टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा तीन तलाक के मामले को द्रोपदी के चीर हरण से जोड़ना मुस्लिम महिलाओं और उलेमा को रास नहीं आया है. तीन तलाक को ख़त्म करने के लिए मुखर मुहीम चला रही मुस्लिम महिला परसनल ला बोर्ड की संस्थापक शाईस्ता अम्बर ने भी इस पर कड़ा एतराज जताया है. शाईस्ता ने कहा ''तलाक के मामले की द्रौपदी के चीरहरण से तुलना नहीं की जानी चाहिये. अगर योगी इसे तर्क के रूप में पेश कर रहे हैं तो यहां हिन्दू महिलाओं को भी दहेज के लिये जलाया जा रहा है. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उनकी समस्याओं पर भी ऐसी ही टिप्पणी करनी चाहिये.
शाइस्ता ने हालांकि साथ ही यह भी कहा कि जुल्म को देखना भी जुल्म है. द्रौपदी के साथ जो हुआ, वह आज भी हो रहा है. ऐसा करने वाले लोगों को सजा के लिये सख्त कानून होना चाहिये. आल इण्डिया शिया पर्सनल ला बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि तलाक और द्रौपदी के चीरहरण में अन्तर है. दोनों के बीच तुलना नहीं की जानी चाहिये. योगी के इस बयान के बाद मुस्लिम उलेमा भी योगी के बयान को जहिलाना बताते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं. आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा ''ऐसे जाहिलाना बयान पर कोई प्रतिक्रिया देना मैं जरूरी नहीं समझता. तलाक के मसले की द्रौपदी के चीरहरण से तुलना तो कोई जाहिल ही कर सकता है. योगी चीजों को सिर्फ एक चश्मे से ही देखते हैं." आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने रविवार को अपनी कार्यकारिणी की बैठक में तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म करने से इनकार करते हुए इस सिलसिले में एक आचार संहिता जारी करके शरई कारणों के बगैर तीन तलाक देने वाले मर्दों के सामाजिक बहिष्कार की अपील की है.
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