टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. तीन तलाक पर खामोश रहने वाले राजनीतिज्ञों और बुद्धिजीवियों की खामोशी अपराध है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि देश एक बहुत बड़े मुद्दे पर सब लोग मौन है. योगी ने इस मामले को महाभारत के उद्धरण से जोड़ दिया. "जब द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था तब द्रोपदी ने पूछा था कि इस घटना का दोषी कौन है ? सभी खामोश रहे मगर इसका जवाब विदुर ने देते हुए कहा था कि एक तिहाई दोषी वो हैं जो यह कृत्य कर रहे हैं , एक तिहाई दोषी वो हैं जो उनका समर्थन कर रहे हैं और शेष एक तिहाई भी इसके दोषी हैं इस घटना के समय जो मौन है. इस समय देश की एक ज्वलंत समस्या पर लोगो का मुहं बंद है. देश में कॉमन सिविल कोड क्यों नहीं? तीन तलाक के मुद्दे पर एक पक्ष मौन बना है–मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
योगी सोमवार को विधानसभा के सेन्ट्रल हाल में "राष्ट्र पुरुष चंद्रशेखर-संसद में दो टूक" पुस्तक का विमोचन करते हुए खूब बोले. योगी ने चंद्रशेखर के एक भाषण का जिक्र करते हुए कामन सिविल कोड के मुद्दे को भी उठाया. योगी ने कहा कि चंद्रशेखर ने संसद में कहा था कि एक देश में जब फौजदारी के मामले एक कानून के दायरे में हैं तो फिर विवाह कानून अलग क्यों अलग हैं? एक देश में एक ही कानून सबके लिए होना चाहिए. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए योगी ने कहा कि चंद्रशेखर जी को नजदीक से जानने के बाद समाजवादियों के प्रति मेरी धरणा बदली. वे हर विषय को गूढता से समझते थे इसीलिए दो टूक बात कर पाते थे. वे कभी गोरखनाथ मंदिर में नहीं आये मगर एक प्रकरण में जब उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा तो उसमे जिस विस्तार से गोरक्ष पीठ के बारे में लिखा था उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ. उन्होंने कहा कि उन्हें श्री चन्द्रशेखर जी के साथ संसद में कार्य करने का अवसर मिला है। संसद में बहस के दौरान विभिन्न विषयों पर उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार दलगत राजनीति से हटकर मौलिक एवं भारतीय परिप्रेक्ष्य में प्रयुक्त होने वाले थे. कश्मीर समस्या के सम्बन्ध में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि 'कश्मीर जाएगा तो एक भूखण्ड नहीं जाएगा. हमारी धर्मनिरप्रेक्षता चली जाएगी, हमारी एकता चली जाएगी, हमारी वे मान्यताएं चली जाएंगी, जिन मान्यताओं के आधार पर भारत ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी. योगी ने कहा कि पद एवं प्रतिष्ठा को लेकर चन्द्रशेखर जी में कोई अहम नहीं था. वे हमेशा भारतीय परम्परा और राष्ट्र की मर्यादा के प्रबल समर्थक रहे. कोई व्यक्ति हमेशा स्थायी नहीं रहता, लेकिन उसके विचार शाश्वत होते हैं. चन्द्रशेखर जी हमेशा बिना लाग-लपेट के संसद में बेबाकी से अपनी बात कहते थे। निश्चित रूप से कुछ लोगों को उनके विचार कठोर लगते रहे होंगे, लेकिन वे देशहित में ही बोलते थे. वे हमेशा संविधान के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक ढंग से राजनीति करने के हिमायती रहे इसीलिए वर्ष 1975 में जब देश में आपातकाल रोपित किया गया तो उस समय उन्होंने कांगे्रस पार्टी को छोड़ दिया. 'राष्ट्रपुरुष चन्द्रशेखर संसद में दो टूक' पुस्तक को अत्यन्त उपयोगी बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पुस्तक में चन्द्रशेखर जी के भाषणों को जगह दी गई है, जिनमें वे देश की तमाम समस्याओं एवं पड़ोसी देशों से भारत के सम्बन्ध आदि विषयों पर बेबाकी से अपने राय रखते हैं. वे अकेले थे, लेकिन अनेक विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते थे. कई लोगों को यह भ्रम होता है कि चन्द्रशेखर जी नास्तिक थे, लेकिन उन्होंने स्वयं महंत अवैद्यनाथ जी से कहा था कि वे नास्तिक नहीं हैं. वे अपने आश्रम में भारत की सनातन परम्परा एवं धार्मिक मूल्यों का पूरा ध्यान रखते थे. मुख्यमंत्री ने मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करते हुए कहा कि अक्सर नकारात्मक पक्षों को ध्यान न देते हुए अगर सोच सकारात्मक हो तो समाज में रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा दिया जा सकता है और यह काम मीडिया बाखूबी कर सकता है. उन्होंने पुस्तक के सम्पादक श्री धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि एक ऐसे समाजवादी नेता के विचार को लेखक ने वर्तमान पीढ़ी के समक्ष रखने का प्रयास किया, जिनके विचार उपयोगी, मार्गदर्शक एवं राष्ट्रीय एकता के लिए हमेशा प्रासंगिक रहेंगे. इससे पहले, विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदयनारायण दीक्षित ने श्री चन्द्रशेखर की सहजता एवं लोकतांत्रिक मूल्यों में उनकी आस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि वे जमीन से जुड़े नेता थे और संविधान तथा लोकतंत्र के विरुद्ध कोई भी बात स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते थे.
No comments:
Post a Comment