ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जल्द ही बड़ा झटका मिलने जा रहा है। वह लखनऊ में मेट्रो ट्रेन को दिसंबर में हरी झंडी दिखाने वाले थे, लेकिन भाजपा की माने तो अक्टूबर में ही चुनाव होंगे इसकी वजह से मुख्यमंत्री का यह सपना पूरा नहीं होगा। यही नहीं जल्द चुनाव करवाए जाने से छह महीने पहले ही योजनाओं को उद्घाटन नहीं किया जा सकेगा। भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी की माने, तो चुनाव इसी साल और अक्टूबर-नवंबर के आसपास ही होंगे।
मेरठ में बाजपेयी ने कहा कि नए साल में प्रदेश में नई सरकार होगी और सरकार के गठन के लिए मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच होगा, जबकि सपा मुख्य लड़ाई में भी नहीं आ सकेगी।
अपने आवास पर आयोजित होली मिलन समारोह में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यह बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चुनावी गतिविधियां और तैयारियां प्रारम्भ हो चुकी हैं और यह चुनाव अब शीघ्र होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि संभवत: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अक्तूबर-नवंबर माह में हो जाएंगे और इस चुनाव में प्रदेश की जनता बड़ा फैसला सुनाएगी।
प्रदेश में अगली सरकार किस की होगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार किसकी बनेगी यह कहना अभी जल्दबाजी है, लेकिन यह तय है कि मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच ही होना है और सबसे अधिक सीटों पर इन्हीं दोनों दलों के प्रत्याशी जीतेंगे। प्रदेश में वर्तमान में सत्ता पर काबिज सपा को जनता नकार देगी और सपा के तमाम प्रयासों के बावजूद भी वह 80 से अधिक सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकेंगे।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग अंतिम छह महीनों में कभी भी चुनाव की घोषणा कर सकता है। यदि अक्टूबर और दिसंबर के बीच यूपी में चुनाव होते हैं, तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीब चार दर्जन परियोजनाओं पर गंभीर असर पड़ेगा। इससे न केवल लखनऊ में मेट्रो रेल दौड़ाने को लेकर रोक लग जाएगी, बल्कि ट्रांसगंगा और चेक गंजरिया समेत कई प्रोजेक्ट खटाई में पड़ जाएंगे।
भाजपा-बसपा को मिल सकता है सरकार को घेरने का मौका
यदि चुनाव पहले होते हैं और मुख्यमंत्री के कई प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाएंगे, तो भारतीय जनता पार्टी को मौका मिलेगा कि वह सरकार को घेरे और मुख्यमंत्री की कार्यों को लेकर सवाल खड़ा करे। यूपी सरकार के लिए ऐसे समय में बचाव करना काफी मुश्किल होगा। बसपा भी यूपी सरकार को इन आरोपों के साथ घेरेगी कि सरकार के सैकड़ों प्रोजेक्ट घोटाले की भेंट चढ़ गए।
लखनऊ । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जल्द ही बड़ा झटका मिलने जा रहा है। वह लखनऊ में मेट्रो ट्रेन को दिसंबर में हरी झंडी दिखाने वाले थे, लेकिन भाजपा की माने तो अक्टूबर में ही चुनाव होंगे इसकी वजह से मुख्यमंत्री का यह सपना पूरा नहीं होगा। यही नहीं जल्द चुनाव करवाए जाने से छह महीने पहले ही योजनाओं को उद्घाटन नहीं किया जा सकेगा। भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी की माने, तो चुनाव इसी साल और अक्टूबर-नवंबर के आसपास ही होंगे।
मेरठ में बाजपेयी ने कहा कि नए साल में प्रदेश में नई सरकार होगी और सरकार के गठन के लिए मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच होगा, जबकि सपा मुख्य लड़ाई में भी नहीं आ सकेगी।
अपने आवास पर आयोजित होली मिलन समारोह में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यह बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चुनावी गतिविधियां और तैयारियां प्रारम्भ हो चुकी हैं और यह चुनाव अब शीघ्र होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि संभवत: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अक्तूबर-नवंबर माह में हो जाएंगे और इस चुनाव में प्रदेश की जनता बड़ा फैसला सुनाएगी।
प्रदेश में अगली सरकार किस की होगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार किसकी बनेगी यह कहना अभी जल्दबाजी है, लेकिन यह तय है कि मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच ही होना है और सबसे अधिक सीटों पर इन्हीं दोनों दलों के प्रत्याशी जीतेंगे। प्रदेश में वर्तमान में सत्ता पर काबिज सपा को जनता नकार देगी और सपा के तमाम प्रयासों के बावजूद भी वह 80 से अधिक सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकेंगे।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग अंतिम छह महीनों में कभी भी चुनाव की घोषणा कर सकता है। यदि अक्टूबर और दिसंबर के बीच यूपी में चुनाव होते हैं, तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीब चार दर्जन परियोजनाओं पर गंभीर असर पड़ेगा। इससे न केवल लखनऊ में मेट्रो रेल दौड़ाने को लेकर रोक लग जाएगी, बल्कि ट्रांसगंगा और चेक गंजरिया समेत कई प्रोजेक्ट खटाई में पड़ जाएंगे।
भाजपा-बसपा को मिल सकता है सरकार को घेरने का मौका
यदि चुनाव पहले होते हैं और मुख्यमंत्री के कई प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाएंगे, तो भारतीय जनता पार्टी को मौका मिलेगा कि वह सरकार को घेरे और मुख्यमंत्री की कार्यों को लेकर सवाल खड़ा करे। यूपी सरकार के लिए ऐसे समय में बचाव करना काफी मुश्किल होगा। बसपा भी यूपी सरकार को इन आरोपों के साथ घेरेगी कि सरकार के सैकड़ों प्रोजेक्ट घोटाले की भेंट चढ़ गए।

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