ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति पर संशय दूर करते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा को सीबीआई का नया निदेशक नियुक्त किया है. सीबीआई प्रमुख के रूप में वर्मा का कार्यकाल दो साल का होगा. पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने उनके नाम को मंजूरी दी है.
इस समिति में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी हैं. 2 दिसंबर को अनिल सिन्हा के रिटायर होने के बाद से यह पद खाली चल रहा था. वहीं गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना सीबीआई के अंतरिम निदेशक थे. हालांकि उनकी नियुक्ति का विपक्षी दलों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा था.
अस्थाना पर अमित शाह के करीबी होने के आरोप लग रहे थे. आलोक कुमार वर्मा के बारे में आपको बता दें कि वर्मा अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा ने फरवरी, 2016 को दिल्ली पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी संभाली थी.
59 वर्षीय वर्मा दिल्ली पुलिस, अंडमान निकोबार, पुडुचेरी, मिजोरम और आईबी में विभिन्न पदों पर सेवाएं दे चुके हैं. दिल्ली पुलिस आयुक्त बनने से पहले वह तिहाड़ जेल के महानिदेशक थे. बता दें कि 16 जनवरी को हुई चयन समिति की बैठक के बाद से ही वर्मा की नियुक्ति के दावे किए जा रहे थे. हालांकि सरकार ने कोई भी खुलासा नहीं किया था.
इस समिति में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी हैं. 2 दिसंबर को अनिल सिन्हा के रिटायर होने के बाद से यह पद खाली चल रहा था. वहीं गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना सीबीआई के अंतरिम निदेशक थे. हालांकि उनकी नियुक्ति का विपक्षी दलों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा था.
अस्थाना पर अमित शाह के करीबी होने के आरोप लग रहे थे. आलोक कुमार वर्मा के बारे में आपको बता दें कि वर्मा अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी वर्मा ने फरवरी, 2016 को दिल्ली पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी संभाली थी.
59 वर्षीय वर्मा दिल्ली पुलिस, अंडमान निकोबार, पुडुचेरी, मिजोरम और आईबी में विभिन्न पदों पर सेवाएं दे चुके हैं. दिल्ली पुलिस आयुक्त बनने से पहले वह तिहाड़ जेल के महानिदेशक थे. बता दें कि 16 जनवरी को हुई चयन समिति की बैठक के बाद से ही वर्मा की नियुक्ति के दावे किए जा रहे थे. हालांकि सरकार ने कोई भी खुलासा नहीं किया था.
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