Saturday, March 26, 2016

यूपी : 2017 के लिए जातीय रसायन शास्त्र की खोज में कांग्रेस

ब्रेक न्यूज़ ब्यूरो
यूपी सूबे के दो इलाकाई दलों समाजवादी पार्टी और बसपा ने मिशन 2017 के लिए अपने पत्ते  खोलने शुरू कर दिए हैं तो वहीँ दोनों राष्ट्रीय दल कांग्रेस congress logoऔर भाजपा अभी भी अपनी रणनीतियों और चेहरे को ले कर उलझी हुयी है.
सपा ने प्रत्याशियों की पहली सूची शुक्रवार को जारी कर दी और बसपा भी इस मामले में हमेशा ही आगे रहती है. मगर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अभी अपने नई प्रदेश कार्यकारिणी का फैसला नहीं कर पाया है. इन सबके बीच लम्बे समय से सूबे की सियासत में पड़ी कांग्रेस अभी जमीनी जानकारियाँ इकठ्ठा करने में ही लगी है.
आम तौर पर जाति और सांप्रदायिक राजनीती न करने का दावा करने वाली कांग्रेस इस बार जाति समीकरणों को साधने की कवायद में है. कांग्रेस इसके लिए जातिवार आंकड़े इकठ्ठा कर रही है.प्रदेश नेतृत्व ने सभी जिलाध्यक्षों को एक प्रेफर्मा भेज कर ये आंकड़े मंगवाए हैं.
लोकसभा चुनावों में बुरी तरह शिकस्त खा चुकी कांग्रेस फिलवक्त यूपी में चौथे नंबर की पार्टी है. 2017 के चुनावों में वह अपनी वापसी के लिए कोशिशे कर रही है. कांग्रेस के पास उसके सबसे बुरे समय में भी लगभग साढ़े आठ प्रतिशत वोट रहा है. मगर यूपी की सियासत में गंभीर दिखाई देने के लिए भी उसे कम से कम 15 प्रतिशत वोट चाहिए, ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकार जाति समीकरणों को सुलझाने में लगे हैं .
यूपी की सियासत बीते 25 सालों से जाति गणित में उलझी हुयी है. बसपा दलित ब्राह्मण मुस्लिम वोटो के रसायन शास्त्र को बनाने में लगी है तो वहीँ सपा की पहली सूची ने बता दिया है कि उसका पुराना समीकरण मुस्लिम,यादव,राजपूत ही भरोसेमंद रहेगा. भाजपा भी संघ के जरिये दलितों में घुसपैठ बनाने का प्रयास कर रही है और साथ ही उसकी निगाह पिछड़े जाति कुर्मी और लोध पर लगी हुयी है. ऐसे में कांग्रेस के पास बहुत विकल्प नहीं बचते हैं. लुंज पुंज पड़े संगठन को चुस्त बनाना भी कांग्रेस नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती है.
बीते दिनों कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने संकेत दिए थे कि कांग्रेस को अपने पारंपरिक ब्राह्मण वोटो को जोड़ने के लिए प्रयास करने चाहिए. मगर कांग्रेस की मजबूरी यही है कि ब्राह्मण, दलित,मुस्लिम, का कम्बीनेशन अब मायावती ने अपने कब्जे में रख लिया है और इन वोटो पर उसकी पकड़ ढीली होती नहीं दिखाई दे रही है.
हालाकि कांग्रेस के रणनीतिकार इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं. इस सिलसिले में मुद्दे तलाशने का काम प्रशांत किशोर की टीम को दे दिया गया है. प्रशांत की टीम सोशल मीडिया पर भी काम करना शुरू करेगी और इसके जरिये वह केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना लगाएगी.
कांग्रेस जिलाध्यक्षों को 31 मार्च तक जो प्रपत्र भर के भेजना है उसमें सबसे महत्वपूर्ण है विधानसभा वार जातीय आंकड़ों की जानकारी. इसलिए यह माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार टिकट वितरण में जातीय गणित को ध्यान  में रखेगी.
इसके अलावा कार्यकर्ताओं से यह भी जानकारी मांगी गयी है कि किस नेता का प्रभाव उनके क्षेत्र में ज्यादा है और चुनावों के दौरान कौन कौन चेहरे प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहनेवाले उम्मीदवारों के नाम भी मांगे गए हैं

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