
– खां साहब के नाराज होते ही IAS -IPS पैक कर लेते हैं अपना सूटकेस
– ट्रान्सफर पर कोई नहीं ले जाता अपना सामान, सरकारी बंदोबस्त पर होती है गुजर-बसर
– आजम खान के गढ़ रामपुर में कोई अफसर ज्यादा दिन टिक नहीं पाया
ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो ( विवेक सिन्हा )
लखनऊ. सियासत में अपने जुदा अंदाज़ के लिए मशहूर मुहम्मद आजम खान का जिला रामपुर सूबे के अफसरों के लिए ऐसा टापू बन गया है, जहाँ जाने के बाद ठहरने के दिन गिनना मज़बूरी हो जाती है. सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि रामपुर में तैनाती पाने वाले डीएम् और एसपी आम तौर पर वहां अपना बोरिया बिस्तर लेकर ही नहीं जाते बल्कि सरकारी सामानों का इस्तेमाल करते है. कारण, पता नहीं कब खां साहब गुस्सा कर जाएँ और सामान समेट कर लौटना पड़े और गुस्सा तो खां की नाक पर रहता है.
रौतेला डेढ़ महीने में चलते कर दिए गए
सोमवार को रामपुर के डीएम राजीव रौतेला को हटाकर प्रदेश शासन में भेज दिया गया. अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद आजम खान के गढ़ रामपुर से हटने वाले रौतेला आठवे डीएम है. रौतेला रामपुर में डेढ़ महीने भी नहीं टिक पाए.
अखिलेश सरकार आते ही शुरू हो गई थी परम्परा
मार्च 2012 में जब अखिलेश यादव ने सूबे में सत्ता संभाली तो बलकार सिंह रामपुर में डीएम थे. उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री मायावती तैनात किया था. 20 मार्च को उन्हें हटा दिया गया लेकिन एक पखवारे तक कोई नया अफसर वह नहीं भेजा जा सका क्यूंकि किसी नाम पर आजम साहब ने मोहर नहीं लगाई ।
चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी का रहा सबसे लम्बा कार्यकाल
6 अप्रेल 2012 को अनिल धींगरा को रामपुर का डीएम बनाया गया जो वह पूरे ग्यारह महीने तैनात रहे. 8 मार्च 2013 को धींगरा की जगह पहुंची शुभ्रा सक्सेना बतौर डीएम सवा दो महीने ही तैनात रहीं, जो कि इस सरकार में. रामपुर के किसी डीएम का सबसे लम्बा कार्यकाल रहा है तो वह था चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी का, जो कि पौने चौदह महीने तक रामपुर में डीएम रहे. एनकेएस चौहान सवा दस महीने, एस प्रियदर्शी सिर्फ पौने दो महीने और कर्ण सिंह चौहान कुल तेईस दिन यहाँ डीएम रहे. जबकि राकेश कुमार सिंह का कार्यकाल करीब नौ महीने का रहा.
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