Saturday, July 8, 2017

पुलिस पर भरोसा जगाएगा छोटे पर्दे का ये बड़ा कलाकार, 'खाकी, एक वचन' की बात

actor aman verma in Amar Ujala Office.
टीम ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो 
छोटे परदे के बड़े कलाकार अमन वर्मा एक बार फिर मेजबानी करते दिखेंगे। खास बात यह है कि 10 जुलाई से शुरू हो रहे ‘खाकी, एक वचन’ में वे पुलिस तंत्र पर भरोसा जगाते नजर आएंगे। टेलीविजन पर अभिनय और मेजबानी का लंबा सफर तय करने वाले अमन वर्मा बृहस्पतिवार को ‘ब्रेकिंग न्यूज़(ब्रेक न्यूज़ इंडिया  ) ’ के लखनऊ कार्यालय में थे। अपने नए धारावाहिक के साथ ही उन्होंने अपनी अभिनय यात्रा पर विस्तार से बातचीत की, पेश है कुछ अंश...

सवाल - अमन जी, धारावाहिक में पुलिस की कैसी भूमिका होगी?

जवाब
 - हां, आजकल क्राइम शो काफी चल रहे हैं। ‘खाकी, एक वचन’ में भी एक-दो कड़ियों की कहानियां होंगी लेकिन यह दूसरे धारावाहिकों से अलग है। ज्यादातर ऐसे कार्यक्रमों में पुलिस की नकारात्मक छवि होती है। अक्सर दिखाया जाता है कि वे मामलों को हल नहीं कर पा रहे हैं या भ्रष्ट हैं। लेकिन इस धारावाहिक में पुलिस के नजरिए से कहानी कही गई है। इसमें दिखाया जाएगा कि पुलिस ने किस प्रकार मामले को हल किया, उन्हें किन परेशानियों से गुजरना पड़ा। कितने पुलिसकर्मियों की जांच या घटना के दौरान मौत हो गई। ऐसे बहुत सारे मामले हैं, जिनमें पुलिस ने बहुत अच्छा काम किया है। जब पूरा देश त्यौहार मनाता है वे अपनी ड्यूटी निभा रहे होते हैं।
सवाल -  लेकिन समाज में पुलिस की छवि बहुत अच्छी तो नहीं है?
जवाब -बिल्कुल नहीं है। इसी कारण हमने इस छवि को थोड़ा बदलने की कोशिश की है। कोई भी पेशा हो, उसमें अच्छे लोग भी होते हैं और बुरे भी। ज्यादातर मामलों में लोग पुलिस के पास देर से जाते हैं। हम लोगों को जागरूक भी करेंगे।

सवाल -  क्या यह सच्ची कहानियां होंगी?
जवाब -
बिल्कुल सच्ची कहानियां होंगी, सच्ची घटनाएं होंगी।

सवाल -  किन राज्यों की कहानियां होगीं?
जवाब -
 हमने उत्तर प्रदेश, बिहार के अलावा उत्तर भारत की कहानी अधिक ली है। पहली कहानी इलाहाबाद के ऑनर किलिंग पर आधारित है। चौथी कहानी लखनऊ की है।
सवाल - शायद आपकी रुचि भी सेना में रही है?
जवाब
 - मेरे पिता फौज में थे। मम्मी के भाई भी फौज में थे। मम्मी के पिता भी फौज में थे। तो मेरी पृष्ठभूमि सेना की रही है। जैसे फिल्मों में काम करने वाले लोग चाहते हैं कि उनके बेटे भी फिल्मों में काम करें, फौज वाले भी चाहते हैं कि उनके बेटे फौज में ही हों लेकिन मेरे जेहन में कुछ और था। मेरे व्यक्तित्व में एक पुलिस वाले जैसा कड़कपन है। मैंने पहले भी ‘शपथ’ किया है।

सवाल - आप लगातार मेजबानी कर रहे हैं। क्या आपको लगता है कि एक संचालक के तौर पर आपको मिली लोकप्रियता से अभिनेता के तौर पर आपकी प्रगति के लिए ठीक नहीं है?

जवाब
- ऐसा नहीं है। जब मैं मेजबानी करता हूं तो मैं चाहता हूं कि मेरा अपना व्यक्तित्व उसमें नजर आए जबकि जब मैं किसी धारावाहिक या फिल्म में अभिनय करता हूं तो मुझे जो भूमिका दी जाती है, मैं उसे करता हूं। मैं चाहता हूं ये दोनों आपस में मिलें न, हालांकि यह काफी मुश्किल है। मुझे दोनों ही पसंद है। कोई भी चीज जो थोड़ी अलग होती है, मुझे उसे करना अच्छा लगता है।
सवाल - छोटे परदे के आप बड़े कलाकार हैं। टीवी पर हमने आपको महत्वपूर्ण भूमिकाओं में देखा है लेकिन फिल्मों में आप प्राय: छोटी-छोटी भूमिकाओं में ही नजर आते हैं?

जवाब
 -जब मैं टेलीविजन की दुनिया में आया तो उस समय कई बड़े कार्यक्रम शुरू हुई थे। मुझे ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में भूमिका मिली और फिर कुछ महीनों में ‘खुल जा सिमसिम’ मिल गया। दो बड़े कार्यक्रम करते हुए मुझे लोकप्रियता मिली जबकि फिल्मों में उस तरह की भूमिकाएं नहीं मिली। वह टीवी का दौर था और मैं टीवी को फिल्मों के लिए मना नहीं कर सकता था।

सवाल - तीसमारखां के बाद भी आपकी फिल्में आईं, लेकिन चर्चा में नहीं रहीं?

जवाब
 - मैंने कुछ फिल्में कीं लेकिन वे छोटी फिल्में थीं। अब मैंने तय किया है कि फिल्मों में ऐसी भूमिकाएं करूंगा, जिसमें फिल्में भले ही छोटे बजट की हो लेकिन भूमिकाएं महत्वपूर्ण होनी चाहिए।

सवाल -  इधर कोई फिल्म आने वाली है?
जवाब
 -पिछले साल लखनऊ में दो फिल्मों का फिल्मांकन हुआ था। उनका नाम अभी तय नहीं है। उनमें से एक जल्द प्रदर्शित होगी। दो साल पहले एक ‘जेडी’ फिल्म की थी जो संभवत: सितंबर में प्रदर्शित होगी।
सवाल -  क्या खुद कोई फिल्म या धारावाहिक बनाने का विचार नहीं?
जवाब -
अभी तक तो बिल्कुल नहीं। यह बहुत मुश्किल काम है। मैंने ऐसा करने वाले अपने कुछ मित्रों का हाल देखा है।

सवाल-  आगे की कुछ और योजनाएं?
जवाब-
 एक लोकप्रिय चैनल का हिंदी चैनल आने वाला है। उसमें रामदेव पर एक कार्यक्रम आने वाला है, जिसमें मेरी भूमिका है।

सवाल -  आपने कई बार नकारात्मक भूमिकाएं भी की हैं?
जवाब -
 हां, कम से कम पांच धारावाहिकों और बागबान सहित कुछ फिल्मों में मेरी नकारात्मक भूमिका रही। मैं अगर 20 सालों से अभिनय कर रहा हूं तो इसकी वजह यही है कि मैंने नकारात्मक भूमिकाएं भी की हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं एक ही तरह की भूमिका में टाइप्ड हो गया होता।

सवाल -  लखनऊ से आपकी बहुत तरह की यादें जुड़ी हैं?
जवाब -
 मेरे पिता फौज में थे और उनकी नियुक्ति लखनऊ में भी हुई थी। तब मैं शायद आठ-नौ साल का था। बाद में कई बार लखनऊ आना हुआ। मैंने लखनऊ को बदलते हुए देखा है। 15 साल पहले लखनऊ कुछ और दिखता था। फिर हाथी बने, फिर उन्हें ढंका गया।

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