Wednesday, March 9, 2016

यूपी चुनाव कांग्रेस का ब्राह्मण कार्ड, शीला दीक्षित को अपना चेहरा बनाएगी

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
यूपी चुनाव के नजदीक आते ही पार्टियों की नींद उड़ चुकी है। कोई दलित कार्ड खेलना चाहता है तो कोई सोशल इंजीनियरिंग के दम पर सत्ता में आने के लिए संघर्षरत है। बसपा के दलित वोट में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने दलित कार्ड खेलने की तैयारी की है। ऐसे में कांग्रेस कैसे पीछे रह सकती है। उसने अपने कैडर वोट को फिर से जोड़ने के लिए कवायद तेज कर दी है। कांग्रेस यूपी चुनाव में ब्राह्मण कार्ड खेलने जा रही है। इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हालांकि पार्टी नेता अभी इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश में तीन दशक पहले तक ब्राह्मण वोट बैंक कांग्रेस का कै़डर माना जाता था। इस कारण पार्टी का परफारमेंश भी चुनावों में अच्छा रहता था, जब से यह वोट बैंक बीजेपी से जुड़ा है तब से पार्टी की स्थिति खराब होती गई। अब पार्टी एक बाऱ फिऱ अपने ब्राह्मण चेहरों पर दाव लगाने की तैयारी कर रही है। इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। सबसे पहले पार्टी ने पंडित राजेशपति त्रिपाठी को चुनाव समिति की कमान सौंपी। राजेशपति त्रिपाठी को समिति की कमान सौंपने का मुख्य उद्देश्य ही ब्राह्मणों को अपने पाले में करना था। दरअसल, राजेशपति त्रिपाठी के दादा पंडित कमलापति त्रिपाठी यूपी की राजनीति में अच्छी दखल रखते थे। मुख्यमंत्री के साथ ही वे केंद्र में मंत्री रहे। पूर्वांचल में कमलापति त्रिपाठी परिवार का अच्छा होल्ड है।
अब शीला दीक्षित
कांग्रेस ने अब शीला दीक्षित को अपना चेहरा बनाने की तैयारी की है। हालांकि इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी का यह कदम सोची समझी रणनीति के तहत है।
भाजपा का तोड़
दरअसल, यूपी में दलित वोट बैंक बसपा के माने जाते हैं। इसके अलावा कई छोटी पार्टियों का भी जातिगत आधार पर अच्छा जनाधार है। ऐसे में कांग्रेस के पास एकमात्र विकल्प ब्राह्मण हैं। यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक अच्छा खासा है। अगर यह पार्टी के पास लौट आया तो सीटों की संख्या बदलने में दिक्कत नहीं होगी।
भाजपा का तोड़
भाजपा भी दलित कार्ड खेलना चाहती है, इसलिए कांग्रेस उसके तोड़ के रूप में ब्राह्मण चेहरा लाना चाहती है। अब आगे देखना है कि पार्टी की यह रणनीति कितनी कारगर होती है।
धर्म से भी जुड़ी कांग्रेस
दरअसल, मोदी के संसदीय क्षेत्र में जिस तरह से अन्याय प्रतिकार यात्रा को कांग्रेस ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा था, उससे साफ अंदाजा हो गया कि कांग्रेस भी हिंदुत्व की बात करने लगी है। अब पार्टी अजय राज के मुद्दे को इससे जोड़ रही है। कांग्रेस का मानना है कि अजय राज हिंदुओं में काफी पसंद किए जाते हैं, पार्टी इसका लाभ उठाना चाहती है।
सपा भी मांग चुकी है माफी
दरअसल, इस खेल को उस समय हवा लग गई जब सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर पर कारसेवकों पर गोली चलाने को लेकर माफी मांग चुके हैं।
सहिष्णुता और असहिष्णुता की काट
दरअसल, कांग्रेस रणनीतिकारों का मानना है कि देश में सहिष्णुता और असहिष्णुता को लेकर जो स्थिति बन गई है, उसका सीधा लाभ भाजपा को न मिल जाए, इसलिए भी पार्टी ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी है

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