टीम ब्रेक न्यूज ब्यूरो
मेरठ. पिछले एक साल से शांत भीम आर्मी एक बार फिर सूबे के पश्चिमी इलाके में हुंकार भर रही है. रासुका की कार्रवाई से आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर 'रावण' को लेकर दलितों में उपजी सहानुभूति से वह पहले से ज्यादा तीखे तेवर में नजर आ रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चौक-चौराहों से लेकर सरकारी दफ्तरों ही नहीं जेल में भी प्रदेश सरकार की इस कार्रवाई की खिलाफत की आवाजें बुलंद हो रही हैं. सहारनपुर और आसपास के इलाकों के दलितों में अंदर ही अंदर नाराजगी की आग सुलग रही है. ठीक उसी तरह की जैसी की पिछले साल मई महीने के आसपास थी. उस दौरान उनका हीरो यानि भीम आर्मी चीफ उनके साथ था, अब वह जेल में है. पिछले साल हुई हिंसा के आरोप में 16 महीने से जेल में कैद चंद्रशेखर रावण को अदालत ने जमानत दी थी. लेकिन, सरकार ने उस पर रासुका लगाकर फिर जेल की सलाखों के पीछे रखने का बंदोबस्त कर दिया.भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर रासुका लगाने से शांत बैठे सहारनपुर और आसपास के दलितों के पैनिक बटन को सरकार ने दबा दिया. अभी तक कुछ खास दलित वर्ग के ही नेता के तौर पर पहचान बनाने वाला यह नेता अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के दलितों का हीरो बन चुका है. उसके खिलाफ इस वर्ग में जागी सहानुभूति से एक बार फिर दलितों में एकजुटता की लहर उफनाने लगी है. नाराजगी का यह उबाल इस कदर है कि निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश भर में लागू आचार संहिता की तमाम हदों को वे लांघ रहा है गुरूवार को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के कुछ ही देर में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर पर रासुका की सिफारिश कर अगले ही दिन जेल में इसे तामील भी करा दिया गया. यानि उसके जेल से बाहर आने की राह में रासुका का रोड़ा अटका दिया गया. सरकार के इस खेल को लोग भी बखूबी समझ रहे हैं और इसकी खिलाफत भी वे करने की ठान चुके हैं. बीते तीन दिनों की बात करें तो एक दर्जन से अधिक जगह दलितों ने एकजुट होकर अपनी नाराजगी दर्ज करा चुके हैं. वहीं भीम आर्मी ने अपने अगुवा पर की गई रासुका की कार्रवाई को लेकर महापंचायत भी बुला डाली. इस ऐलान से सरकारी मशीनरी के हाथ-पांव फूले तो अधिकारियों ने किसी तरह भीम आर्मी के नेताओं को किसी तरह मनाया. अभी तक महज सहारनपुर के कुछ इलाकों में ही अपनी सशक्त मौजूदगी के लिए पहचानी जाने वाली यह आर्मी को लेकर समर्थन का दायरा ननोता, रामपुर, देवबंद, छुटमलपुर और पूरे सहारनपुर तक पांव पसार चुका है. इन जगहों पर प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर भीम आर्मी ने चंद्रशेखर पर लगाई गई रासुका को लेकर नाराजगी जाहिर की है. भीम आर्मी की महापंचायत भले ही टल गई हो, पर उसने कमिश्नर का ऐलान कर यह जाहिर कर दिया है कि वह शांत बैठने वाली नहीं है. भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण पर की गई कार्रवाई की नाराजगी नया गांव मल्हीपुर की दलित महिलाओं में भी दिखी. यहां की महिलाओं ने रासुका लगाए जाने के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है. सरकार की कार्रवाई को लेकर गुस्से का सैलाब जेल में बंद दलित कैदियों के मन में भी उफना रहा है. भीम आर्मी ने दलित कैदियों के सहयोग से जेल में भी भूख हड़ताल करने की धमकी दी है. दूसरी ओर पेट में दर्द की शिकायत के बाद मेरठ हॉस्पिटल में इलाज करा रहे भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर बड़ी ही बेबाकी से कहते नजर आते हैं कि जब रासुका से भगत सिंह नहीं डरे तो वो कैसे डरेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जेल से बाहर आने के बाद इंडियन आर्मी में चमार रेजीमेंट बनाने की लड़ाई उनकी भीम आर्मी लड़ेगी. चंद्रशेखर रावण को जेल भेजने के बाद माना यह जा रहा था कि इससे उनकी भीम आर्मी खत्म हो जाएगी. मगर, जिस तरह से उनके खिलाफ की गर्इ् रासुका की कार्रवार्इ् का जगह-जगह विरोध हो रहा है, वह यह जाहिर करता है कि यह आर्मी पहले से ज्यादा सक्रिय हो गई है. छुटमलपुर में रहने वाले एडवोकेट कृष्णपाल कहते हैं कि भीम आर्मी का दायरा अब पहले से ज्यादा बड़ा हो चुका है. चंद्रशेखर पर रासुका की कार्रवाई को लेकर प्रकाश जाटव प्रदेश के सीएम पर राजपूतों का सरंक्षक होने की तोहमत लगाते नजर आते हैं. वे कहते हैं कि जेल की सजा काट चुका शेर सिंह राणा सरेआम दलितों को धमका रहा है और उसके पोस्टर भी लग रहे हैं, जबकि दलितों की बहन-बेटियों के सम्मान का सवाल उठाने वाला इंसान जेल में डाला जा रहा है. वे यह बात कहते हुए सवाल भी करते हैं कि इसे राजधर्म कहते हैं क्या? चंद्रशेखर के वकील हरपाल सिंह भी रासुका की कार्रवार्इ् पर सवालिया निशाना लगाते हैं. उनका कहना है कि जमानत मंजूर होने के बाद जिस तरीके से रासुका लगाई गई, वह कोर्ट का भी अपमान है. वे कहते हैं कि सरकार ऐसा कर दलितों का दमन कर रही है. चंद्रशेखर पर लगाई गई रासुका को लेकर इलाके के दलितों में खासी नाराजगी है और यह कभी भी खुलकर सामने आ सकती है.
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