंने वहां पर जमकर हंगामा किया। हंगामे के बाद उनके परिजनों को भीतर बुलवा कर जिलाधिकारी एवं अन्य प्रशासनिक अफसरों ने मुलाकात की। लेकिन संतोष जनक जबाब न मिलने से खफा सफाई कर्मी के परिजनों ने यह बात अपने पक्ष के लोगों को बताई। जिसके बाद गुरूवार सुबह से ही शहर भर के सफाई कर्मी एकजुट होकर पहले नगर पालिका पहुंचे। फिर उन्होंने शहर के मुख्य चौराहे पर जाम लगा कर आरोपी जिलाधिकारी और उनके स्टाफ के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने एवं राजेश के परिजनों को 25 लाख रूपए दिए जाने की मांग कर हड़ताल शुरू कर दी।
बड़ी मुश्किल से मान मनौव्वल के बाद सफाई कर्मियों ने अपना अनशन इस शर्त के साथ खत्म किया कि सफाई कर्मी को हर हाल मे न्याय मिलेगा। उसके परिजनों को मुआवजा तो मिलेगा ही, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल मे लाई जाएगी। वहीं जिलाधिकारी के इस पूरे प्रकरण मे दोषी होने के आरोपों पर अपर जिला अधिकारी ने पूरी तरह से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इतने बड़े अधिकारी इस तरह का कोई काम नहीं कर सकते हैं।
वहीं सफाई कर्मी राजेश की हत्या के बाद उसकी पत्नी के प्रार्थना पत्र पर अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमे में जिलाधिकारी आवास मौका ए वारदात दर्शाया गया है। लेकिन किसी भी व्यक्ति को नामजद नहीं कराया गया है। यहां यह सवाल खड़ा होता है कि जब जिलाधिकारी आवास में यह वाकया दिखाया जा रहा है, तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि उसके शरीर पर आने वाली चोटों को अनजान लोग पहुंचा कर फरार हो जाए।
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