ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. समाजवादी पार्टी की गठबंधन के मुद्दे पर आज छह घंटे तक चली मैराथन बैठक में रालोद के साथ सीटों का गणित नहीं बैठ पाया और समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने यह एलान भी कर दिया कि हम यूपी की 300 सीटों पर लड़ेंगे. बाकी सीटें कांग्रेस के हवाले कर दी जायेंगी.
कल तक यह बात सामने आ रही थी कि कांग्रेस को 85 और रालोद को 25 सीटें दी जायेंगी. बाकी सीटों पर समाजवादी पार्टी लड़ेगी. आज अचानक रालोद का नाम गठबंधन से गायब हो गया. रालोद का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छा जनाधार है. रालोद से गठबंधन टूटने की दशा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का फायदा हो सकता है.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खां का भी आज यह बयान सामने आया कि भाजपा को रोकने के लिये समाजवादी पार्टी ने गठबंधन का फैसला किया है. समाजवादी पार्टी जब भाजपा को रोकने की बात दिमाग में रखे है तब रालोद से गठबंधन टूटने की वजह पर मंथन ज़रूरी लगता है. सूत्रों का कहना है कि रालोद से गठबंधन करने पर सबसे ज्यादा आपत्ति कांग्रेस को है और समाजवादी पार्टी गठबंधन के मुद्दे पर कांग्रेस को प्राथमिकता में लेकर चल रही है क्योंकि कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी ने जो गठबंधन किया है वह सिर्फ विधानसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं है. यह गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी किया जा रहा है.
कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के सामने यह दलील रखी है कि रालोद की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब वह स्थिति नहीं रह गई है. मुज़फ्फरनगर दंगे के बाद हालात बदल गये हैं. रालोद के पास पश्चिम में जाट और मुस्लिम वोट बैंक है लेकिन मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संगीत सोम फैक्टर भी प्रभावी हुआ है और जाट और मुसलमान अलग-अलग पाले में खड़े हो गये हैं. कांग्रेस के खेमे में यह दोनों साथ आ सकते हैं लेकिन रालोद के पक्ष में मुसलमान आने वाले नहीं हैं और सिर्फ जाटों के सहारे पश्चिम को नहीं जीता जा सकता.
कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को यह दलील दी है कि रालोद अगर अकेले लड़ जाए तो समाजवादी पार्टी का ही फायदा है क्योंकि तब जाट वोट बैंक रालोद और भाजपा के बीच बंट जाएगा, और दोनों को ही कुछ हासिल नहीं होगा. हालांकि समाजवादी पार्टी चाहती है कि अजित सिंह कुछ सीटें लेकर गठबंधन का हिस्सा बन जाएँ. जहाँ पर उन्हें जीत की गारंटी लगे वहां से अपने उम्मीदवार लड़ा लें. वहां पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों उनका समर्थन भी कर देंगे लेकिन अजित सिंह 35 से कम सीटों पर समझौता करने को तैयार नहीं हैं.
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