Wednesday, April 13, 2016

यूपी : देहातों में नहीं गल रही भाजपा की दाल

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ। बीजेपी के लिए साल 2017 बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होने जा रहा है। पार्टी नेतृत्व यूपी में लगातार पार्टी की गिरती साख से खुद को बचा नहीं पा रही है। आलम ये है कि पार्टी नेतृत्व को खुद ही यूपी में सियासी तिकड़में जोड़ने के लिए मैदान में उतरना पड़ रहा है।
पार्टी 14 अप्रैल से 24 अप्रैल तक यूपी की 52 हजार ग्राम पंचायतों में ‘ग्राम स्वराज अभियान’ नाम से एक बड़ा संपर्क अभियान चलाएगी। इस अभियान की शुरुआत के दिन पार्टी सभी ग्राम पंचायतोंमें बैठकों का आयोजन करने जा रही हैं ताकि इन बैठकों में पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण का सीधा प्रसारण करवाया जा सके।
इसी दिन पीएम मोदी दिल्ली में बाबा साहब अंबेडकर के जन्मदिवस पर समरसता अभियान की शुरुआत भी करेंगे। हालांकि पार्टी प्रवक्ता और राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने इन तैयारियों को सामान्य करार दिया है। लेकिन इस स्तर के इस अभियान को देखकर बीजेपी की आशंकाएं साफ झलकती हैं।
पंचायत चुनावों ने बजाई थी खतरे की घंटी
पिछले साल यूपी में संपन्न हुए पंचायत चुनावों ने बीजेपी की कथित लहर की हकीकत सामने ला दी थी। लोकसभा चुनाव में एकतरफा नतीजों के उलट बीजेपी को राज्य में 25 फीसदी से कुछ ऊपर ही सीटें मिल सकी थीं। आलम ये था कि पीएम मोदी के गढ़ वाराणसी जिले में बीजेपी औंधे मुंह गिरी और जिले की 48 में से कुल 8 ही सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। कुल मिलाकर इन चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और बीजेपी की हवा निकाल दी थी। यही वजह है कि बीजेपी 2017 यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर बेहद आशंकित है।
यूपी देहात की हालत पर मोदी भी चिंतित
मिशन 2017 के लिए खुद बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व कितना चिंतित है इसकी बानगी बीती 14 मार्च को देखने को तब मिली थी जब खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने निवास पर यूपी के सभी सांसदों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई थी। बैठक में पीएम मोदी बतौर वाराणसी सांसद पहुंचे थे। इसी बैठक में पहली बार मोदी ने सार्वजनिक तौर पर माना था कि जमीन पर उनकी सरकार की उपलब्धियां और सफलताएं नहीं पहुंच पा रही हैं। उन्होंने पार्टी सांसदों को अपने अपने चुनाव क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने और केन्द्रीय योजनाओं के प्रचार प्रसार करने को कहा था।
सोशल इंजीनियरिंग से यूपी देहात साधने की कोशिश
बीजेपी ने अपनी मंशा खुले तौर पर जाहिर कर दी है। पार्टी ने केशव प्रसाद मौर्य को नया प्रदेश अध्यक्ष बना कर साबित कर दिया है कि वो राज्य में जातीय समीकरणों को साध कर ही चुनावी मैदान में उतरेगी। पार्टी की कोशिश है कि ग्राम पंचायतों तक पहुंच कर सीधे पीएम मोदी और उनकी सरकार की सफलताओँ और उपलब्धियों को लोगों को समझाया जाए। यही नहीं पार्टी ओबीसी, दलित और सवर्ण समाज की एकता को भी साधकर चुनावी वोटों में तब्दील करना चाहती है।
बीजेपी के सहयोग के लिए संघ परिवार भी हुआ तैयार
बीजेपी के लिए 2017 का यूपी चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। केंद्र की मोदी सरकार के साथ साथ देशभर में बीजेपी के भविष्य को उजला करने के लिए यूपी जीत बेहद जरूरी है। पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 में से 73 संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की थी। लिहाजा पार्टी विधानसभा में हार का साना करती है तो फजीहत के साथ साथ पार्टी के भविष्य पर अंधकार भी छा सता है। ऐसे में संघ परिवार ने भी बीजेपी के लिए राज्य में अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। 

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