ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा के आसन्न चुनाव की चल रही तैयारियों के बीच सूबे में जहरीली शराब से हो रहीं मौतें सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) को मंहगी पड़ सकती हैं। जहरीली शराब की बिक्री पर अब सिर्फ राजनेता ही नहीं आमजन भी खफा हैं। आम लोगों का मानना है कि यदि पुलिस और आबकारी विभाग को सरकार ‘टाइट’ कर दे तो इस पर पाबन्दी लग जाएगी।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और स्वयंसेवी संगठनों ने जहरीली शराब से हो रही मौतों पर दु:ख व्यक्त करते हुए इसकी बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की। शरद यादव ने कहा कि जहरीली शराब से हो रही मृत्यु तत्काल रुक सकती है, यदि इसकी बिक्री पर पाबन्दी लगा दी जाए। इसका खामियाजा सपा को आने वाले चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
यादव ने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति से कच्ची शराब बिकना बन्द करवाया जा सकता है। अखिलेश यादव सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता दल (यू) शराबबन्दी को चुनाव में मुद्दा बनायेगी। भाजपा का कहना है कि जहरीली शराब से अमीर नहीं मरता। अमीर व्यक्तियों की जिस दिन मृत्यु हो जाएगी उस दिन इसकी बिक्री तत्काल प्रभाव से रुक जायेगी। भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा कि जहरीली शराब पीने से गरीब का परिवार ही परेशान होता है। गरीब ही मारा जाता है।
उन्होंने व्यंग्य किया कि जिस दिन जहरीली शराब से किसी बडे व्यक्ति की मृत्यु हो जाएगी उस दिन इसकी बिक्री पर रोक लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जायेगा। उन्होंने बताया कि एटा मेें जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच के लिए पार्टी का एक दल जा रहा है। यह दल वहां जाकर पीड़ित परिवार से मिलेगा और उन्हें ढांढस बंधाएगा। चुनाव में इस मुद्दे को उठाकर शराब माफियाओं से सरकार की गठजोड़ का खुलासा किया जाएगा। दूसरी ओर, राजनीतिक दलों के साथ ही अब आमजन भी इसके खिलाफ उठ खडे हुए हैं। शराब की बिक्री को लेकर गरमायी राजनीति के बीच फैजाबाद की महिलाओं ने शराब के कारोबारियों और पियक्कडों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जहरीली शराब की बिक्री से त्रस्त फैजाबाद के रेतिया इलाके की लडकियों ने लामबन्द होकर इसे बेचने और पीने वालों के खिलाफ मुहिम चला दी है।
सरयू तट पर स्थित निषाद बाहुल्य रेतिया इलाके की आबादी करीब छह हजार है। कच्ची शराब की वजह से अब तो रेतिया में लडके- लडकियों के विवाह में भी दुश्वारियां आने लगी हैं। बाहरी इलाके वाले रेतिया में विवाह करने से कतराने लगे हैं। रेतिया के लोगो का आरोप है कि आबकारी विभाग और पुलिस की मिलीभगत से इस क्षेत्र में कच्ची शराब बिकने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस शराब के यहां पड रहे कुप्रभाव का आलम यह है कि रेतिया की औसत आयु अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम हो गयी है। वहां के कई नौजवानों की शराब पीने से कम उम्र में ही मृत्यु हो चुकी है। रेतिया के दिनेश निषाद ने बताया कि इलाके में दो सौ से अधिक विधवाएं ऐसी हैं जिनके पतियों की मृत्यु 30 -35 साल की उम्र में ही हो गयी।
दिनेश ने बताया कि इलाके में बिकने वाली कच्ची शराब में यूरिया, दुधारु पशुओं को लगने वाली पिट््यूटरी इन्जेक्शन, यीस्ट तक मिला दिया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए इतने खतरनाक हैं कि पीने वाले का गुर्दा, लीवर और अन्य अंगों को इस कदर क्षतिग्रस्त कर देते हैं कि उसकी मृत्यु हो जाती है। उनका आरोप था कि यहां से स्थानीय पुलिस को तीन-चार लाख रुपये महीने में मिलते हैं। इसलिए पुलिस को इसकी बिक्री रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं है। आबकारी विभाग के लोग भी यहां से पैसे ले जाते हैं।उन्होने बताया कि हाल ही में कैन्ट थाने का घेराव किया गया था। फिर भी ठोस नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है।
गौरतलब है कि 15 जुलाई की रात कुछ लोगों ने अलीगंज इलाके से कच्ची शराब खरीदी थी। शराब पीने के बाद लोगों की मृत्यु का सिलसिला शुरु हुआ जो अभी जारी है। राज्य सरकार इस मामले में पुलिस और आबकारी विभाग के 12 अधिकारी और कर्मचारियों को निलंबित कर चुकी है। जहरीली शराब मामले में पुलिस मुख्य आरोपी श्रीपाल लोध को गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है। इसके अलावा पिछले डेढ़ दो वर्षों में आजमगढ़, हरदोई, गोरखपुर और उन्नाव समेत कुछ अन्य जिलों में इससे 60 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

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