Tuesday, January 2, 2018

दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद आरोपी की मौत बनी चर्चा-गोंडा से सुभाष सिंह की रिपोर्ट



टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
गोंडा के एक गांव के पास मंगलवार दोपहर दुष्कर्म के आरोपी का शव हाईटेंशन लाइन के खंभे से लटका मिला। 31 दिसंबर की रात 16 वर्षीय किशोरी को अगवा कर उसने रेप किया था, जिसके बाद किशोरी ने सोमवार को दम तोड़ दिया था।

पुलिस नामजद आरोपी की तलाश में थी कि इसी बीच उसका शव मिलने से हड़कंप मच गया है। युवक के दोनों हाथ पीछे बंधे हुए थे। इससे लग रहा है कि उसे मारकर लटकाया गया है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
गोंडा कोतवाली देहात क्षेत्र की रहने वाली किशोरी को 31 दिसंबर की देर शाम उसके गांव के ही रामकृपाल सिंह ने अगवा कर लिया था। फिर उसे नशीली दवा खिलाकर उससे दुराचार किया। एक जनवरी की सुबह रामकृपाल के चाचा ने किशोरी को गंभीर हालत में उसके घर छोड़ दिया।

दो अस्पतालों के चक्कर काटने में किशोरी की हो गई मौत

पीड़िता को घर वालों ने जिला महिला अस्पताल पहुंचाया लेकिन डॉक्टरों ने इलाज करने के बजाय उसे जिला अस्पताल भेज दिया। जिला अस्पताल पहुंचे तो महिला अस्पताल ले जाने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। इलाज के अभाव में और दो अस्पतालों के चक्कर काटने के बीच ही दोपहर में किशोरी ने दम तोड़ दिया।

किशोरी के पिता ने रामकृपाल सिंह के खिलाफ धमकी, अपहरण, नशीला पदार्थ खिलाकर रेप और पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी थी कि मंगलवार सुबह गांव के पास ही उसका शव मिलने से हड़कंप मच गया। शव हाईटेंशन लाइन के खंभे से लटक रहा था।

युवक के दोनों हाथ पीछे रस्सी से बंधे थे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। सीओ सदर भरत यादव ने कहा कि शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाएगी। उसके बाद अन्य पहलुओं पर जांच की जाएगी।

वो तो गई लेकिन मैं रेप का आरोपी नहीं...

तलाशी में रामकृपाल की जेब से पुलिस को एक छोटी डायरी और पेन मिली। डायरी में लिखा है कि 'वो तो चली गई लेकिन मैं रेप का आरोपी नहीं। मेरी प्रापर्टी मेरी चचेरी बहन परमजीत कौर को दे दी जाए।'  डायरी में रामकृपाल ने खुद ये लिखा है या किसी ने लिखकर डाला है पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।

*सुबूत मिटाने के लिए तो नहीं हुई हत्या*

आशंका जताई जा रही है कि किशोरी से दुराचार करने में और भी कई लोग शामिल रहे होंगे। कुछ ग्रामीणों ने रामकृपाल को किशोरी के साथ देखा था इसलिए आरोप उसी पर ही था। ग्रामीणों का कहना है कि पीड़िता की मौत के बाद रामकृपाल ही घटना का एकमात्र सुबूत था और कहीं वो अन्य आरोपियों का खुलासा न कर दे, इसी डर से उसे मार डाला गया।

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