ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव जीतने के बाद भी 68 ग्राम पंचायतों में किसी की ‘प्रधानी’ नहीं चलेगी। जिले में 570 ग्राम पंचायतों में 21 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां पर ग्राम पंचायत सदस्य के सभी पद खाली हैं। लगभग चार दर्जन ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां पर इतने सदस्य नहीं हो पा रहे हैं कि पंचायतों का गठन पूरा हो सके। अब यहां पर उपचुनाव तक इंतजार करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।
ऐसे में इन ग्राम पंचायतों में विकास कार्य प्रभारी के भरोसे ही चलेगा। ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए जिले की सभी 570 ग्राम पंचायतों में चुनाव हो चुके हैं और आज मतगणना चल रही है। इस चुनाव में ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के पदों में लोगों की दिलचस्पी सिर्फ ग्राम प्रधान के ही पद के लिए ही देखने को मिली।
ग्राम पंचायत सदस्य के पद को लेकर किसी के मन में उत्सुकता नहीं रही। ऐसे में जिले में ग्राम पंचायत सदस्य के सैकड़ों पद खाली ही रह गए। जिले की 570 ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत सदस्य के 7256 पद हैं। इनमें से 683 पदों पर एक भी नामांकन नहीं किया गया और यह रिक्त रह गए।
इसके साथ ही 3214 ऐसे पद थे, जिनमें जैसे-तैसे एक ही दावेदार सामने आया और उसे निर्विरोध निर्वाचित कर दिया गया। सिर्फ 3359 पद ही ऐसे रहे जिनमें दो या इससे अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में सामने आए। इन पदों के रिक्त होने का सीधा असर ग्राम पंचायतों पर देखने को मिलेगा और प्रधान के चुन जाने के बाद भी उसे कार्यभार नहीं दिया जा सकेगा। ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए दिलचस्पी न होने का कारण भी है।
पंचायती राज विभाग ने कहने को तो इस पद को सृजित कर रखा है और बड़ा महत्व होने का दावा करता है, लेकिन हकीकत में इस पद का कोई महत्व नहीं है। ग्राम पंचायत सदस्य चाहकर भी ग्राम प्रधान की मनमर्जी को नहीं रोक पाते हैं।

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