
टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश में सड़कों के निर्माण में चूने का भी इस्तेमाल किया जाएगा। लखनऊ कॉन्फ्रेंस में सड़क निर्माण की नई तकनीक पर विशेषज्ञों की मुहर लगने के बाद उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने इन सुझावों पर अमल के लिए पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को हरी झंडी दे दी।
अब सड़क की निचली सतह पर सिर्फ गिट्टी नहीं डाली जाएगी, बल्कि उसके साथ सीमेंट और पतला डामर (इमल्शन) का प्रयोग भी होगा।
सड़क निर्माण की नई तकनीक पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में यूपी के इंजीनियरों के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशेषज्ञों ने घंटों मंथन किया। पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष वीके सिंह के अनुसार, नई तकनीक से सड़क निर्माण के प्रयोगों को कुछ सुझावों के साथ स्वीकार कर लिया गया।
नई तकनीक में अब सड़कों का बेस सीमेंट ट्रीटेड होगा। तकनीकी भाषा में इसे सीटीबी एंड सीटी सब बेस कहा जाता है।
सड़क की मजबूती के लिए डब्ल्यूएमएम (विभिन्न साइज की गिट्टी) 3.5 प्रतिशत पानी मिक्स डामर और एक प्रतिशत सीमेंट के साथ इस्तेमाल की जाएगी। सबसे ऊपरी सतह पर तारकोल के साथ कम से कम दो फीसदी चूना इस्तेमाल होगा।
इससे गिट्टी तारकोल को नहीं सोख सकेगी और ऊपरी परत आसानी से नहीं उधड़ेगी। सभी तरह की ऊपरी सतहों में चूने का प्रयोग होगा।
जिन सड़कों पर भारी वाहन चलते हैं, उनके निर्माण में ऊपरी सतह पर भी पत्थर-तारकोल का मिक्स्चर (स्टोन मैट्रिक्स एसफाल्ट-एसएमए) इस्तेमाल होगा। इसके साथ रेजिन (एक तरह का केमिकल) भी मिलाया जाएगा।
सड़क की ऊपरी परत से ठीक नीचे वाली परत (डीबीएम या बीएम) में भी एक फीसदी चूने का प्रयोग होगा।
यही नहीं शहरी और अर्ध शहरी इलाकों में सड़कों के निर्माण के दौरान एक डक्ट (सीसी नाली) बनाई जाएगी, जिसमें केबल वगैरह डाले जा सकेंगे। सड़क किनारे उचित स्थानों पर ले-बाय (एक अतिरिक्त लेन) बनाई जाएगी, जहां ट्रक आदि खड़े हो सकेंगे
सड़क निर्माण की नई तकनीक पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में यूपी के इंजीनियरों के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशेषज्ञों ने घंटों मंथन किया। पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष वीके सिंह के अनुसार, नई तकनीक से सड़क निर्माण के प्रयोगों को कुछ सुझावों के साथ स्वीकार कर लिया गया।
नई तकनीक में अब सड़कों का बेस सीमेंट ट्रीटेड होगा। तकनीकी भाषा में इसे सीटीबी एंड सीटी सब बेस कहा जाता है।
सड़क की मजबूती के लिए डब्ल्यूएमएम (विभिन्न साइज की गिट्टी) 3.5 प्रतिशत पानी मिक्स डामर और एक प्रतिशत सीमेंट के साथ इस्तेमाल की जाएगी। सबसे ऊपरी सतह पर तारकोल के साथ कम से कम दो फीसदी चूना इस्तेमाल होगा।
इससे गिट्टी तारकोल को नहीं सोख सकेगी और ऊपरी परत आसानी से नहीं उधड़ेगी। सभी तरह की ऊपरी सतहों में चूने का प्रयोग होगा।
जिन सड़कों पर भारी वाहन चलते हैं, उनके निर्माण में ऊपरी सतह पर भी पत्थर-तारकोल का मिक्स्चर (स्टोन मैट्रिक्स एसफाल्ट-एसएमए) इस्तेमाल होगा। इसके साथ रेजिन (एक तरह का केमिकल) भी मिलाया जाएगा।
सड़क की ऊपरी परत से ठीक नीचे वाली परत (डीबीएम या बीएम) में भी एक फीसदी चूने का प्रयोग होगा।
यही नहीं शहरी और अर्ध शहरी इलाकों में सड़कों के निर्माण के दौरान एक डक्ट (सीसी नाली) बनाई जाएगी, जिसमें केबल वगैरह डाले जा सकेंगे। सड़क किनारे उचित स्थानों पर ले-बाय (एक अतिरिक्त लेन) बनाई जाएगी, जहां ट्रक आदि खड़े हो सकेंगे
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