Saturday, February 4, 2017

लखनऊ : सोचा नहीं था जेल से हत्या करवा देगा अकील


ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
लखनऊ एसएसपी मंजिल सैनी ने श्रवण की हत्या में पुलिस की गंभीर चूक माना है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा,जिसके लिए अपने विभाग को ही छलनी कर दिया, उसी की सुरक्षा नहीं कर पाए। कभी सोचा भी नहीं था कि अकील अंसारी जेल से उन्हें मरवा देगा।एसएसपी ने कहा, श्रवण कई दिन से सुरक्षा की मांग कर रहे थे। उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश भी दिया था। लेकिन नीचे के स्तर पर गंभीरता से काम नहीं हुआ। जिस दिन अकील ने सरेंडर किया था, उसी दिन मुझे लगा था कि वह जेल से कोई गड़बड़ी करा सकता है।

श्रवण से बात करने की भी सोची लेकिन किन्हीं वजहों से मामला टल गया। आरआई, थाना और एलआईयू किसी ने भी मुझे नहीं बताया कि श्रवण को गनर नहीं मिला है। मुझे इस बात का अफसोस है कि खुद श्रवण से बात नहीं कर सकी।

जब श्रवण को गोली मारे जाने की सूचना मिली तो मैंने सोचा कि गनर भी घायल हुआ होगा। बाद में पता चला कि श्रवण के पास तो गनर था ही नहीं। शायद एक बार मैं श्रवण से बात कर लेती तो हत्यारों के लिए वारदात इतनी आसान न होती।ऐसे ही काम करता है सिस्टम
सिस्टम कैसे काम करता है इस खबर में हम आपको यही बताएंगे। सिस्टम यानी बहरी व्यवस्था। सिस्टम  यानी ऐसी व्यवस्था जो सुनती है सिर्फ सिफारिशों से। हनक से।

और...? नहीं तो गिड़गिड़ाते रहिए। अपनी जान की गुहार लगाते रहिए। फाइलें घूमती रहेंगी। मुंह चिढ़ाती रहेंगी।...और दिल के गहराइयों तक एहसास करा दिया जाएगा कि यही सिस्टम है। श्रवण को एहसास होने में देरी हुई और वे जान गंवा बैठे ।

श्रवण साहू ने हत्या के 14 दिन पहले अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी। एलआईयू से फाइलें दो बार चलकर डीएम के यहां पहुंचीं और अटक गईं। मजबूरन व्यापारी नेताओं ने एसएसपी को फोन कर सिफारिश की।

एसएसपी ने आरआई शिशुपाल सिंह तोमर को फोन कर मौखिक आदेश दिए। आरआई ने आदेश नहीं माना। हालांकि अब कहा जा रहा है कि आरआई ने गनर रामआसरे को जाने को कहा था। पर वह गया नहीं। आखिर श्रवण साहू की आशंका सच साबित हुई। उन्हें अपनी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।श्रवण के परिवारीजनों ने बताया कि उन्होंने पुलिस को दी अर्जी में ठाकुरगंज थाना में दर्ज बेटे आयुष साहू की हत्या के मुकदमे और सआदतगंज में पकड़े गए मुन्ना बजरंगी के आठ शूटरों का जिक्र करते हुए सुरक्षा की मांग की थी।

पुलिस ने एलआईयू से रिपोर्ट मांगी। एलआईयू ने 21 जनवरी को रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन को भेज दी। इससे पहले कि गनर देने के लिए तय जिला प्रशासन की कमेटी फाइल में हस्ताक्षर करती, चुनाव आयोग ने डीएम सत्येंद्र सिंह को हटा दिया।

नए डीएम आए तो एलआईयू ने दोबारा रिपोर्ट बनाकर भेजी। पर उन्होंने श्रवण साहू के गनर की फाइल में जरा भी रुचि नहीं दिखाई। इस बीच व्यापारी नेता अमरनाथ मिश्रा ने श्रवण को गनर देने के लिए एसएसपी को फोन किया।

एसएसपी ने उनसे श्रवण को लेकर आने को कहा। 20 जनवरी को अमरनाथ मिश्रा उन्हें लेकर एसएसपी से मिले। एसएसपी ने श्रवण से अर्जी लेकर सीओ एलआईयू को भेजा। हालांकि, सीओ ने उनके प्रार्थनापत्र को पहले ही जिला प्रशासन के ध्यानार्थ भेज दिया था।इस बीच श्रवण साहू को लगातार धमकियां मिलती रहीं। अकील के गुर्गे मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाते रहे। श्रवण ने आरआई को फोन कर धमकियों की जानकारी देते हुए गनर की मांग की तो उन्हें टरकाया जाता रहा। परिवारीजनों का कहना है कि आरआई कभी गणतंत्र दिवस की परेड में व्यस्त होने का बहाना करते तो कभी कोई और बहाना सुनाकर टाल देते।

आरआई ने गनर भेजने की जानकारी दी, गनर पहुंचा ही नहीं
एसएसपी को यह बात पता चली तो उन्होंने 27 जनवरी को आरआई को फोन कर गनर देने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि गनर भेज दो। जिला प्रशासन की कमेटी से स्वीकृति बाद में होती रहेगी।

आरआई ने गनर रामआसरे को श्रवण के घर भेजने की जानकारी दी लेकिन वह नहीं पहुंचा। श्रवण अपनी जान पर मंडरा रहे खतरे को लेकर दौड़-भाग करते रहे और पुलिस उन्हें टरकाती रही।

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