बुंदेलखण्ड में कर्ज में डूबे तीन और किसानों ने आत्महत्या कर ली। तीनों कर्ज में डूबे थे। दो ने अपने खेतों में खड़े पेड़ों से फांसी लगायी, जबकि एक ने खेत के पास से गुजर रही रेलवे लाइन में ट्रेन के आगे कूद गया।
बांदा के पचनेही गांव में युवा किसान शिवमोहन सिंह ने खेत में खड़े पेड़ से फांसी लगायी। उस पर अपने पिता विजेंद्र सिंह का करीब डेढ़ लाख रुपये का सरकारी और सूदखोरों का कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी थी।
पिता भी दो माह पूर्व फसल की बर्बादी देख सदमे से मौत हुई थी। मौके पर जॉइंट मजिस्ट्रेट अनुज सिंह ने पहुंचकर पीड़ित परिवार को पूरी मदद का भरोसा दिलाया। परिजनों ने बताया कि वह आज सुबह ही खेतों में लगी गेंहू की फसल काटने गया था जिसके बाद इस घटना की सूचना आयी।झांसी के समथर में शनिवार दोपहर वृद्ध किसान ने गेहूं में बर्बादी दे खेत पर पेड़ से फांसी लगायी। बंरस्याना मोहल्ला निवासी 65 साल के फ़ोदन पाल के तीन बीघा खेत में केवल 6 कुंतल गेहूं पैदा हुआ। उस पर बैंक से 50 हजार रूपए का कर्ज है और 16 अप्रैल को नातिन की शादी होनी है। फसल की बर्बादी, कर्ज की भरपाई और नातिन की शादी की चिंता में किसान ने फांसी लगाईं। वहीं, उरई के उसरगांव में खेत पर गए छबीले ने ट्रेन के आगे कूद कर फांसी लगा ली। उस पर भी बैंक और सूदखोरों का कर्ज और गेहूं की फसल पूरी तरह बरबाद हो चुकी थी
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